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  1. 1 जून से लागू हुए म्यूचुअल फंड यूनिट एलॉटमेंट के लिए नए नियम, कैसे इन्वेस्टर्स का रिस्क होगा कम?

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1 जून से लागू हुए म्यूचुअल फंड यूनिट एलॉटमेंट के लिए नए नियम, कैसे इन्वेस्टर्स का रिस्क होगा कम?

Upstox

3 min read | अपडेटेड June 01, 2025, 15:38 IST

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सारांश

SEBI ने 22 अप्रैल को म्यूचुअल फंड की ओवरनाइट स्कीम्स में यूनिटों के रिपरचेज या रिडेम्प्शन के संबंध में नेट एसेट वैल्यू (NAV) निर्धारित करने के लिए कट-ऑफ समय में बदलाव की घोषणा की। इसका मुख्य लक्ष्य इन्वेस्टर्स के रिस्क को कम करना है।

म्यूचुअल फंड NAV नियम

म्यूचुअल फंड यूनिट एलॉटमेंट के नए नियम 1 जून से होंगे लागू

मार्केट रेगुलेटर Securities and Exchange Board of India (SEBI) ने 22 अप्रैल को म्यूचुअल फंड की ओवरनाइट स्कीम्स में यूनिटों के रिपरचेज या रिडेम्प्शन के संबंध में नेट एसेट वैल्यू (NAV) निर्धारित करने के लिए कट-ऑफ समय में बदलाव की घोषणा की। इसका मुख्य लक्ष्य इन्वेस्टर्स के रिस्क को कम करना है। इस बदलाव से स्टॉक ब्रोकर्स (एसबी) या क्लियरिंग मेंबर्स (सीएम) को म्यूचुअल फंड ओवरनाइट स्कीम्स (एमएफओएस) की यूनिटों को अन-प्लेज करने और म्यूचुअल फंड के पास रिडेम्प्शन रिक्वेस्ट करने के लिए मार्केट टाइम खत्म होने के बाद समय मिल जाएगा। दोपहर 3 बजे तक मिले आवेदनों के लिए, अगले कारोबारी दिन से ठीक पहले के दिन का क्लोजिंग एनएवी लागू होगा। सेबी ने अपने सर्कुलर में कहा कि दोपहर 3 बजे के बाद मिले आवेदनों के लिए, अगले कारोबारी दिन का क्लोजिंग एनएवी लागू होगा। हालांकि, अगर आवेदन ऑनलाइन मोड से आते हैं, तो ओवरनाइट फंड स्कीम्स के लिए शाम 7 बजे का कट-ऑफ समय लागू होगा।

नया समय 1 जून से प्रभावी हो गया है। म्यूचुअल फंड ओवरनाइट स्कीम (MFOS) में निवेश स्टॉक ब्रोकर्स या क्लियरिंग मेंबर्स के लिए क्लाइंट फंड को निवेश करने का एक नया तरीका है और यह ओवरनाइट पीरियड और केवल रिस्क-फ्री गवर्नमेंट सिक्योरिटीज के संपर्क के कारण क्लाइंट फंड के न्यूनतम जोखिम परिवर्तन को सुनिश्चित करता है। एसबी/सीएम यह सुनिश्चित करते हैं कि क्लाइंट फंड केवल ऐसे MFOS में इन्वेस्ट किए जाएं जो रिस्क-फ्री सरकारी बॉन्ड ओवरनाइट रेपो मार्केट और ओवरनाइट ट्राई-पार्टी रेपो डीलिंग एंड सेटलमेंट (TREPS) में फंड लगाते हैं। इसके अलावा, ऐसे MFOS यूनिट्स को डीमैट फॉर्म में होना आवश्यक है और उन्हें हर समय क्लियरिंग कॉरपोरेशन के पास गिरवी रखना आवश्यक है।

सेबी ने जनवरी में अपने परामर्श पत्र (कंसल्टेशन पेपर) में जिक्र किया था कि ओवरनाइट स्कीम्स में एक दिन की मैच्योरिटी वाली सिक्योरिटीज में इन्वेस्ट किया गया पैसा अगले वर्किंग डे पर मिलता है। सेबी ने कहा था, ‘रिडेम्प्शन रिक्वेस्ट को पूरा करने के लिए, ओवरनाइट स्कीम्स को बाजार समय से पहले कोई बिक्री लेनदेन नहीं करना पड़ता है। इसके बजाय, रिडेम्प्शन रिक्वेस्ट्स के आधार पर ओवरनाइट स्कीम्स, T+1 सेटलमेंट डेट पर मिलने वाली मैच्योरिटी इनकम को फिर से इन्वेस्ट न करने का फैसला ले सकती हैं। क्योंकि T-डे पर मिली रिडेम्प्शन रिक्वेस्ट्स की राशि के लिए फंड को हर दिन इन्वेस्ट करना होता है, इसलिए ऐसे फंड को T+1 डे पर फिर से इन्वेस्ट नहीं किया जाता है और इसके बजाय भुगतान के लिए उपयोग किया जाता है। इसके कारण, रिडेम्प्शन की समयसीमा, चाहे दोपहर 3 बजे हो या शाम 7 बजे, फंड के मूल्यांकन या निवेश को भुनाने की क्षमता को प्रभावित नहीं करेगी।’

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Upstox Hindi News Desk पत्रकारों की एक टीम है जो शेयर बाजारों, अर्थव्यवस्था, वस्तुओं, नवीनतम व्यावसायिक रुझानों और व्यक्तिगत वित्त को उत्साहपूर्वक कवर करती है।