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  1. NBFCs में FD पर मिलता है बैंकों को मुकाबले बेहतर इंटरेस्ट रेट, लेकिन दोनों में से कौन सा ऑप्शन है बेहतर?

पर्सनल फाइनेंस

NBFCs में FD पर मिलता है बैंकों को मुकाबले बेहतर इंटरेस्ट रेट, लेकिन दोनों में से कौन सा ऑप्शन है बेहतर?

Namita Shukla

2 min read | अपडेटेड July 24, 2025, 11:47 IST

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सारांश

NBFCs में अगर आप फिक्स्ड डिपॉजिट कराते हैं, तो आमतौर पर आपको बैंकों से बेहतर इंटरेस्ट रेट मिलता है, लेकिन क्या आपको बैंकों की जगह NBFCs में एफडी खोलनी चाहिए? दोनों के क्या फायदे और नुकसान हैं, चलिए डीटेल में समझते हैं।

फिक्सड डिपॉजिट

NBFCs में फिक्स्ड डिपॉजिट vs बैंकों में फिक्सड डिपॉजिट

भारत में नॉन बैंकिंग फाइनेंशियल कंपनियां (NBFCs) बैंकों की तुलना में ज्यादा फिक्स्ड डिपॉजिट (FD) इंटरेस्ट रेट्स देते हैं। लेकिन आखिर ऐसा क्यों है और क्या आपको बैंकों की जगह NBFCs में फिक्स्ड डिपॉजिट खोलना चाहिए? चलिए समझते हैं कि क्यों बैंकों में फिक्स्ड डिपॉजिट खोलने बेहतर ऑप्शन होता है और NBFCs में फिक्स्ड डिपॉजिट क्यों कम सुरक्षित माना जाता है। दरअसल भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) के सख्त नियमों के कारण बैंकों को आमतौर पर अधिक सुरक्षित माना जाता है। दोनों की तुलना करने पर आप बेहतर तरीके से समझ पाएंगे कि क्यों बैंकों में FD कराना एक बेहतर विकल्प होता है-

एक नजर डालते हैं NBFCs में FD कराने के नियमों पर
ज्यादा इंटरेस्ट रेट: NBFCs अक्सर इन्वेस्टर्स को आकर्षित करने के लिए एफडी पर हाइ इंटरेस्ट रेट देते हैं, कभी-कभी बैंकों की तुलना में 1-2% अधिक।
फ्लेग्जिबिलिटी: कुछ NBFCs अधिक लचीले एफडी ऑप्शन दे सकते हैं, जिनमें लॉन्ग पीरियड और अधिक रिटर्न शामिल हैं।
रिस्क फैक्टर: NBFC, विनियमित होने के बावजूद, बैंकों के समान स्तर की जांच के अधीन नहीं हैं, जिससे रिस्क बढ़ सकता है।
क्रेडिट रेटिंग: NBFC की क्रेडिट रेटिंग अलग-अलग होती है, इसलिए इन्वेस्ट करने से पहले विशिष्ट NBFC की रेटिंग की जांच करना अहम होता है।
समय से पहले निकासी: NBFC के समय से पहले निकासी के संबंध में सख्त नियम हो सकते हैं, जिसके परिणामस्वरूप अधिक जुर्माना या ब्याज का नुकसान हो सकता है।
अब एक नजर डालते हैं बैंकों में FD के नियमों पर
कम इंटरेस्ट रेट्स: बैंक आमतौर पर NBFC की तुलना में एफडी पर कम इंटरेस्ट रेट देते हैं।
सिक्योरिटी: बैंक आरबीआई द्वारा सख्त नियमों और निगरानी के अधीन हैं, जो उन्हें एक सुरक्षित निवेश विकल्प बनाता है।
लिक्विडिटी: बैंक आमतौर पर आसान समयपूर्व निकासी शर्तों के साथ अधिक लिक्विड FD विकल्प देते हैं।
टैक्स-सेविंग FD: बैंक धारा 80C के तहत 1.5 लाख रुपये तक की कटौती के साथ टैक्स-सेविंग FD देते हैं, जो NBFC के साथ उपलब्ध नहीं है।
दोनों में क्या है बेहतर ऑप्शन?

अगर आपकी प्राथमिकता अधिक रिटर्न है और आप संभावित रूप से अधिक जोखिम उठाने में सहज हैं, तो NBFC एक उपयुक्त विकल्प हो सकते हैं। हालांकि, अगर सुरक्षा और लिक्विडिटी आपके लिए सबसे ऊपर हैं, तो बैंक आमतौर पर बेहतर ऑप्शन होते हैं। इन्वेस्ट करने से पहले विभिन्न संस्थानों द्वारा दी जाने वाली विशिष्ट FD दरों और शर्तों की तुलना करना हमेशा अनुशंसित होता है।

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लेखकों के बारे में

Namita Shukla
Namita Shukla is a seasoned journalist with over 15 years of experience in Hindi media. She has worked with some of the most reputed news organizations, including Navbharat Times, Dainik Jagran, Aaj Tak, and Hindustan Times Hindi. Throughout her career, Namita has reported on a wide range of beats such as national affairs, sports, business, and entertainment, bringing clarity and depth to her reporting. In addition to her journalistic work, she is a certified fact-checker by both Google and Meta, underscoring her commitment to accuracy and ethical journalism in the digital age.