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  1. म्यूचुअल फंड स्विच करने की सोच रहे हैं? ये 2 गलतियां आपकी कमाई पर फेर सकती हैं पानी

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म्यूचुअल फंड स्विच करने की सोच रहे हैं? ये 2 गलतियां आपकी कमाई पर फेर सकती हैं पानी

विकास तिवारी

3 min read | अपडेटेड December 08, 2025, 13:12 IST

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सारांश

म्यूचुअल फंड में एक स्कीम से दूसरी स्कीम में स्विच करना केवल एक क्लिक का काम लगता है, लेकिन यह आपकी जेब पर भारी पड़ सकता है। निवेशक अक्सर यह भूल जाते हैं कि 'स्विच' करना तकनीकी रूप से 'पैसा निकालना' ही है। इस पर आपको एग्जिट लोड के साथ-साथ कैपिटल गेन टैक्स भी देना पड़ता है।

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फंड स्विच करते वक्त इन बातों का रखें ध्यान

म्यूचुअल फंड में निवेश करना जितना आसान है, कई बार उसे मैनेज करना उतना ही पेचीदा हो सकता है। कई बार निवेशक किसी फंड के खराब प्रदर्शन को देखकर या किसी नए फंड की चमक देखकर अपना पैसा 'स्विच' करने का फैसला ले लेते हैं। आजकल ऐप्स पर यह सुविधा एक बटन दबाते ही मिल जाती है। बहुत से लोगों को लगता है कि "मेरा पैसा तो उसी कंपनी (AMC) के पास है, मैंने बस स्कीम बदली है," इसलिए कोई खर्चा नहीं लगेगा। अगर आप भी ऐसा सोचते हैं, तो सावधान हो जाइए। यह जल्दबाजी आपकी गाढ़ी कमाई का एक हिस्सा टैक्स और पेनल्टी में गंवा सकती है। फंड स्विच करते समय आपको मुख्य रूप से दो बातों का ध्यान रखना चाहिए।

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1. स्विच का मतलब है 'रिडम्पशन'

सबसे पहले और सबसे अहम बात यह समझना है कि इनकम टैक्स विभाग की नजर में 'स्विच' जैसा कोई शब्द नहीं होता। जब आप एक स्कीम से दूसरी स्कीम में पैसा स्विच करते हैं, तो सिस्टम इसे दो हिस्सों में देखता है। पहला- पुरानी स्कीम से पैसे निकालना (Redemption/Sell) और दूसरा- नई स्कीम में निवेश करना (Purchase)।

भले ही पैसा आपके बैंक खाते में न आया हो और सीधे दूसरी स्कीम में चला गया हो, लेकिन पुरानी स्कीम से निकलते ही उस पर 'कैपिटल गेन टैक्स' के नियम लागू हो जाते हैं।

शॉर्ट टर्म कैपिटल गेन (STCG): अगर आपने इक्विटी फंड में निवेश किया है और 1 साल से पहले स्विच कर रहे हैं, तो आपको मुनाफे पर शॉर्ट टर्म कैपिटल गेन टैक्स देना होगा।
लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन (LTCG): अगर आप 1 साल के बाद स्विच करते हैं, तो 1.25 लाख रुपये से ऊपर के मुनाफे पर आपको लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन टैक्स चुकाना होगा। इसलिए, स्विच करने से पहले यह जरूर चेक करें कि आपका निवेश कितना पुराना है और उस पर टैक्स की कितनी देनदारी बन रही है।

2. एग्जिट लोड की मार

टैक्स के अलावा जो दूसरा खर्चा आपकी जेब काटता है, वह है 'एग्जिट लोड'। कई निवेशक सोचते हैं कि एक ही फंड हाउस में स्विच करने पर एग्जिट लोड माफ हो जाता है, लेकिन ऐसा नहीं है। ज्यादातर इक्विटी फंड्स में अगर आप 1 साल के भीतर पैसा निकालते हैं या स्विच करते हैं, तो 1% का एग्जिट लोड लगता है।

मान लीजिए आपने 1 लाख रुपये निवेश किए थे और 6 महीने बाद ही उसे उसी फंड हाउस की दूसरी स्कीम में स्विच कर दिया। ऐसे में, स्विच करते वक्त आपकी फंड वैल्यू में से 1% राशि काटकर ही नए फंड में निवेश की जाएगी। यानी, स्विच करने पर आपको दोहरी चोट लग सकती है—पहले एग्जिट लोड के रूप में पैसे कटेंगे और फिर जो मुनाफा हुआ होगा, उस पर टैक्स भी देना पड़ेगा।

क्या है सही तरीका?

एक्सपर्ट्स की राय है कि फंड स्विच तभी करें जब बहुत जरूरी हो। सिर्फ थोड़े समय के खराब प्रदर्शन को देखकर या बाजार के उतार-चढ़ाव से डरकर बार-बार स्विच करने से आपके रिटर्न पर बुरा असर पड़ता है। इसे 'Churning' कहते हैं। स्विच करने से पहले हमेशा कैलकुलेट करें कि एग्जिट लोड और टैक्स चुकाने के बाद क्या नए फंड में जाने का फायदा वास्तव में मिल रहा है या नहीं।

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लेखकों के बारे में

विकास तिवारी
Vikash Tiwary is a finance journalist with 6+ years of newsroom experience. He is currently growing Upstox Hindi, crafting data-driven stories on stocks, personal finance, mutual funds, and global markets, while exploring how AI can simplify finance. His work spans Zee Business, TV9 Bharatvarsh, ABP News, India TV, and Inshorts. He also holds NISM certification.

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