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ITR filing 2025: आयकर विभाग आपकी फाइनेंशियल एक्टिविटी पर कैसे रखता है नजर? इन बातों का रखें ध्यान

Upstox

3 min read | अपडेटेड June 23, 2025, 17:57 IST

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सारांश

ITR filing: टैक्सपेयर्स को यह जान लेना चाहिए कि इनकम टैक्स डिपार्टमेंट आपकी वित्तीय गतिविधियों जैसे ज्यादा रकम वाले लेन-देन की निगरानी कैसे करता है। यह जरूरी है कि आपकी भरी हुई जानकारी इनकम टैक्स डिपार्टमेंट के रिकॉर्ड से मेल खाए।

ITR filing

ITR filing: किसी भी तरह की गड़बड़ी होने पर आगे की जांच की जा सकती है।

ITR filing 2025: वित्त वर्ष 2024-25 के लिए टैक्सपेयर्स लगातार अपना इनकम टैक्स रिटर्न फाइल कर रहे हैं। इनकम टैक्स डिपार्टमेंट ने कुछ समय पहले ही रिटर्न फाइल करने की आखिरी तारीख 15 सितंबर 2025 तक बढ़ाई है। इससे टैक्सपेयर्स को अधिक समय मिल गया है।

एक्सपर्ट्स का मानना है कि टैक्सपेयर्स को यह जान लेना चाहिए कि इनकम टैक्स डिपार्टमेंट आपकी वित्तीय गतिविधियों जैसे ज्यादा रकम वाले लेन-देन की निगरानी कैसे करता है। यह जरूरी है कि आपकी भरी हुई जानकारी इनकम टैक्स डिपार्टमेंट के रिकॉर्ड से मेल खाए।

फाइनेंशियल एक्टिविटी पर कैसे रखा जाता है नजर?

इनकम टैक्स डिपार्टमेंट फाइनेंशियल एक्टिविटी को ट्रैक करने के लिए बैंकों और वित्तीय संस्थानों द्वारा दी गई जानकारी पर निर्भर करता है। सीएनबीसी टीवी18 ने टैक्स कनेक्ट एडवाइजरी सर्विसेज एलएलपी के पार्टनर विवेक जालान के हवाले से बताया कि मौजूदा नियमों के तहत कई तरह के लेन-देन अपने आप रिपोर्ट हो जाते हैं।

इनमें वित्त वर्ष में सेविंग अकाउंट्स में ₹10 लाख से ज्यादा की कैश डिपॉजिट, करंट अकाउंट्स से ₹50 लाख से ज्यादा की कैश डिपॉजिट या विड्रॉल, ₹10 लाख से ज्यादा का क्रेडिट कार्ड बिल पेमेंट (कैश को छोड़कर), फिक्स्ड या रेकरिंग डिपॉजिट अकाउंट्स में ₹10 लाख से ज्यादा की कैश डिपॉजिट और गुड्स या सर्विसेज की बिक्री से ₹2 लाख से ज्यादा की कैश रिसिप्ट (अगर विक्रेता टैक्स ऑडिट के तहत आता है) शामिल हैं।

रिपोर्ट किए जाने के बाद इन लेन-देन का मिलान टैक्सपेयर्स की घोषित आय से की जाती है। किसी भी तरह की गड़बड़ी होने पर आगे की जांच की जा सकती है। अगर आयकर विभाग को रिपोर्ट की गई आय और वित्तीय जानकारी के बीच अंतर पाया जाता है, तो इस स्थिति में टैक्सपेयर को नोटिस जारी किया जा सकता है।

AIS और फॉर्म 26AS का रोल

AIS (Annual Information Statement) और Form 26AS में आपकी सभी जरूरी फाइनेंशियल जानकारी होती है, जिसमें प्रॉपर्टी खरीद, शेयर मार्केट में निवेश, बैंक से ब्याज इनकम और TDS कटौती शामिल हैं। ITR भरते समय टैक्स विभाग उम्मीद करता है कि आपकी इनकम और ये रिकॉर्ड एक जैसे हों। अगर इनमें फर्क हो तो आपको नोटिस आ सकता है, टैक्स और पेनल्टी लग सकता है या रिफंड मिलने में देरी हो सकती है।

टैक्सपेयर्स को क्या करना चाहिए?

ITR फाइल करने से पहले AIS और फॉर्म 26AS को ध्यान से चेक करें। सिर्फ TDS वाली इनकम नहीं, हर इनकम को सही-सही डिक्लेयर करना जरूरी है। आपको सभी जरूरी डॉक्युमेंट्स जैसे रेंट की रसीदें, निवेश का प्रूफ, लोन एग्रीमेंट और बैंक स्टेटमेंट संभाल कर रखना चाहिए।

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लेखकों के बारे में

Upstox
Upstox Hindi News Desk पत्रकारों की एक टीम है जो शेयर बाजारों, अर्थव्यवस्था, वस्तुओं, नवीनतम व्यावसायिक रुझानों और व्यक्तिगत वित्त को उत्साहपूर्वक कवर करती है।

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