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  1. ITR के डेडलाइन निकल जाने के बावजूद बिना जुर्माने के TDS रिफंड क्लेम करना अब मुमकिन, यहां समझें कैसे?

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ITR के डेडलाइन निकल जाने के बावजूद बिना जुर्माने के TDS रिफंड क्लेम करना अब मुमकिन, यहां समझें कैसे?

Upstox

3 min read | अपडेटेड August 13, 2025, 13:47 IST

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सारांश

Tax deducted at source (TDS) यानी कि स्रोत पर टैक्स कटौती भारत के इनकम टैक्स डिपार्टमेंट द्वारा किसी व्यक्ति के आय स्रोत से टैक्स वसूलने के लिए शुरू किया गया एक सिस्टम है।

टीडीएस रिफंड क्लेम

आईटीआई डेडलाइन मिस करने पर बिना जुर्माने के कर सकेंगे टीडीएस रिफंड क्लेम

ऐसे कई टैक्सपेयर्स, जो इनकम टैक्स रिटर्न (ITR) भरने की डेडलाइन से चूक गए हों, उनके लिए एक बड़ी राहत की खबर है। संशोधित इनकम टैक्स बिल 2025 में कहा गया है कि अब कोई शख्स टीडीएस (स्रोत पर कर कटौती) रिफंड का क्लेम कर सकते हैं, भले ही उनका आईटीआर मूल इनकम टैक्स रिटर्न भरने के लिए निर्धारित डेडलाइन के बाद दाखिल किया गया हो। धारा 263(1)(ix) को हटाने के साथ, इनकम टैक्स (संख्या 2) विधेयक इस आवश्यकता को खत्म कर देता है और लोगों को समय पर रिटर्न दाखिल न करने की स्थिति में रिफंड क्लेम की अनुमति देकर ‘लचीलापन’ देता है।

सिलेक्ट कमिटी ने इनकम टैक्स बिल में उस धारा को खत्म करने की सिफारिश की है, जिसके तहत टैक्सपेयर्स को डेडलाइन तक इनकम टैक्स रिटर्न दाखिल करना आवश्यक है, जिससे उन लोगों द्वारा टीडीएस क्लेम का भुगतान किया जा सके, जिन्हें अन्यथा टैक्स रिटर्न दाखिल करने से छूट मिली है। यह लचीलापन एक अच्छी बात है क्योंकि यह गारंटी देता है कि देर से या संशोधित रिटर्न दाखिल करने वाले लोगों को भी रिफंड दिया जाएगा।

एक्सपर्ट का क्या कहना है?

Tax2win के सीईओ और को-फाउंडर अभिषेक सोनी ने कहा, ‘इनकम टैक्स बिल में हालिया संशोधन टैक्सपेयर्स के लिए एक बड़ी राहत है। अब, कोई भी शख्स तय डेडलाइन के बाद भी इनकम टैक्स रिटर्न दाखिल करने पर टीडीएस रिफंड का दावा कर सकता है। इसका मतलब है कि अगर आप देर से या संशोधित रिटर्न दाखिल करते हैं, तब भी आप टीडीएस रिफंड के लिए एलिजिबल होंगे। यह कदम अनुपालन को प्रोत्साहित करता है और रिफंड प्रोसेस को आसान बनाता है, खासकर उन लोगों के लिए जो मूल फाइलिंग डेडलाइन से चूक जाते हैं।’

क्या है टीडीएस?

Tax deducted at source (TDS) यानी कि स्रोत पर टैक्स कटौती भारत के इनकम टैक्स डिपार्टमेंट द्वारा किसी व्यक्ति के आय स्रोत से टैक्स वसूलने के लिए शुरू किया गया एक सिस्टम है। उदाहरण के लिए, जब आपको सैलरी मिलती है, तो भुगतान करने वाला व्यक्ति आपको बची राशि का भुगतान करने से पहले एक निश्चित प्रतिशत टैक्स के रूप में काट लेता है, जो बाद में सरकार के पास जमा हो जाता है। नए बिल में कराधान कानून (Taxation Law) (संशोधन) बिल, 2025 के प्रावधान भी शामिल हैं, जिसे हाल ही में लोकसभा ने पारित किया था। इन अतिरिक्त प्रावधानों में एकीकृत पेंशन योजना (यूपीएस) के ग्राहकों के लिए कर छूट और सऊदी अरब के सार्वजनिक निवेश कोषों के लिए प्रत्यक्ष टैक्स लाभ शामिल हैं।

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लेखकों के बारे में

Upstox
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