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4 min read | अपडेटेड August 19, 2025, 15:45 IST
सारांश
इनकम टैक्स डिपार्टमेंट द्वारा लगने वाले फाइन से बचने के लिए आईटीआर फाइल करने की डेडलाइन से पहले आपको आईटीआर फाइल करना होता है, लेकिन ऐसी स्थिति भी है कि आपने डेडलाइन से पहले आईटीआर फाइल कर दिया हो, लेकिन बावजूद इसके आपको जुर्माना भरना पड़ सकता है।
ई-वेरिफिकेशन क्यों है आईटीआर फाइलिंग के लिए बेहद जरूरी?
क्या आप जानते हैं कि भले ही आपने डेडलाइन से पहले इनकम टैक्स रिटर्न (ITR) फाइल कर दिया हो, बावजूद इसके किसी खास स्थिति में आप पर जुर्माना लगाया जा सकता है? इनकम टैक्स डिपार्टमेंट द्वारा लगने वाले फाइन से बचने के लिए आईटीआर फाइल करने की डेडलाइन से पहले आपको आईटीआर फाइल करना होता है, लेकिन ऐसी स्थिति भी है कि आपने डेडलाइन से पहले आईटीआर फाइल कर दिया हो, लेकिन बावजूद इसके आपको जुर्माना भरना पड़ सकता है। दरअसल यह स्थिति तब होती है, जब आप अपना रिटर्न डेडलाइन से पहले अपलोड करते हैं, लेकिन ई-वेरिफिकेशन पूरा करते हैं या आईटीआर-V 30 दिनों से अधिक समय बाद जमा करते हैं, जिससे वेरिफिकेशन डेट डेडलाइन से आगे निकल जाती है।
ऐसे मामलों में, आईटीआर-V या ई-वेरिफिकेशन जमा करने की डेट को आईटीआर जमा करने की वास्तविक डेट माना जाता है। अगर यह डेट आईटीआर की डेडलाइन के बाद पड़ती है, तो देरी से आईटीआर फाइल करने के सभी नुकसान टैक्सपेयर्स पर लागू हो सकते हैं। 31 मार्च, 2024 की केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड (सीबीडीटी) के नोटिफिकेशन के अनुसार, अगर रिटर्न वेरिफिकेशन में 30 दिनों से अधिक की देरी होती है, तो ई-वेरिफिकेशन या आईटीआर-V जमा करने की डेट को रिटर्न दाखिल करने की डेट माना जाएगा। इस नोटिफिकेशन में कहा गया है, ‘जहां इनकम टैक्स रिटर्न अपलोड किया गया है, लेकिन ई-वेरिफिकेशन या आईटीआर-V अपलोड करने के 30 दिनों के बाद पेश किया जाता है, ऐसे मामलों में, ई-वेरिफिकेशन/आईटीआर-V जमा करने की डेट को इनकम टैक्स रिटर्न पेश करने की तारीख माना जाएगा और अधिनियम के तहत रिटर्न देर से दाखिल करने के सभी नुकसान, जैसा लागू हो, लागू होंगे।’
ऊपर समझाई गई बातों से यह साफ है कि टैक्सपेयर्स के लिए अपने रिटर्न का वेरिफिकेशन कितना जरूरी है। वेरिफिकेशन पूरा करने का सबसे अच्छा तरीका आयकर ई-फाइलिंग पोर्टल पर 'अभी ई-वेरिफाई करें' ऑप्शन का इस्तेमाल करना है। ई-वेरिफिकेशन पूरा करने में 2-3 मिनट से ज्यादा समय नहीं लगता। इसके अलावा, आईटीआर वेरिफिकेशन भी रिटर्न जमा करने के बाद जल्द से जल्द, या कम से कम 30 दिनों के अंदर पूरा कर लिया जाना चाहिए। सीबीडीटी ने भी अपनी 2024 के नोटिफिकेशन में इसका सुझाव देते हुए कहा था, ‘टैक्सपेयर की सुविधा के लिए यह दोहराया जाता है कि रिटर्न दाखिल करने के तुरंत बाद ई-वेरिफिकेशन सबसे वांछनीय कार्रवाई है।’ हालांकि, बहुत से टैक्सपेयर्स अपना रिटर्न जमा करने के तुरंत बाद ई-वेरिफिकेशन पूरा नहीं करते हैं। उदाहरण के लिए, ई-फाइलिंग पोर्टल के आंकड़ों के अनुसार, 19 अगस्त, 2025 तक 3.23 करोड़ से ज्यादा टैक्सपेयर्स ने अपना रिटर्न दाखिल कर दिया है, लेकिन केवल लगभग 3.13 करोड़ रिटर्न ही वेरिफाई हुए हैं।
अगर ITR अपलोड किया जाता है और 30 दिनों के भीतर ई-वेरिफिकेशन/ITR-V जमा किया जाता है- ऐसे मामलों में, आयकर रिटर्न अपलोड करने की डेट को आयकर रिटर्न जमा करने की तिथि माना जाएगा।
टैक्सपेयर्स को विधिवत वेरिफाइड आईटीआर-V को साधारण या स्पीड पोस्ट या किसी अन्य माध्यम से केवल निम्नलिखित पते पर भेजकर फिजिकल वेरिफिकेशन पूरा करने की अनुमति है- Centralised Processing Centre, Income Tax Department, Bengaluru - 560500, Karnataka
ITR-V के फिजिकली जमा करने की स्थिति में, CPC पर विधिवत वेरिफाइड ITR-V प्राप्त होने की डेट महत्वपूर्ण होती है। ICAI का कहना है, ‘आयकर रिटर्न अपलोड करने की डेट से 30 दिनों के पीरियड निर्धारित करने के लिए CPC पर विधिवत वेरिफाइड ITR-V प्राप्त होने की डेट को ही ध्यान में रखा जाएगा।’ अगर आईटीआर को निर्धारित समय सीमा के अंदर वेरिफाई नहीं किया जाता है तो इसे अमान्य माना जाता है।
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