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3 min read | अपडेटेड March 13, 2025, 15:31 IST
सारांश
अगर आप भी UPI पेमेंट करते हैं, तो यह खबर आपके लिए काम की हो सकती है। UPI ID से अगर कोई इनैक्टिव नंबर जुड़ा है, तो उसको लेकर NPCI का यह नियम आपको किसी भी तरह की धोखाधड़ी से बचा सकता है। चलिए डिटेल में समझते हैं।
यूपीआई से अगर जुड़ा है इनैक्टिव नंबर तो परेशान होने की जरूरत नहीं
UPI पेमेंट का कल्चर भारत में काफी बढ़ चुका है, 1 रुपये से लेकर हजारों रुपये के ट्रांजैक्शन करने के लिए लोग UPI पेमेंट का सहारा लेते हैं, लेकिन आपकी UPI आईडी से कई बार ऐसे मोबाइल नंबर्स जुड़े होते हैं, जो इनैक्टिव हो चुके हैं और ऐसे में यूजर्स को कई बार दिक्कतों का सामना भी करना पड़ता है, लेकिन अब यूजर्स अपने UPI ID से जुड़े इनैक्टिव मोबाइल नंबर को आसानी से हटा सकते हैं। भले ही वह मोबाइल नंबर अब उनके पास ना हो। नेशनल पेमेंट्स कॉर्पोरेशन ऑफ इंडिया (NPCI) ने नए नियम से यह काम काफी आसानी से हो जाएगा। चलिए समझते हैं कैसे इस नियम से लाखों यूजर्स की परेशानी कम हो सकती है।
31 मार्च, 2025 तक, UPI सर्विस देने वाले सभी बैंकों और पेमेंट सर्विस प्रोवाइडर्स (PSP) को इनैक्टिव या रीसाइकिल किए गए मोबाइल नंबरों को हटाने के लिए अपने डेटाबेस को अपडेट करना होगा। इसका सबसे बड़ा उद्देश्य है कि इससे UPI पेमेंट्स में कोई गलती ना हो साथ ही मोबाइल नंबर इनैक्टिव होने के चलते किसी तरह की धोखाधड़ी भी रोकी जा सके। एनपीसीआई ने 3 मार्च, 2025 को जारी एक सर्कुलर में कहा था, ‘बैंक, पीएसपी ऐप मोबाइल नंबर रिवोकेशन लिस्ट/डिजिटल इंटेलिजेंस प्लेटफॉर्म (एमएनआरएल/डीआईपी) का इस्तेमाल करेंगे और नियमित अंतराल पर, कम से कम साप्ताहिक आधार पर अपने डेटाबेस को अपडेट करेंगे। बैंक और पीएसपी/टीपीएपी डेटाबेस में रीसाइकिल या चर्न किए गए मोबाइल नंबरों की गतिविधि सही ढंग से दिखाई देगी, जिससे चर्न किए गए मोबाइल नंबरों के कारण होने वाली गलतियों की संभावना कम हो जाएगी।’
यहां जो ध्यान देने वाली सबसे अहम बात है कि NPCI ने बैंकों और PSP को मोबाइल नंबर डेटाबेस बस एक बार अपडेट करने के लिए नहीं कहा है बल्कि सप्ताह में एक बार रिफ्रेश करने का निर्देश दिया है। इससे यह सुनिश्चित करने में मदद मिलेगी कि पुराने, इनैक्टिव नंबरों की नियमित रूप से पहचान की जाए और उन्हें UPI ID से अलग किया जाए।
डिपार्टमेंट ऑफ टेलिकम्यूनिकेशन्स (DoT) यानी कि दूरसंचार विभाग के दिशा-निर्देशों के मुताबिक, अगर कोई मोबाइल नंबर 90 दिनों या तीन महीने तक यूज नहीं किया जाता है (कोई कॉल, मैसेज या डेटा गतिविधि नहीं) तो उसे इनैक्टिव कर दिया जाता है और उसे किसी नए कस्टमर को फिर से सौंपा जा सकता है।
कई यूजर्स जब किसी नंबर का इस्तेमाल करना बंद कर देते हैं, तो वे बैंक अकाउंट्स और UPI ID जैसी जरूरी सेवाओं के लिए अपने मोबाइल नंबर को अपडेट नहीं करते हैं। इससे सिक्योरिटी रिस्क पैदा हो सकता है, क्योंकि रीसाइकिल किए गए नंबर को अब किसी और को दे दिया गया है और वह आपकी फाइनेंशियल डिटेल्स हासिल कर सकता है। टेलिकॉम रेगुलेटरी अथॉरिटी ऑफ इंडिया (TRAI) यानी कि भारतीय दूरसंचार नियामक प्राधिकरण ने चेतावनी दी है कि इससे धोखाधड़ी हो सकती है, क्योंकि स्कैमर्स किसी व्यक्ति के बैंक खातों या पेमेंट ऐप तक पहुंच सकते हैं और इसका गलत इस्तेमाल कर सकते हैं।
नए नियम के साथ, UPI ऐप को अब UPI ID से मोबाइल नंबर को लिंक या अपडेट करने से पहले यूजर्स की सहमति लेनी होगी। पहले, यह ऑटोमेटिकली हो जाता था। सर्कुलर में कहा गया, ‘UPI ऐप को UPI नंबर को सीडिंग या पोर्ट करने के लिए क्लियर ऑप्ट-आउट ऑप्शन (डिफॉल्ट रूप से चेक आउट किया गया है, और यूजर्स को ऑप्ट-इन पर क्लिक करना होगा) के साथ यूजर की सहमति प्राप्त करनी होगी।’
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