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  1. GST कंपनसेशन सेस क्या है? सरकार के Next Gen GST से कैसे बदल जाएगा टैक्स स्ट्रक्चर?

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GST कंपनसेशन सेस क्या है? सरकार के Next Gen GST से कैसे बदल जाएगा टैक्स स्ट्रक्चर?

Upstox

3 min read | अपडेटेड August 19, 2025, 14:50 IST

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सारांश

GST compensation cess कुछ लग्जरी और अहितकर वस्तुओं पर लगाया जाने वाला एक अतिरिक्त टैक्स है। इसे 2017 में इसलिए शुरू किया गया था ताकि GST सिस्टम के लागू होने से राज्यों को रेवेन्यू में जो नुकसान होगा, उसकी भरपाई की जा सके।

Next Gen GST

Next Gen GST: अर्थव्यवस्था को बढ़ावा देने के लिए सरकार ‘नेक्स्ट जेन GST’ लागू करने की तैयारी कर रही है।

Next Gen GST: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने हाल ही में गुड्स एंड सर्विसेज टैक्स (GST) में सुधार के प्रस्ताव की घोषणा की। टैक्स स्ट्रक्चर को सरल बनाने और अर्थव्यवस्था को बढ़ावा देने के लिए सरकार ‘नेक्स्ट जेन GST’ लागू करने की तैयारी कर रही है। यह कदम ऐसे समय उठाया जा रहा है जब GST कंपनसेशन सेस खत्म होने वाला है।

एक अधिकारी ने कहा कि केंद्र सरकार शॉर्ट टर्म समाधान के बजाय GST सिस्टम में लॉन्ग टर्म बदलाव लाने पर विचार कर रही है। पीटीआई के मुतबिक उन्होंने इस कदम को "Reformed and Refined GST" बताया।

GST कंपनसेशन सेस क्या है?

GST कंपनसेशन सेस कुछ लग्जरी और अहितकर वस्तुओं पर लगाया जाने वाला एक अतिरिक्त टैक्स है। इसे 2017 में इसलिए शुरू किया गया था ताकि GST सिस्टम के लागू होने से राज्यों को रेवेन्यू में जो नुकसान होगा, उसकी भरपाई की जा सके। पहले इसे 2022 तक ही लागू रखने की योजना थी, लेकिन कोरोना महामारी के दौरान सरकार को लिए गए कर्ज चुकाने के लिए इसे मार्च 2026 तक बढ़ा दिया गया है।

यह टैक्स लग्जरी सामान जैसे– महंगी कारें (SUV, स्पोर्ट्स कार), लग्जरी घड़ियां, ज्वेलरी, डिजाइनर कपड़ों पर लगाया जाता है। इसके अलावा नुकसान पहुंचाने वाले सामान जैसे – तम्बाकू, सिगरेट, पान मसाला, कोल्ड ड्रिंक्स (शुगर वाली) पर भी यह लगता है।

Next Gen GST में हो सकते हैं ये सुधार

सरकार चाहती है कि टैक्स सिस्टम को और साधारण और आसान बनाया जाए। इसके तहत अब चार स्लैब की जगह सिर्फ दो स्लैब हो सकते हैं। वर्तमान में अलग-अलग सामानों पर 5%, 12%, 18% और 28% का GST लगता है। हालांकि, नई व्यवस्था में सिर्फ दो स्लैब 5% और 18% होंगे।

12% और 28% वाले बहुत से सामान अब 5% या 18% वाले स्लैब में चले जाएंगे। जैसे – पैक्ड फूड, एसी, वॉशिंग मशीन जैसी चीजें सस्ती हो सकती हैं। दूसरी तरफ तम्बाकू जैसे नुकसानदायक सामान पर 40% तक का टैक्स लगाने का विचार है। यानी सिगरेट, पान मसाला और शुगर ड्रिंक्स महंगे हो सकते हैं।

सरकार पहले से ही संभावित विकल्पों पर काम कर रही है। Tax2win के CEO और सह-संस्थापक सीए अभिषेक सोनी के अनुसार, “एक विचार है कि तम्बाकू उत्पादों पर हेल्थ सेस और कोयला व महंगी कारों पर क्लीन एनर्जी सेस लगाया जाए। दूसरा विकल्प यह है कि इस सेस को सीधे GST स्ट्रक्चर में शामिल कर दिया जाए, जिसका मतलब होगा कि लग्जरी और हानिकारक सामानों पर GST स्लैब ऊपर बढ़ाए जाएं।”

WHO का सुझाव

WHO (World Health Organisation) ने 2025 में "3 by 35" पहल शुरू की है। इसमें देशों से कहा गया है कि अगले 10 साल में तम्बाकू, शराब और शुगर वाले ड्रिंक्स पर 50% तक टैक्स बढ़ाएँ। मकसद है कि लोग इन चीजों का कम इस्तेमाल करें और बीमारियों का बोझ घटे।

भारत में इन उत्पादों पर टैक्स दरें GST काउंसिल तय करती है, जिसमें केंद्र और राज्यों/केंद्रशासित प्रदेशों दोनों के प्रतिनिधि शामिल होते हैं। ध्यान देने वाली बात यह है कि मानव उपभोग वाली शराब पर टैक्स लगाने का अधिकार केवल राज्यों के पास है।

वर्तमान में, शुगर युक्त कोल्ड ड्रिंक्स पर 28% GST के साथ 12% कंपनसेशन सेस लगता है। तम्बाकू उत्पादों पर 28% GST और अलग-अलग कंपनसेशन सेस लगता है, जो 290% तक जा सकता है। इसके अलावा, तम्बाकू उत्पादों पर GST और कंपनसेशन सेस के ऊपर भी केंद्रीय शुल्क लगाया जाता है।

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लेखकों के बारे में

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Upstox Hindi News Desk पत्रकारों की एक टीम है जो शेयर बाजारों, अर्थव्यवस्था, वस्तुओं, नवीनतम व्यावसायिक रुझानों और व्यक्तिगत वित्त को उत्साहपूर्वक कवर करती है।

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