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Dhanteras से पहले Gold के रिकॉर्ड हाई का उठाना चाहते हैं फायदा? तुरंत समझ लीजिए प्रॉफिट पर कितना लगता है Tax

Upstox

3 min read | अपडेटेड October 08, 2025, 12:10 IST

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सारांश

सोना निवेश के लिए हमेशा आकर्षक रहा है। धनतेरस से पहले कीमतें रिकॉर्ड हाई पर हैं। लेकिन निवेशक को यह समझना चाहिए कि गोल्ड प्रॉफिट पर टैक्स भी लगता है। फिजिकल गोल्ड, ETFs, गोल्ड म्यूचुअल फंड, SGB या डिजिटल गोल्ड के अलग-अलग टैक्स नियम हैं।

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सोने की कीमतें धनतेरस से पहले रिकॉर्ड लेवल पर पहुंच गई हैं।

सोने और चांदी की कीमतें धनतेरस से पहले फिर से रिकॉर्ड लेवल पर पहुंच गई हैं। MCX पर गोल्ड ने आज सुबह 1,22,740 रुपये का नया हाई बनाया और दोपहर 12 बजे के आसपास यह 1438 रुपये ऊपर उठकर 1,22,549 रुपये प्रति 10 ग्राम पर कारोबार कर रहा था। ऐसे में अगर आप इस तेजी का फायदा उठाकर बेचना चाहते हैं, तो यह समझना जरूरी है कि गोल्ड से होने वाला प्रॉफिट टैक्स से मुक्त नहीं है। यह टैक्स उस निवेश के प्रकार पर निर्भर करता है, चाहे आप फिजिकल गोल्ड, ETFs, म्यूचुअल फंड, डिजिटल गोल्ड या Sovereign Gold Bonds (SGBs) में निवेश कर रहे हों।

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फिजिकल गोल्ड के लिए क्या है नियम?

अगर आप सोने के आभूषण, सिक्के या बार बेचते हैं, तो प्रॉफिट को कैपिटल गेन माना जाएगा। दो साल के अंदर बेचा गया सोना शॉर्ट-टर्म कैपिटल गेन होगा और इसे आपकी आय में जोड़कर आपके स्लैब रेट के हिसाब से टैक्स देना होगा। दो साल के बाद बिक्री होने पर इसे लॉन्ग-टर्म कैपिटल गेन माना जाएगा और 12.5% (सुरचार्ज और सेस के साथ) टैक्स लगेगा। 23 जुलाई 2024 के बाद इंडेक्सेशन का लाभ अब उपलब्ध नहीं है। गोल्ड खरीदते समय 3% GST और मेकिंग चार्ज पर लगभग 5% GST भी लगता है। वहीं, कई फिनटेक प्लेटफॉर्म डिजिटल गोल्ड खरीदने की सुविधा देते हैं। टैक्स के लिहाज से इसे फिजिकल गोल्ड की तरह माना जाता है।

Gold ETFs और म्यूचुअल फंड पर कितना लगता है टैक्स

अगर आप फिजिकल गोल्ड रखने से बचना चाहते हैं, तो ETFs और गोल्ड म्यूचुअल फंड एक अच्छा विकल्प हैं। 1 साल के अंदर बेचने पर प्रॉफिट शॉर्ट-टर्म होगा और स्लैब रेट के हिसाब से टैक्स लगेगा। 1 साल के बाद बेचने पर लॉन्ग-टर्म गेन होगा और 12.5% टैक्स देना होगा।

Sovereign Gold Bonds (SGBs) के लिए अलग है रूल

यह सरकारी बांड हैं और टैक्स प्लानिंग के लिए बेहतरीन हैं। आपको 2.5% वार्षिक ब्याज मिलता है, जिसे आपके स्लैब रेट के हिसाब से टैक्स देना होगा। बांड की मैच्योरिटी पर गोल्ड प्राइस से होने वाला गेन पूरी तरह टैक्स फ्री है। अगर आप एक्सचेंज पर बांड को मैच्योरिटी से पहले बेचते हैं, तो शॉर्ट-टर्म या लॉन्ग-टर्म कैपिटल गेन लागू होगा।

ग्लोबल लेवल पर भी सोने की कीमतें लगातार बढ़ रही हैं। इसके पीछे मार्केट की अस्थिरता, भू-राजनीतिक तनाव, ट्रेड डिल्यूशन और सेंट्रल बैंक की भारी खरीद प्रमुख कारण हैं। भारत में त्योहारों के समय सोने की मांग बढ़ जाती है, जिससे कीमतें और ऊपर जाती हैं। इसलिए, अगर आप धनतेरस पर गोल्ड बेचने का सोच रहे हैं, तो प्रॉफिट पर लगने वाले टैक्स और निवेश के तरीके को ध्यान में रखना बहुत जरूरी है।

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लेखकों के बारे में

Upstox
Upstox Hindi News Desk पत्रकारों की एक टीम है जो शेयर बाजारों, अर्थव्यवस्था, वस्तुओं, नवीनतम व्यावसायिक रुझानों और व्यक्तिगत वित्त को उत्साहपूर्वक कवर करती है।

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