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4 min read | अपडेटेड May 29, 2025, 14:12 IST
सारांश
घर में अगर आपका बेकार सोना पड़ा है, मतलब जिसका आप इस्तेमाल नहीं करते हैं, तो ऐसे में आप इस गोल्ड से ब्याज भी कमा सकते हैं। चलिए समझते हैं कि स्वर्ण मुद्रीकरण योजना यानी कि Gold Monetisation Scheme क्या है और इसके फायदे क्या हैं?
स्वर्ण मुद्रीकरण योजना क्या है, इसके फायदे क्या-क्या हैं?
Gold Monetisation Scheme (GMS) यानी कि स्वर्ण मुद्रीकरण योजना का ऐलान भारत सरकार ने सितंबर 2015 में किया था। इस स्कीम के तहत लोग अपने बेकार पड़े सोने को जमा करके पैसे कमा सकते हैं। दरअसल इसमें आपको अपने गोल्ड को बैंक में जमा करना होता है और उस पर आपको ब्याज मिलता है। चलिए समझते हैं कि आखिर GMS है क्या, इसके फायदे क्या हैं और इस पर कितना ब्याज मिलता है और इसके लिए पात्रता क्या है?
GMS के जरिए व्यक्ति और संगठन अपने गोल्ड रिजर्व का फायदा उठा सकते हैं। GMS में पिछली ‘गोल्ड डिपॉजिट स्कीम’ और ‘गोल्ड मेटल लोन’ स्कीम शामिल हैं, जिन्हें GMS में नया रूप दिया गया है और एक साथ जोड़ा गया है। GMS का उद्देश्य संस्थानों या परिवारों द्वारा रखे गए सोने को जुटाना और प्रोडक्टिव उद्देश्यों के लिए इसके इस्तेमाल को सुविधाजनक बनाना है, जिससे लंबे समय में सोने के इंपोर्ट पर देश की निर्भरता कम हो सके।
Gold Monetisation Scheme में इन्वेस्ट करना व्यक्तियों और संस्थाओं के लिए एक अच्छा ऑप्शन है क्योंकि यह गोल्ड को सुरक्षित रखता है। Gold Monetisation Scheme एक सेविंग्स बैंक अकाउंट की तरह काम करता है और बैंक लॉकरों को भुगतान की जाने वाली फीस को बचाता है जहां गोल्ड को सुरक्षा के लिए रखा जाता है। Gold Monetisation Scheme के तहत, किसी व्यक्ति/संस्था के पास गोल्ड के सेविंग अकाउंट में गोल्ड जमा करने और उस पर ब्याज कमाने का ऑप्शन होता है। हालांकि, यह ध्यान रखना चाहिए कि कोई व्यक्ति सोने के आभूषणों को जमा नहीं कर सकता है जिसमें अन्य धातु या पत्थर जड़े हों।
एलिजिबल व्यक्ति बैंक सेविंग्स अकाउंट में गोल्ड जमा कर सकते हैं और Gold Monetisation Scheme के तहत जमा किए गए सोने पर ब्याज हासिल कर सकते हैं। Gold Monetisation Scheme के तहत अर्जित ब्याज का भुगतान सोने या नकद के बराबर किया जाता है। Gold Monetisation Scheme डिपॉजिट/इन्वेस्टमें मैच्योरिटी की डेट पर गोल्ड की वैल्यू के बराबर मूलधन को गोल्ड या कैश में चुकाने का ऑप्शन देता है। हालांकि, जमा किए गए सोने के आभूषणों का पुनर्भुगतान मैच्योरिटी के समय एक अलग रूप में हो सकता है, जैसे कि सिक्का या बुलियन। गोल्ड उसी रूप में नहीं दिया जा सकता है जिस रूप में जमा किया गया था।
रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (RBI) यानी कि भारतीय रिजर्व बैंक ने Gold Monetisation Scheme के लिए पात्रता मानदंड बताए हैं। जीएमएस में गोल्ड डिपॉजिट करने के लिए पात्रता कुछ इस तरह है-
इंडिविजुअल्स
Hindu Undivided Family (HUFs)
प्रॉपराइटरशिप
पार्टनरशिप फर्म
कंपनियां
ट्रस्ट, जिसमें सेबी (म्यूचुअल फंड) विनियमों के तहत पंजीकृत एक्सचेंज-ट्रेडेड फंड और म्यूचुअल फंड शामिल हैं
धर्मार्थ संस्थाएं
केंद्र सरकार, राज्य सरकारें या केंद्र या राज्य सरकार के स्वामित्व वाली कोई अन्य संस्था
आरबीआई ने यह भी कहा है कि दो या अधिक पात्र मालिक GMS के तहत संयुक्त जमा कर सकते हैं। संयुक्त जमाकर्ताओं के मामले में, बैंक निवेशकों द्वारा एक साथ खोले गए संयुक्त जमा खातों में ब्याज जमा करेगा।
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