पर्सनल फाइनेंस
3 min read | अपडेटेड July 03, 2025, 12:46 IST
सारांश
Employee State Insurance Scheme: इस योजना में कर्मचारी और नियोक्ता (employer) दोनों को पैसे जमा करने होते हैं। इस स्कीम के तहत साल 2024-25 में कर्मचारी अपनी सैलरी का 0.75% जमा करता है। वहीं, नियोक्ता कर्मचारी की सैलरी का 3.25% जमा करता है। ये दरें समय-समय पर बदली जा सकती हैं।
Employee State Insurance Scheme: इसमें मेडिकल केयर, फाइनेंशियल बेनिफिट्स और बेरोजगारी भत्ता समेत कई तरह की सुविधाएं शामिल हैं।
कर्मचारी राज्य बीमा योजना (ESIS) एक सोशल सिक्योरिटी स्कीम है। इसका फायदा बीमित कर्मचारियों और उनके परिवार के सदस्यों को मिलता है। इसमें मेडिकल केयर, फाइनेंशियल बेनिफिट्स और बेरोजगारी भत्ता समेत कई तरह की सुविधाएं शामिल हैं। अगर किसी कंपनी या संस्थान में 10 या उससे ज्यादा कर्मचारी काम करते हैं, तो वहां ESI (Employees' State Insurance) योजना लागू होती है। हालांकि, महाराष्ट्र और चंडीगढ़ में ये योजना तभी लागू होती है जब वहां कम से कम 20 कर्मचारी काम करते हों।
इस योजना में कर्मचारी और नियोक्ता (employer) दोनों को पैसे जमा करने होते हैं। इस स्कीम के तहत साल 2024-25 में कर्मचारी अपनी सैलरी का 0.75% जमा करता है। वहीं, नियोक्ता कर्मचारी की सैलरी का 3.25% जमा करता है। ये दरें समय-समय पर बदली जा सकती हैं।
इस स्कीम के अंतर्गत ₹21000 तक कमाने वाले कर्मचारी आते हैं। विकलांग कर्मचारियों के लिए यह सीमा ₹25000 है। इसके अलावा, इसके लिए कोई आयु सीमा नहीं है।
ESIC योजना की शुरुआत Employees’ State Insurance Act, 1948 के तहत हुई थी। शुरुआत में इसे सिर्फ ऐसे कारखानों (factories) में लागू किया गया था जहां 10 या उससे अधिक स्थायी कर्मचारी काम करते हों और वो सीजनल न हों। बाद में इसे दुकानें, होटल, रेस्टोरेंट, ट्रांसपोर्ट संस्थान आदि जैसे कई अन्य व्यवसायों में भी लागू कर दिया गया।
ESIC अस्पताल सरकार द्वारा चलाए जाते हैं। ये अस्पताल ESI योजना से जुड़े कर्मचारियों और उनके परिवारों को सस्ता या मुफ्त इलाज देते हैं। ESIS योजना के तहत बीमित व्यक्ति और उसके परिवार को पूरी तरह मुफ्त और व्यापक मेडिकल सुविधा दी जाती है। इलाज पर कोई खर्च की सीमा नहीं होती। रिटायर्ड या स्थायी रूप से दिव्यांग कर्मचारी और उनके जीवनसाथी को भी यह सुविधा मिलती है। इसके लिए सालाना सिर्फ ₹120 का भुगतान करना होता है।
देशभर में 150 से ज्यादा ESIC अस्पताल, करीब 42 अस्पताल अन्नेक्स, 1,450 से ज्यादा डिस्पेंसरी, 188 आयुष इकाइयां, और 954 पैनल क्लीनिक हैं। मुंबई, दिल्ली, कोलकाता, चेन्नई और इंदौर में एक-एक ऑक्यूपेशनल डिजीज सेंटर भी है। ESIC अब अपनी सेवाओं का विस्तार कर रहा है और जल्द ही आयुष्मान भारत योजना से जुड़े निजी और धर्मार्थ अस्पतालों में भी मुफ्त इलाज शुरू कर सकता है।
यदि कर्मचारी डॉक्टर द्वारा प्रमाणित बीमारी के चलते छुट्टी लेता है, तो उसे 91 दिनों तक साल में 70% वेतन दिया जाता है। इसके लिए ज़रूरी है कि उसने पिछले 6 महीने में कम से कम 78 दिन योगदान दिया हो।
गर्भावस्था या बच्चे के जन्म पर महिला कर्मचारी को 26 हफ्तों तक पूरा वेतन मिलता है। मेडिकल सलाह के अनुसार इसे 1 महीने तक बढ़ाया जा सकता है। इसके लिए पिछले दो योगदान अवधि में कम से कम 70 दिन योगदान देना जरूरी है।
अगर कर्मचारी अस्थायी रूप से विकलांग हो जाता है, तो जब तक वह ठीक नहीं होता, उसे 90% वेतन दिया जाता है। अगर वह स्थायी रूप से विकलांग हो जाता है, तो उसे जीवनभर 90% वेतन मिलता रहेगा।
ESIC ने शिमला, हिमाचल प्रदेश में आयोजित 196वीं ESI निगम बैठक के दौरान नियोक्ता और कर्मचारियों के रजिस्ट्रेशन को बढ़ावा देने की योजना - SPREE 2025 को मंजूरी दे दी है। SPREE का फुल फॉर्म है- स्कीम फॉर प्रमोशन ऑफ रजिस्ट्रेशन ऑफ एम्प्लॉयर एंड एमप्लॉयीज। यह योजना 1 जुलाई से 31 दिसंबर 2025 तक लागू रहेगी। यह स्कीम सभी कर्मचारियों को नामांकन करने का मौका प्रदान करती है।
(डिस्क्लेमर: यहां मुहैया जानकारी सिर्फ सूचना के लिए दी जा रही है। कोई भी फैसला लेने से पहले एक्सपर्ट से सलाह लें।)
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