पर्सनल फाइनेंस
4 min read | अपडेटेड October 20, 2025, 13:55 IST
सारांश
दिवाली पर निवेश की सोच रहे हैं? यह खबर आपको सस्ते म्यूचुअल फंड खोजने में मदद करेगी। जानें कैसे कम एक्सपेंस रेशियो (खर्च) वाले फंड्स चुनकर आप अपना खर्च घटा सकते हैं और भविष्य में शानदार रिटर्न पा सकते हैं।
दिवाली पर सही म्यूचुअल फंड चुनकर अपने निवेश को दें ग्रोथ का तोहफा।
दिवाली का मौका है, घर की सफाई के साथ-साथ अपने फाइनेंशियल पोर्टफोलियो की सफाई और उसमें नए निवेश का भी यह सही समय है। ज्यादातर लोग दिवाली पर सोना, प्रॉपर्टी या फिक्स्ड डिपॉजिट में निवेश करते हैं, लेकिन महंगाई को मात देने वाले रिटर्न के लिए म्यूचुअल फंड एक बेहतरीन विकल्प है। लेकिन, सिर्फ फंड में पैसा लगा देना काफी नहीं है। जरूरी है कि आप 'सस्ता' और 'अच्छा' फंड चुनें। 'सस्ता' मतलब कम खर्चीला फंड, जो लंबे समय में आपके रिटर्न को 'बंपर' बना सकता है। आइए समझते हैं कि कम लागत में शानदार प्रदर्शन करने वाले फंड्स की पहचान कैसे करें।
जब हम 'सस्ते' म्यूचुअल फंड की बात करते हैं, तो हमारा मतलब कम NAV (नेट एसेट वैल्यू) वाले फंड से बिलकुल नहीं होता। 'सस्ता' या 'महंगा' होने का असली पैमाना 'एक्सपेंस रेशियो' (Expense Ratio) होता है।
एक्सपेंस रेशियो वह सालाना फीस होती है, जो म्यूचुअल फंड कंपनी (AMC) आपके पैसे को मैनेज करने के लिए लेती है। इसमें फंड मैनेजर की फीस, एडमिनिस्ट्रेटिव खर्च और अन्य लागतें शामिल होती हैं। यह आपके कुल निवेश की वैल्यू से काटा जाता है। उदाहरण के लिए, अगर किसी फंड का एक्सपेंस रेशियो 2% है, तो आपके 1 लाख के निवेश पर हर साल 2000 रुपये फीस के तौर पर कट जाएंगे, चाहे फंड ने मुनाफा कमाया हो या नुकसान। इसलिए, जितना कम एक्सपेंस रेशियो, निवेशक के लिए उतना ही ज्यादा मुनाफा।
कम लागत वाला फंड खोजने का सबसे आसान तरीका 'डायरेक्ट' प्लान (Direct Plan) चुनना है। हर म्यूचुअल फंड स्कीम के दो प्लान होते हैं: रेगुलर (Regular) और डायरेक्ट (Direct)।
रेगुलर प्लान आप किसी ब्रोकर, एजेंट या डिस्ट्रीब्यूटर के जरिए खरीदते हैं। इसमें फंड कंपनी उस एजेंट को कमीशन देती है, और यह कमीशन आपके एक्सपेंस रेशियो में जोड़ दिया जाता है। इसलिए रेगुलर प्लान का एक्सपेंस रेशियो हमेशा ज्यादा (जैसे 1.5% से 2.5%) होता है।
दूसरी ओर, डायरेक्ट प्लान आप सीधे फंड कंपनी की वेबसाइट या कुछ खास इन्वेस्टमेंट ऐप से खरीदते हैं। इसमें कोई बिचौलिया (एजेंट) नहीं होता, इसलिए कोई कमीशन नहीं लगता। डायरेक्ट प्लान का एक्सपेंस रेशियो बहुत कम (जैसे 0.5% से 1%) होता है। दोनों प्लान का पोर्टफोलियो और फंड मैनेजर एक ही होता है, लेकिन कम खर्च के कारण डायरेक्ट प्लान में हमेशा 1% से 1.5% तक ज्यादा रिटर्न मिलता है।
अक्सर नए निवेशक सोचते हैं कि 10 रुपये की NAV वाला फंड, 1000 रुपये की NAV वाले फंड से 'सस्ता' है। यह सबसे बड़ी गलतफहमी है। NAV सिर्फ फंड की एक यूनिट की कीमत बताती है।
आपने दो अलग-अलग फंड में 10,000 रुपये लगाए। फंड A की NAV 10 रुपये है (आपको 1000 यूनिट मिले) और फंड B की NAV 1000 रुपये है (आपको 10 यूनिट मिले)। अगर दोनों फंड 10% बढ़ते हैं, तो फंड A की NAV 11 रुपये हो जाएगी (1000 x 11 = 11,000 रुपये) और फंड B की NAV 1100 रुपये हो जाएगी (10 x 1100 = 11,000 रुपये)। दोनों ही सूरतों में आपका पैसा 10,000 से 11,000 हो गया। इसलिए NAV देखकर नहीं, बल्कि फंड के पिछले प्रदर्शन और एक्सपेंस रेशियो देखकर फैसला लें।
म्यूचुअल फंड आपके पैसे को कहां निवेश करना है, इसका फैसला फंड मैनेजर करता है। वह आपके निवेश रूपी जहाज का कप्तान होता है। इसलिए, फंड मैनेजर का ट्रैक रिकॉर्ड जांचना बहुत जरूरी है।
देखें कि फंड मैनेजर को कितना अनुभव है। उन्होंने बाजार के उतार-चढ़ाव (जैसे 2020 की गिरावट) में फंड को कैसे संभाला है? क्या फंड ने अपने बेंचमार्क (जैसे निफ्टी 50) से लगातार बेहतर प्रदर्शन किया है? एक अनुभवी और स्थिर फंड मैनेजर, कम एक्सपेंस रेशियो के साथ मिलकर, आपके निवेश को शानदार रिटर्न दे सकता है।
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