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  1. Cost Inflation Index: क्या है CII? कई साल बाद जमीन-घर की बिक्री पर कैसे बचेगा टैक्स? समझें पूरा कैलकुलेशन

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Cost Inflation Index: क्या है CII? कई साल बाद जमीन-घर की बिक्री पर कैसे बचेगा टैक्स? समझें पूरा कैलकुलेशन

Upstox

3 min read | अपडेटेड July 03, 2025, 13:58 IST

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सारांश

Cost Inflation Index: कॉस्ट इनफ्लेशन इंडेक्स (CII) केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड (CBDT) द्वारा हर साल जारी किया जाता है। इसकी मदद से टैक्सपेयर्स LTCG की गणना करने से पहले इनफ्लेशन के प्रभाव को एडजस्ट करते हुए एसेट की नई खरीद मूल्य निकाल सकते हैं।

Cost Inflation Index

Cost Inflation Index: CII की मदद से आपको केवल असल मुनाफे पर ही टैक्स देना पड़ेगा।

Income Tax: अगर आप जमीन, घर या लंबे समय से रखे गए शेयर बेचते हैं तो होने वाले मुनाफे पर आपको लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन (LTCG) टैक्स देना पड़ेगा। आमतौर पर लंबे समय के बाद एसेट की वैल्यू कई गुना बढ़ जाती है, जिससे आपका मुनाफा भी काफी अधिक हो सकता है। वैल्यू कई गुना बढ़ने की एक वजह महंगाई भी है। ऐसे में आपको इस मुनाफे पर अच्छा-खासा टैक्स देना पड़ सकता है।

हालांकि, कॉस्ट इनफ्लेशन इंडेक्स (CII) की मदद से आप इनफ्लेशन के प्रभाव को एडजस्ट कर सकते हैं और इस भारी-भरकम टैक्स से राहत पा सकते हैं। यहां हमने बताया है कि यह CII क्या है और आप इसका फायदा कैसे उठा सकते हैं।

कॉस्ट इनफ्लेशन इंडेक्स (CII) क्या है?

कॉस्ट इनफ्लेशन इंडेक्स (CII) केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड (CBDT) द्वारा हर साल जारी किया जाता है। इसकी मदद से टैक्सपेयर्स LTCG की गणना करने से पहले इनफ्लेशन के प्रभाव को एडजस्ट करते हुए एसेट की नई खरीद मूल्य निकाल सकते हैं।

सरल शब्दों में इसका मतलब यह है कि CII की मदद से आपको केवल असल मुनाफे पर ही टैक्स देना पड़ेगा। वहीं, महंगाई के चलते बढ़ी कीमत पर आप टैक्स देने से बच जाएंगे।

सरकार ने वित्त वर्ष 2025-26 के लिए CII को "376" तय किया है, जबकि वित्त वर्ष 2024-25 में यह "363" था। इस अपडेटेड इंडेक्स का इस्तेमाल वित्त वर्ष 2025-26 के दौरान बेची गई लॉन्ग टर्म कैपिटल एसेट्स के इंडेक्स्ड कॉस्ट की गणना करने के लिए किया जाएगा।

CII से कैसे होगा फायदा, उदाहरण से समझें

मान लीजिए कि आपने 2006-07 में ₹3,00,000 में एक प्रॉपर्टी खरीदी थी, जब CII 122 था। आप इसे इस साल यानी 2025-26 में बेचने की योजना बना रहे हैं, जब CII 376 है। अब इनफ्लेशन को एडजस्ट करने के बाद प्रॉपर्टी की असल कीमत निकालनी होगी। जिसका फॉर्मूला है-

  • Indexed Cost = (CII of sale year / CII of purchase year) × Actual purchase price
  • यानी इंडेक्सेशन के बाद कॉस्ट = (376/122) × ₹3,00,000 = ₹9,24,590

इस तरह आपकी प्रॉपर्टी की असल कीमत मौजूदा समय 9,24,590 रुपये है। मान लीजिए आप इस प्रॉपर्टी को 12,00,000 रुपये में बेचते हैं।

  • अब लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन होगा = ₹12,00,000 - ₹9,24,590 = ₹2,75,410

इंडेक्सेशन के बिना, कैपिटल गेन ₹9,00,000 होता, क्योंकि प्रॉपर्टी 3 लाख रुपये में खरीदी गई थी और 12 लाख रुपये में बेची गई। इसका मतलब है कि इंडेक्सेशन के बिना आपको ₹9,00,000 रुपये के मुनाफे पर टैक्स देना पड़ता, जबकि इंडेक्सेशन के बाद अब सिर्फ ₹2,75,410 रुपये के मुनाफे पर टैक्स देना पड़ेगा।

(डिस्क्लेमर: यहां मुहैया जानकारी सिर्फ सूचना के लिए दी जा रही है।कोई भी फैसला लेने से पहले हमेशा एक्सपर्ट से सलाह लें।)
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लेखकों के बारे में

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Upstox Hindi News Desk पत्रकारों की एक टीम है जो शेयर बाजारों, अर्थव्यवस्था, वस्तुओं, नवीनतम व्यावसायिक रुझानों और व्यक्तिगत वित्त को उत्साहपूर्वक कवर करती है।

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