पर्सनल फाइनेंस
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3 min read | अपडेटेड November 21, 2025, 13:11 IST
सारांश
10 केंद्रीय श्रमिक संगठनों के एक मंच ने ज्ञापन में कहा कि वेतनभोगी वर्ग के लिए उनके सैलरी पर इनकम टैक्स छूट की अधिकतम सीमा, ईपीएफओ और ईएसआई योगदान और पात्रता के लिए निर्धारित अधिकतम सीमा में पर्याप्त वृद्धि की जानी चाहिए। उन्होंने मांग की कि ग्रेच्युटी की अधिकतम सीमा हटाई जानी चाहिए और पेंशन राशि पर टैक्स नहीं लगाया जाना चाहिए।

बजट 2026 से पहले श्रमिक संगठनों की क्या हैं मांगें?
श्रमिक संगठनों ने सरकार से सामाजिक सुरक्षा चीजों में दिए जाने वाले योगदान पर टैक्स इंटेंसिव देने, पुरानी पेंशन योजना को बहाल करने और ईपीएफओ पेंशनधारकों के लिए मिनिमम पेंशन बढ़ाकर 9,000 रुपये प्रति माह करने का आग्रह किया है। श्रमिक संगठनों के प्रतिनिधियों ने गुरुवार को वित्त मंत्रालय के टॉप अधिकारियों के साथ बजट की तैयारियों के सिलसिले में आयोजित बैठक के दौरान ये मांगें रखीं। 10 केंद्रीय श्रमिक संगठनों के एक मंच ने ज्ञापन में कहा कि वेतनभोगी वर्ग के लिए उनके सैलरी पर इनकम टैक्स छूट की अधिकतम सीमा, ईपीएफओ और ईएसआई योगदान और पात्रता के लिए निर्धारित अधिकतम सीमा में पर्याप्त वृद्धि की जानी चाहिए। उन्होंने मांग की कि ग्रेच्युटी की अधिकतम सीमा हटाई जानी चाहिए और पेंशन राशि पर टैक्स नहीं लगाया जाना चाहिए।
श्रमिक संगठनों सुझाव दिया कि असंगठित और कृषि श्रमिकों के लिए केंद्र सरकार द्वारा प्रायोजित सामाजिक सुरक्षा कोष की स्थापना की जानी चाहिए ताकि उन्हें परिभाषित सार्वभौमिक सामाजिक सुरक्षा योजनाएं दी जा सकें, जिसमें डीए (महंगाई भत्ता) और हेल्थ और एजुकेशन बेनिफिट्स के साथ न्यूनतम 9,000 रुपये प्रति माह पेंशन की सुविधा शामिल हो। उन्होंने आम जनता पर आवश्यक खाद्य वस्तुओं और दवाओं पर जीएसटी का बोझ डालने के बजाय कंपनी टैक्स, एसेट्स टैक्स बढ़ाकर और उत्तराधिकार (इनहेरिटेंस) टैक्स लागू करके संसाधन जुटाने का भी सुझाव दिया।
श्रमिक संगठनों ने कहा कि अति-धनवान व्यक्तियों पर 1% इनहेरिटेंस टैक्स लगाने से भी बजट में भारी राशि आ सकती है। इसका इस्तेमाल एजुकेशन, हेल्थ और अन्य सामाजिक क्षेत्रों के वित्तपोषण के लिए किया जा सकता है। उन्होंने यह भी मांग की कि केंद्र सरकार के विभागों और सार्वजनिक उपक्रमों में सभी मौजूदा वेकेंसियों को तुरंत भरा जाना चाहिए। श्रमिक संगठनों ने सुझाव दिया कि सभी क्षेत्रों में निश्चित अवधि के रोजगार को बंद करके उसकी जगह नियमित रोजगार को लाया जाना चाहिए।
उन्होंने आग्रह किया कि नई पेंशन योजना को खत्म किया जाना चाहिए क्योंकि एकीकृत पेंशन योजना पुरानी पेंशन योजना की जगह नहीं ले सकती और परिभाषित पुरानी पेंशन योजना के लाभ बहाल किए जाने चाहिए। श्रमिक संगठनों ने ईपीएस-95 (कर्मचारी पेंशन योजना-1995) के तहत न्यूनतम पेंशन को 1,000 रुपये से बढ़ाकर 9,000 रुपये करने और इसे महंगाई भत्ते से जोड़ने की भी वकालत की। उन्होंने कहा कि इसके लिए बजटीय आवंटन होना चाहिए। श्रमिक संगठनों ने मांग की कि 8वें वेतन आयोग का तुरंत गठन किया जाए और पेंशनभोगियों को भी इसके दायरे में रखा जाए। उन्होंने यह भी सुझाव दिया कि भारतीय श्रम सम्मेलन, जिसमें केंद्र सरकार भी एक पक्ष है, की सर्वसम्मति से की गई सिफारिश के अनुसार न्यूनतम वेतन 26,000 रुपये प्रति माह (मुद्रास्फीति समायोजन के साथ) से कम नहीं होना चाहिए। श्रमिक संगठनों ने यह भी कहा कि सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों के निजीकरण और राष्ट्रीय मौद्रीकरण पाइपलाइन प्रक्रिया को रोका जाना चाहिए और समाप्त किया जाना चाहिए।
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