पर्सनल फाइनेंस
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3 min read | अपडेटेड November 20, 2025, 14:28 IST
सारांश
बिहार में नीतीश कुमार की सरकार ने महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाने के लिए खजाना खोल दिया है। सरकार 1.5 करोड़ से ज्यादा महिलाओं को रोजगार के लिए आर्थिक मदद देगी। पहले चरण में 10,000 रुपये मिलेंगे और काम अच्छा चलने पर 6 महीने बाद 2 लाख रुपये तक की राशि मिल सकती है। इसके लिए 18 तरह के काम तय किए गए हैं।

बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार
बिहार में एक बार फिर नीतीश कुमार के नेतृत्व वाली एनडीए सरकार बनने के बाद महिला सशक्तिकरण पर जोर दिया जा रहा है। सरकार ने प्रदेश की करीब 1.5 करोड़ महिलाओं को आर्थिक रूप से मजबूत बनाने के लिए एक महत्वाकांक्षी योजना पर काम शुरू किया है। इस योजना के तहत महिलाओं को अपना खुद का रोजगार शुरू करने के लिए 2 लाख रुपये तक की आर्थिक सहायता दी जाएगी। यह राशि एक बार में नहीं, बल्कि किस्तों में मिलेगी ताकि यह सुनिश्चित हो सके कि पैसे का सही इस्तेमाल हो रहा है।
सरकार की इस योजना का मॉडल बहुत ही व्यावहारिक रखा गया है। सबसे पहले आवेदन करने वाली पात्र महिलाओं को छोटा रोजगार शुरू करने के लिए शुरुआती किस्त के रूप में 10,000 रुपये दिए जाएंगे। बिहार विधानसभा चुनाव से पहले काफी सारी महिलाओं के खाते में पैसे आ भी गए हैं। इस राशि से महिलाएं अपने काम के लिए जरूरी कच्चा माल या छोटे उपकरण खरीद सकेंगी। अगर महिला 6 महीने तक अपने रोजगार को अच्छे से चलाती है और उसे लाभ में लाती है, तो वह सरकार से अगली किस्त के लिए आवेदन कर सकती है। काम के विस्तार के लिए सरकार कुल मिलाकर 2 लाख रुपये तक की मदद करेगी।
सरकार ने इस योजना के लिए विशेष रूप से उन कामों को चुना है जो कम लागत में शुरू किए जा सकते हैं और जिनकी मांग स्थानीय बाजार में हमेशा रहती है। खाद्य पदार्थों से जुड़े व्यवसायों में मिठाई और नमकीन बनाना, मसाला उत्पादन, नूडल्स और सेवई बनाना, और पापड़-बड़ी व अचार बनाना शामिल है। ये ऐसे काम हैं जो महिलाएं घर की रसोई से भी शुरू कर सकती हैं।
इसके अलावा दैनिक उपयोग की चीजों और सेवाओं को भी इसमें शामिल किया गया है। इसमें ब्यूटी पार्लर और सैलून खोलना, कपड़े की सिलाई और कढ़ाई करना, लॉन्ड्री या धोबी का काम, और अगरबत्ती व मोमबत्ती बनाना शामिल है। निर्माण और मरम्मत से जुड़े कार्यों में बढ़ई का काम (लकड़ी का सामान), लोहार का काम, गाड़ी या मोबाइल रिपेयरिंग, और ताला-चाबी बनाना भी इस लिस्ट में है।
हस्तशिल्प और पारंपरिक कार्यों को भी बढ़ावा दिया गया है। इसमें मिट्टी के बर्तन बनाना, बांस की टोकरी और चटाई बनाना, सुनार का काम (जेवर बनाना), मूर्तिकारी, पत्थर तराशना, और फूलमाला बनाने का काम शामिल है। सरकार का मानना है कि ये सभी काम ग्रामीण क्षेत्रों में आसानी से फल-फूल सकते हैं।
इस योजना का मुख्य उद्देश्य बिहार के गरीब परिवारों की आय बढ़ाना है। जाति आधारित गणना की रिपोर्ट आने के बाद सरकार ने पाया था कि राज्य में लाखों परिवार गरीबी रेखा के नीचे जी रहे हैं। इस योजना का लाभ उन महिलाओं को मिलेगा जिनकी पारिवारिक आय 6,000 रुपये महीना से कम है। यह राशि अनुदान के रूप में दी जाएगी, जिसे वापस करने की जरूरत नहीं होगी। इससे महिलाएं न केवल अपने पैरों पर खड़ी होंगी बल्कि अपने परिवार का भरण-पोषण भी अच्छे से कर सकेंगी।
इस योजना का लाभ उठाने के लिए उद्योग विभाग की आधिकारिक वेबसाइट पर ऑनलाइन आवेदन किया जा सकता है। समय-समय पर सरकार इसके लिए पोर्टल खोलती है। आवेदन के लिए आधार कार्ड, आय प्रमाण पत्र, निवास प्रमाण पत्र, जाति प्रमाण पत्र और बैंक खाता पासबुक की जरूरत होती है। या नजदीकी जीविका केंद्र या प्रखंड कार्यालय से भी इस बारे में अधिक जानकारी प्राप्त कर सकती हैं।
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