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  1. शादी के 45 साल बाद महिला गोल्ड जूलरी बेचकर खरीदना चाहती है घर, क्या ऐसे में टैक्स से बचा जा सकता है?

पर्सनल फाइनेंस

शादी के 45 साल बाद महिला गोल्ड जूलरी बेचकर खरीदना चाहती है घर, क्या ऐसे में टैक्स से बचा जा सकता है?

rajeev-kumar

4 min read | अपडेटेड May 19, 2025, 08:23 IST

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सारांश

एक महिला है, जिसकी शादी को करीब 45 साल हो चुके हैं। वह इन 45 सालों में जमा की गई गोल्ड जूलरी को बेचकर घर खरीदना चाहती है, तो क्या ऐसे में क्या वह लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन पर टैक्स देने से बच सकती है? चलिए समझने की कोशिश करते हैं।

गोल्ड जूलरी

गोल्ड जूलरी बेचकर घर लेना है, तो क्या टैक्स से बचा जा सकता है?

अपस्टॉक्स की पाठक उषा आर दवे 70 साल की हैं, 1980 में अपनी शादी के बाद से ही उन्होंने अपने पास गोल्ड जूलरी रखी हैं। 45 साल बाद, वह गोल्ड जूलरी को बेचकर रेजिडेंशियल प्रॉपर्टी में इन्वेस्ट करने का प्लान कर रही हैं। हालांकि वह इस बात को लेकर थोड़ा चिंतित हैं कि क्या वह गोल्ड जूलरी को बेचकर मिले पैसे से अगर रेजिडेंशियल प्रॉपर्टी में इन्वेस्ट करती हैं, तो क्या उन्हें टैक्स छूट मिलेगी? उनकी इस परेशानी को चलिए समझने की कोशिश करते हैं और इसका निवारण ढूंढ़ते हैं।

25 अप्रैल को उषा ने अपस्टॉक्स को लिखा, ‘मैं 70 साल की हाउसवाइफ हूं। क्या मुझे अपनी गोल्ड जूलरी को बेचने पर लॉन्ग-टर्म कैपिटल गेन की छूट मिल सकती है, जो मैं 1980 में अपनी शादी के बाद से रख रही हूं, इससे मिला पूरा पैसा मुझे रेजिडेंशियल प्रॉपर्टी में लगाना है?’ सीए डॉ. सुरेश सुराना ने उनके सवाल का जवाब कुछ इस तरह दिया है- हां, निर्धारित शर्तों की संतुष्टि के अधीन, आयकर अधिनियम, 1961 की धारा 54F के तहत गोल्ड जूलरी की बिक्री पर लॉन्ग-टर्म कैपिटल गेन (LTCG) से छूट मिल हो सकती है।

1980 से रखी गई गोल्ड जूलरी लॉन्ग-टर्म कैपिटल गेन के रूप में योग्य हैं क्योंकि उन्हें 24 महीने से अधिक समय तक रखा गया है। धारा 54F व्यक्तिगत और HUF टैक्सपेयर्स को रेजिडेंशियल प्रॉपर्टी के अलावा किसी अन्य लॉन्ग-टर्म कैपिटल गेन को बेचने से होने वाले कैपिटल गेन पर टैक्स बचाने की अनुमति देती है, प्रॉफिट को नए रेजिडेंशियल प्रॉपर्टी में इन्वेस्ट करके। इस तरह से, गोल्ड जूलरी को बेचने से मिले प्रॉफिट को धारा 54F के तहत छूट के रूप में दावा किया जा सकता है, बशर्ते कि ऐसे प्रॉफिट लॉन्ग-टर्म नेचर के हों और मिला हुआ नेट कंसीडरेशन का अमाउंट नीचे लिखी धारा के प्रावधानों के हिसाब से इन्वेस्ट किया गया हो-

1- ऐसी नई हाउस प्रॉपर्टी पुराने घर के ट्रांसफर की डेट से 1 साल पहले या 2 साल बाद के पीरियड के अंदर खरीदी जानी चाहिए या पुराने घर के ट्रांसफर की डेट से 3 साल के पीरियड के अंदर इसका निर्माण किया जाना चाहिए।
2- मूल्यांकनकर्ता को अधिग्रहण या कंस्ट्रक्शन की डेट से 3 साल के पीरियड के लिए नई अधिग्रहीत संपत्ति को ट्रांसफर नहीं करना चाहिए। ऐसे किसी भी ट्रांसफर या रूपांतरण के मामले में, छूट प्राप्त लाभ ऐसे ट्रांसफर या रूपांतरण के साल में टैक्स के अधीन होंगे।
3- कैपिटल एसेट के ट्रांसफर की डेट पर मूल्यांकनकर्ता के पास 1 से अधिक रेजिडेंशियल हाउस प्रॉपर्टी नहीं होनी चाहिए।

4- 2/3 साल की अवधि के दौरान, मूल्यांकनकर्ता को कोई अन्य हाउस प्रॉपर्टी नहीं खरीदनी/कंस्ट्रक्शन नहीं करना चाहिए।

धारा 54F के तहत कैपिटल गेन टैक्स छूट की कैलकुलेशन इस तरह से होगी: छूट राशि = (कैपिटल गेन × न्यू रेजिडेंशियल प्रॉपर्टी में इन्वेस्टमेंट) ÷ नेट सेल प्रतिफल

इसमें, नेट सेल प्रतिफल कैपिटल एसेट को बेचने से मिला अमाउंट है, जिसमें बिक्री से संबंधित किसी भी खर्च को घटाया जाता है।

प्रोपोर्शनल छूट

अगर पूरे कैपिटल गेन को नए एसेट में फिर से इन्वेस्ट किया जाता है, तो टैक्सपेयर कैपिटल गेन टैक्स अमाउंट पर पूरी छूट का दावा कर सकता है। हालांकि, जहां न्यू रेजिडेंशियल प्रॉपर्टी की लागत ₹10 करोड़ से अधिक है, वहां छूट की कैलकुलेशन करते समय ₹10 करोड़ से अधिक की राशि को ध्यान में नहीं रखा जाएगा।

अगर प्रॉफिट का केवल एक हिस्सा इन्वेस्ट किया जाता है, तो केवल ऐसे लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन की प्रपोर्शनेट अमाउंट पर ही छूट मिलेगी।

डिस्क्लेमर: ऊपर व्यक्त किए गए विचार और राय संबंधित विशेषज्ञों/टिप्पणीकारों के हैं और अपस्टॉक्स के विचारों को नहीं दर्शाते हैं। यह आर्टिकल केवल जानकारी देने के उद्देश्य से लिखा गया है और इसे अपस्टॉक्स की ओर से निवेश या टैक्स एडवाइस नहीं माना जाना चाहिए।
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लेखकों के बारे में

rajeev-kumar
Rajeev Kumar Upstox में डेप्युटी एडिटर हैं और पर्सनल फाइनेंस की स्टोरीज कवर करते हैं। पत्रकार के तौर पर 11 साल के करियर में उन्होंने इनकम टैक्स, म्यूचुअल फंड्स, क्रेडिट कार्ड्स, बीमा, बचत और पेंशन जैसे विषयों पर 2,000 से ज्यादा आर्टिकल लिखे हैं। वह 1% क्लब, द फाइनेंशल एक्सप्रेस, जी बिजेनस और हिंदुस्तान टाइम्स में काम कर चुके हैं। अपने काम के अलावा उन्हें लोगों से उनके पर्सनल फाइनेंस के सफर के बारे में बात करना और उनके सवालों के जवाब देना पसंद है।