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  1. महात्मा गांधी नैशनल रूरल एम्प्लॉयमेंट गारंटी स्कीम में आधार-बेस्ड पेमेंट सिस्टम लेकर आया क्रांति, ऐसे मिला लोगों को फायदा

पर्सनल फाइनेंस

महात्मा गांधी नैशनल रूरल एम्प्लॉयमेंट गारंटी स्कीम में आधार-बेस्ड पेमेंट सिस्टम लेकर आया क्रांति, ऐसे मिला लोगों को फायदा

Namita Shukla

2 min read | अपडेटेड August 13, 2025, 12:18 IST

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सारांश

एपीबीएस से महात्मा गांधी नैशनल रूरल एम्प्लॉयमेंट गारंटी स्कीम के तहत मजदूरी वितरण की पारदर्शिता और जवाबदेही में सुधार करने और लाभार्थियों के खाते में मजदूरी का तुरंत से जमा होना सुनिश्चित करने में मदद मिलती है।

महात्मा गांधी NREGS

आधार बेस्ड पेमेंट सिस्टम से कैसे आई महात्मा गांधी NREGS में क्रांति?

महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना (Mahatma Gandhi NREGS) के तहत लाभार्थियों को समय पर मजदूरी का भुगतान सुनिश्चित करने और लाभार्थियों के बैंक अकाउंट नंबर में बार-बार होने वाले बदलाव और उसके बाद उसे अपडेट न करने से पैदा होने वाली मुश्किलों को दूर करने के लिए Aadhaar Payment Bridge System (APBS) यानी कि आधार भुगतान ब्रिज प्रणाली लागू करने का फैसला लिया गया। इसे 1 जनवरी 2024 से अनिवार्य कर दिया गया था।

APBS से कैसे आई क्रांति?

एपीबीएस से योजना के तहत मजदूरी वितरण की पारदर्शिता और जवाबदेही में सुधार करने और लाभार्थियों के खाते में मजदूरी का तुरंत से जमा होना सुनिश्चित करने में मदद मिलती है। आधार प्रमाणीकरण भी फंड को गलत हाथों में जाने से रोकता और भ्रष्टाचार को कम करता है और यह सुनिश्चित करता है कि मजदूरी केवल वेरिफिकेशन पहचान वाले वैध लाभार्थियों को ही मिले। एपीबीएस के जरिए से भुगतान में विफलता की स्थिति में, खाता-आधारित भुगतान के जरिए भुगतान करने का एक ऑप्शनल रास्ता उपलब्ध है, जो नेशनल ऑटोमेटिड क्लियरिंग हाउस है। मौजूदा समय में, कुल 12.12 करोड़ सक्रिय श्रमिकों में से 99.65% आधार सीडिंग का काम पूरा हो चुका है। NREGASoft में 100% आधार सीडिंग और एपीबीएस कनवर्जन प्राप्त करने के लिए केंद्र सरकार द्वारा राज्य / केंद्र शासित प्रदेशों की निरंतर निगरानी की जा रही है।

जब भी कोई मुद्दा राज्य / केंद्र शासित प्रदेश या किसी अन्य हितधारक द्वारा चिह्नित किया जाता है, तो उसे प्राथमिकता के आधार पर हल किया जाता है। महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना (महात्मा गांधी नरेगा) के अंतर्गत निगरानी और मूल्यांकन एक सतत प्रोसेस है। मंत्रालय मिड-टर्म रिव्यू, कॉमन रिव्यू मिशन, लेबर बजट मीटिंग्स, नेशनल लेवल मॉनिटरिंग, वर्चुअल कॉन्फ्रेंस मीटिंग्स और क्षेत्रीय दौरों जैसे अलग-अलग तंत्रों के जरिए एपीबीएस के इम्प्लिमेंटेशन सहित राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों के कार्य निष्‍पादन की नियमित समीक्षा करता है। योजना के प्रभावी कार्यान्वयन हेतु आवश्यकता और अपेक्षाओं के आधार पर समीक्षा और सुधार किए जाते हैं।

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लेखकों के बारे में

Namita Shukla
Namita Shukla is a seasoned journalist with over 15 years of experience in Hindi media. She has worked with some of the most reputed news organizations, including Navbharat Times, Dainik Jagran, Aaj Tak, and Hindustan Times Hindi. Throughout her career, Namita has reported on a wide range of beats such as national affairs, sports, business, and entertainment, bringing clarity and depth to her reporting. In addition to her journalistic work, she is a certified fact-checker by both Google and Meta, underscoring her commitment to accuracy and ethical journalism in the digital age.