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  1. NPS छोड़ UPS की 'गारंटी' में भागे 97,000 कर्मचारी, रेलवे रहा सबसे आगे

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NPS छोड़ UPS की 'गारंटी' में भागे 97,000 कर्मचारी, रेलवे रहा सबसे आगे

Upstox

3 min read | अपडेटेड October 23, 2025, 13:51 IST

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सारांश

PFRDA के नए आंकड़ों से बड़ा खुलासा हुआ है। 14 अक्टूबर तक लगभग 97,000 केंद्रीय कर्मचारियों ने नेशनल पेंशन सिस्टम (NPS) को छोड़कर यूनिफाइड पेंशन स्कीम (UPS) को अपना लिया है। इसमें सबसे ज्यादा सिविल और रेलवे विभाग के कर्मचारी शामिल हैं।

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केंद्रीय कर्मचारी अब NPS की जगह नई पेंशन स्कीम (UPS) को चुन रहे हैं।

केंद्र सरकार के कर्मचारियों के बीच पेंशन को लेकर चल रही बहस के बीच एक बड़ा अपडेट सामने आया है। नेशनल पेंशन सिस्टम (NPS) को लेकर कर्मचारियों की चिंताओं के बीच अब एक नई स्कीम, यूनिफाइड पेंशन स्कीम (UPS), तेजी से जगह बना रही है। पेंशन फंड रेगुलेटरी एंड डेवलपमेंट अथॉरिटी (PFRDA) द्वारा सूचना के अधिकार (RTI) के तहत दी गई जानकारी ने इस ट्रेंड पर मुहर लगा दी है। आंकड़ों के मुताबिक, लगभग एक लाख कर्मचारी पहले ही NPS छोड़कर UPS का दामन थाम चुके हैं।

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क्या कहते हैं PFRDA के आंकड़े?

PFRDA ने RTI के जवाब में जो आंकड़े दिए हैं, वे काफी अहम हैं। 12 अक्टूबर 2025 तक के डेटा के अनुसार, राष्ट्रीय पेंशन सिस्टम (NPS) के तहत कुल 24,66,314 केंद्रीय सरकारी कर्मचारी पंजीकृत हैं। यह एक बहुत बड़ी संख्या है, जो 2004 के बाद भर्ती हुए कर्मचारियों को कवर करती है।

लेकिन, असली खबर इसके बाद के आंकड़ों में है। 14 अक्टूबर 2025 तक, इनमें से कुल 97,094 कर्मचारियों ने NPS से यूनिफाइड पेंशन स्कीम (UPS) में स्विच कर लिया है, यानी माइग्रेट हो गए हैं। यह आंकड़ा यह दिखाता है कि कर्मचारियों का भरोसा UPS की तरफ बढ़ रहा है।

किन विभागों में है UPS की सबसे ज्यादा मांग?

अगर हम विभागवार आंकड़ों को देखें कि किन कर्मचारियों ने NPS को छोड़कर UPS को चुना है, तो तस्वीर और साफ हो जाती है। यह माइग्रेशन लगभग सभी प्रमुख विभागों में देखा गया है।

सिविल विभाग: सबसे ज्यादा 38,569 कर्मचारी सिविल विभागों से हैं, जिन्होंने UPS को चुना है।
रेलवे: दूसरे नंबर पर रेलवे है। रेलवे के 23,529 कर्मचारियों ने NPS छोड़कर UPS में माइग्रेशन किया है।
डाक विभाग: पोस्टल डिपार्टमेंट भी पीछे नहीं है। यहां से 18,303 कर्मचारी नई स्कीम में गए हैं।
डिफेंस (सिविलियन): डिफेंस (सिविलियन) विभाग से 11,144 कर्मचारियों ने यह बदलाव किया है।
टेलीकॉम: टेलीकॉम विभाग से 349 कर्मचारियों ने UPS को अपनाया है।

कुल मिलाकर ये 97,094 कर्मचारी अब NPS की जगह UPS के लाभार्थी बन गए हैं।

आखिर क्यों हो रहा है यह बदलाव?

हालांकि PFRDA के आंकड़ों में यह नहीं बताया गया है कि कर्मचारी यह कदम क्यों उठा रहे हैं, लेकिन इसका अंदाजा लगाना मुश्किल नहीं है। NPS (नेशनल पेंशन सिस्टम) एक बाजार आधारित पेंशन स्कीम है, जिसमें रिटर्न की कोई गारंटी नहीं होती। यह पूरी तरह से बाजार के उतार-चढ़ाव पर निर्भर करता है। यही कारण है कि सरकारी कर्मचारी संघ लंबे समय से इसका विरोध कर रहे हैं और पुरानी पेंशन योजना (OPS) को बहाल करने की मांग कर रहे हैं, जिसमें एक निश्चित अंतिम वेतन के आधार पर गारंटीशुदा पेंशन मिलती थी।

माना जा रहा है कि यूनिफाइड पेंशन स्कीम (UPS) को सरकार ने NPS और OPS के बीच के रास्ते के तौर पर पेश किया है, या यह OPS का ही कोई संशोधित रूप हो सकता है। कर्मचारियों का इतनी बड़ी संख्या में UPS की तरफ जाना यह दिखाता है कि वे बाजार के जोखिम के बजाय एक 'गारंटीशुदा' या 'निश्चित' पेंशन विकल्प को प्राथमिकता दे रहे हैं।

आगे क्या हो सकता है?

अभी NPS में 24.66 लाख से ज्यादा कर्मचारी हैं। अगर 97 हजार कर्मचारियों का यह शुरुआती आंकड़ा एक ट्रेंड में बदलता है, तो आने वाले महीनों में NPS छोड़ने वालों की संख्या तेजी से बढ़ सकती है। यह देखना महत्वपूर्ण होगा कि सरकार UPS को लेकर क्या और स्पष्टीकरण देती है और क्या यह स्कीम कर्मचारियों की 'गारंटीशुदा पेंशन' की मांग को पूरा कर पाती है। फिलहाल, लगभग एक लाख कर्मचारियों ने नई स्कीम पर भरोसा जताकर एक बड़ा संकेत दे दिया है।

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Upstox Hindi News Desk पत्रकारों की एक टीम है जो शेयर बाजारों, अर्थव्यवस्था, वस्तुओं, नवीनतम व्यावसायिक रुझानों और व्यक्तिगत वित्त को उत्साहपूर्वक कवर करती है।

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