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  1. 8th Pay Commission: वेतन में मोबाइल, इंटरनेट जैसे खर्चों को भी किया जाए शामिल, कर्मचारियों ने की नया फॉर्मूला बनाने की मांग

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8th Pay Commission: वेतन में मोबाइल, इंटरनेट जैसे खर्चों को भी किया जाए शामिल, कर्मचारियों ने की नया फॉर्मूला बनाने की मांग

Upstox

3 min read | अपडेटेड November 21, 2025, 18:03 IST

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सारांश

8th Pay Commission: इसके पहले 7th Pay Commission ने न्यूनतम वेतन तय करने के लिए पुराना फॉर्मूला इस्तेमाल किया था, जिसमें मोबाइल, इंटरनेट जैसे आज के जरूरी खर्च शामिल नहीं थे। ऐसे में 8th CPC से मांग की जा रही है कि वह आज की जरूरतों को कवर करने वाला न्यूनतम वेतन तय करे। Staff Side चाहती है कि समय बदल गया है, इसलिए फॉर्मूला भी बदले।

8th Pay Commission

हाल ही में Staff Side (NC-JCM) की मीटिंग हुई, जिसमें उन्होंने 8th Pay Commission को सुझाव देने का फैसला किया।

सरकार ने 8th Pay Commission बनाई है, जिसका काम है कर्मचारियों की सैलरी, भत्तों और सुविधाओं में बदलाव की सिफारिश करना। इसके टर्म्स ऑफ रेफरेंस (TOR) में लिखा है कि 8th CPC ऐसा वेतन ढांचा बनाए जिससे टैलेंटेड लोग सरकारी नौकरी की तरफ आकर्षित हों और काम में जिम्मेदारी, जवाबदेही और एफिशिएंसी बढ़े। लेकिन इसके तहत यह नहीं बताया गया है कि न्यूनतम वेतन तय करने का फॉर्मूला क्या हो। कर्मचारी संगठनों का कहना है कि आज की महंगाई और आधुनिक जरूरतों को देखते हुए एक नया, अपडेटेड फॉर्मूला बनना चाहिए।

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Staff Side की क्या मांग है?

इसके पहले 7th Pay Commission ने न्यूनतम वेतन तय करने के लिए पुराना फॉर्मूला इस्तेमाल किया था, जिसमें मोबाइल, इंटरनेट जैसे आज के जरूरी खर्च शामिल नहीं थे। ऐसे में 8th CPC से मांग की जा रही है कि वह आज की जरूरतों को कवर करने वाला न्यूनतम वेतन तय करे। Staff Side चाहती है कि समय बदल गया है, इसलिए फॉर्मूला भी बदले। अब खाने-कपड़े के साथ मोबाइल, इंटरनेट और डिजिटल खर्च को भी जरूरी माना जाए।

वेतन स्ट्रक्चर में इन चीजों को शामिल करने की उठी मांग

हाल ही में Staff Side (NC-JCM) की मीटिंग हुई, जिसमें उन्होंने 8th Pay Commission को एक सुझाव देने का फैसला किया। उनका कहना है कि न्यूनतम सैलरी तय करते समय सिर्फ खाने-पीने और कपड़े पर खर्च नहीं, बल्कि आज की जिंदगी की जरूरतें भी शामिल की जाएं। उनके हिसाब से इन चीजों को जोड़ना जरूरी है-

  • एक वयस्क को रोजाना कितनी कैलोरी चाहिए
  • परिवार का आकार (कितने लोग)
  • खाने और गैर-खाने की चीजें
  • कपड़ों का खर्च
  • इन सब चीजों की असल कीमत, जो सरकारी राशन दुकानों और राज्य सरकार की को-ऑपरेटिव दुकानों से ली जाए
  • त्योहार, शादी जैसे सामाजिक खर्च
  • आज की तकनीकी जरूरतें जैसे मोबाइल, वाई-फाई, इंटरनेट आदि

7th Pay Commission में क्या था फॉर्मूला?

7th Pay Commission का भी TOR लगभग ऐसा ही था। लेकिन उस समय न्यूनतम वेतन तय करने के लिए पुराना नियम 1957 का भारतीय श्रम सम्मेलन (ILC) का फॉर्मूला इस्तेमाल किया गया था। ILC नियम कहता है कि एक कर्मचारी की सैलरी उसके, उसकी पत्नी और दो बच्चों की जरूरतें पूरी कर सके।

7th CPC ने जिन जरूरतों को सैलरी में जोड़ा था उनमें अनाज (चावल/गेहूं), दाल कच्ची सब्जियां, हरी सब्जियां, बाकी सब्जियां, फल, दूध, चीनी/गुड़, तेल, मांस, मछली, अंडा, डिटर्जेंट, कपड़े, ईंधन (fuel), बिजली-पानी, घर का खर्च, त्योहार और शादी का खर्च, स्किल ट्रेनिंग और मनोरंजन शामिल हैं।

7th CPC ने कहा कि यह "नीड-बेस्ड" वेतन है, यानी इंसान की जरूरतों पर आधारित। यह तरीका एक सम्मानजनक जिंदगी देने के लिए सही है। ILC के इस फॉर्मूले में आज की तकनीकी जरूरतें जैसे मोबाइल फोन, इंटरनेट, वाई-फाई, और ऑनलाइन पढ़ाई या काम के लिए जरूरी चीजें शामिल नहीं थी।

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