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4 min read | अपडेटेड October 03, 2025, 11:21 IST
सारांश
WeWork India का IPO पूरी तरह ऑफर फॉर सेल (OFS) पर बेस्ड है, जिसका मतलब है कि आईपीओ से कंपनी को कोई आय नहीं मिलेगी। अगर आप इस पब्लिक इश्यू में निवेश का मन बना रहे हैं तो इसके पहले आपको कंपनी से जुड़े रिस्क फैक्टर्स के बारे में जान लेना चाहिए।
WeWork India IPO: WeWork India का बिजनेस मॉडल को-वर्किंग स्पेस पर आधारित है।
वीवर्क इंडिया का आईपीओ पूरी तरह ऑफर फॉर सेल (OFS) पर बेस्ड है, जिसका मतलब है कि आईपीओ से कंपनी को कोई आय नहीं मिलेगी। अगर आप इस पब्लिक इश्यू में निवेश का मन बना रहे हैं तो इसके पहले आपको कंपनी से जुड़े रिस्क फैक्टर्स के बारे में जान लेना चाहिए।
WeWork India का बिजनेस मॉडल को-वर्किंग स्पेस पर आधारित है। कंपनी इस समय 8 शहरों में 68 सेंटर चलाती है और लगभग 7.35 मिलियन वर्ग फीट जगह लंबे समय की लीज पर ली हुई है। भारत में लगभग 500 फ्लेक्सिबल वर्कस्पेस ऑपरेटर्स मौजूद हैं और इस सेगमेंट में Awfis Space Solutions फिलहाल एकमात्र लिस्टेड कंपनी है। लेकिन इस IPO के साथ कई रिस्क भी जुड़े हैं। यहां सभी रिस्क फैक्टर्स के बारे में समझेंगे।
WeWork India के IPO में कंपनी को कोई नया पैसा नहीं मिलेगा। यह एक OFS है, जिसमें मौजूदा शेयरहोल्डर्स अपने शेयर बेचकर बाहर निकलेंगे। Promoter Embassy Buildcon LLP लगभग 3.54 करोड़ शेयर बेचेगा, जबकि WeWork International (Ariel Way Tenant Ltd) करीब 1.089 करोड़ शेयर बेचेगा। अभी Embassy Buildcon के पास कंपनी में 73.56% और WeWork International के पास 22.64% हिस्सेदारी है।
सबसे बड़ा रिस्क कानूनी केस का है। Promoter और चेयरमैन Jitendra Virwani के खिलाफ 2014 से ED का मनी लॉन्ड्रिंग केस चल रहा है। अगर फैसला नेगेटिव आता है, तो कंपनी की छवि और निवेशकों का भरोसा प्रभावित हो सकता है।
ग्रुप की दूसरी कंपनी Embassy Office Parks Management Services को SEBI ने कारण बताओ नोटिस भेजा है, जो सीधे WeWork India से जुड़ा न होने पर भी निवेशकों की धारणा को प्रभावित कर सकता है।
एक और जोखिम यह है कि Promoter के कुछ शेयर कर्ज के बदले गिरवी रखे गए हैं। अगर किसी कारण से डिफॉल्ट हुआ तो ये शेयर जब्त हो सकते हैं और Promoter की हिस्सेदारी घट सकती है, जिससे शेयर की कीमत पर दबाव आ सकता है।
WeWork India का बिजनेस मॉडल भी भारी फिक्स्ड कॉस्ट वाला है क्योंकि कंपनी ज्यादातर जगह खुद खरीदने की बजाय लंबे समय के लीज एग्रीमेंट पर लेती है। ऐसे में अगर Occupancy घट गई, ग्राहक कम हुए, या मकान मालिकों ने शर्तें बदल दीं, तो कंपनी की कमाई पर सीधा असर पड़ेगा।
WeWork India को FY23, FY24 और Q1 FY25 में लगातार घाटा हुआ है और कैश रिजर्व भी घट रहे हैं, जिससे यह सवाल उठता है कि लंबे समय तक यह मॉडल कितना टिकाऊ रहेगा।
क्रेडिट रेटिंग फिलहाल A- (Stable) है, जो पहले BBB थी। हालांकि यह अपग्रेड है, लेकिन अगर रेटिंग फिर से डाउनग्रेड होती है तो कंपनी के लिए फंड जुटाना महंगा हो जाएगा। यह खतरनाक हो सकता है क्योंकि इस बिजनेस में लगातार लीज रेंट और मेंटेनेंस पर बड़ा खर्च होता है।
भारत में लगभग 500 प्लेक्सिबल वर्कस्पेस ऑपरेटर मौजूद हैं, जिससे प्राइसिंग पर दबाव रहता है। बड़े क्लाइंट्स और MNC कंपनियां अक्सर कीमत पर सख्त नेगोशिएशन करती हैं, इसलिए कंपनी के लिए मार्जिन बनाए रखना मुश्किल हो सकता है। साथ ही यह पूरा बिजनेस रियल एस्टेट मार्केट पर निर्भर है। अगर ऑफिस स्पेस की डिमांड घटी, रेंटल प्राइस कम हुए या अर्थव्यवस्था धीमी पड़ी, तो WeWork India की कमाई सीधे प्रभावित होगी।
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