return to news
  1. फंडामेंटल + टेक्निकल के 'चक्रव्यूह' को भेद देगा यह फॉर्मूला, देखते ही देखते जगमगा उठेगा पोर्टफोलियो

मार्केट न्यूज़

फंडामेंटल + टेक्निकल के 'चक्रव्यूह' को भेद देगा यह फॉर्मूला, देखते ही देखते जगमगा उठेगा पोर्टफोलियो

विकास तिवारी

4 min read | अपडेटेड October 20, 2025, 13:37 IST

Twitter Page
Linkedin Page
Whatsapp Page

सारांश

दिवाली 2025 पर जानें वो स्मार्ट तरीका, जो आने वाले सालो में कमाल का रिटर्न दे सके। इसमें सिर्फ कंपनी के फंडामेंटल्स (मुनाफा, कर्ज) ही नहीं, बल्कि टेक्निकल (RSI, EMA) भी देखे जाते हैं। यह 'डबल फिल्टर' स्ट्रैटेजी आपको विनर बनाएगी।

stock-selection-strategy-diwali-2025-fundamental-technical-analysis-smart-investing

एक स्मार्ट निवेशक हमेशा स्टॉक के फंडामेंटल और टेक्निकल दोनों चार्ट्स को परखकर ही निवेश करता है।

दिवाली 2025 के इस पावन अवसर पर हर निवेशक यही सपना देख रहा है कि उसका पोर्टफोलियो आने वाले सालो में रॉकेट की तरह बढ़े। हर कोई मल्टीबैगर स्टॉक्स की तलाश में है। लेकिन सवाल यह है कि ऐसे स्टॉक्स को चुनें कैसे? बाजार में निवेश करने के लिए स्टॉक एनालिसिस के दो मुख्य तरीके हैं- फंडामेंटल एनालिसिस और टेक्निकल एनालिसिस। ज्यादातर रिटेल निवेशक इन दोनों में से सिर्फ एक ही चीज पर ध्यान देते हैं और यही उनकी सबसे बड़ी गलती होती है।

Open FREE Demat Account within minutes!
Join now

कुछ निवेशक सिर्फ फंडामेंटल्स देखते हैं और अच्छी कंपनी का शेयर महंगा खरीदकर सालों तक फंसे रहते हैं। वहीं, कुछ लोग सिर्फ टेक्निकल चार्ट देखकर किसी भी 'ब्रेकआउट' स्टॉक में पैसा लगा देते हैं और बाद में पता चलता है कि कंपनी ही कर्ज में डूबी थी।

कैसे बनेंगे स्मार्ट निवेशक?

लेकिन 'स्मार्ट' निवेशक इन दोनों तरीकों का एक 'स्मार्ट' स्ट्रेटजी में बदलकर इस्तेमाल करते हैं। वे फंडामेंटल्स का इस्तेमाल यह तय करने के लिए करते हैं कि 'क्या' खरीदना है, और टेक्निकल्स का इस्तेमाल यह जानने के लिए करते हैं कि 'कब' खरीदना है। आज दिवाली पर, आइए अगली दिवाली और आने वाले सालों के लिए तक तगड़ा रिटर्न पाने के 'स्मार्ट' तरीके को समझते हैं।

पहला फिल्टर क्या है?

फंडामेंटल्स यानी ये पता करे कि कंपनी की सेहत कैसी है? यह आपका पहला कदम है। इससे आप हजारों लिस्टेड कंपनियों में से कचरे को बाहर निकालकर अच्छी और मजबूत कंपनियों की एक 'वॉचलिस्ट' बनाते हैं। इसमें आपको सिर्फ 4 मुख्य चीजों पर ध्यान देना है:

प्रॉफिट ग्रोथ (मुनाफे में बढ़त): क्या कंपनी लगातार मुनाफा कमा रही है? क्या उसका मुनाफा साल-दर-साल (YoY) और तिमाही-दर-तिमाही (QoQ) बढ़ रहा है? जो कंपनी मुनाफा नहीं कमा रही, वह निवेशक को क्या ही कमाकर देगी।
कर्ज (Debt): कंपनी पर कर्ज कितना है? हमेशा 'डेट-टू-इक्विटी' रेश्यो (Debt-to-Equity Ratio) देखें। यह 1 से कम हो तो अच्छा है, और अगर कंपनी कर्ज-मुक्त (Debt Free) हो, तो सबसे बढ़िया है। ज्यादा कर्ज वाली कंपनियों से दूर रहें।
कैशफ्लो: क्या कंपनी के पास 'ऑपरेटिंग कैशफ्लो' (OCF) है? यानी, क्या कंपनी जो मुनाफा दिखा रही है, वह सच में कैश में बदल रहा है? कई बार कंपनियां सिर्फ कागजों पर मुनाफा दिखाती हैं, लेकिन उनके हाथ में कैश नहीं होता।
मैनेजमेंट क्वालिटी: यह सबसे जरूरी है। कंपनी का मैनेजमेंट कैसा है? क्या वे ईमानदार हैं? क्या वे जो वादे करते हैं, उन्हें पूरा करते हैं? अगर मैनेजमेंट पर भरोसा नहीं है, तो उस स्टॉक से दूर रहना ही बेहतर है।

दूसरा फिल्टर है बेहद जरूरी

टेक्निकल्स पर बारीक नजर रखें। जो बताएगा कि शेयर खरीदने का सही समय क्या है? जब आप ऊपर दिए गए फिल्टर से 15-20 अच्छी कंपनियों की लिस्ट बना लेते हैं, तब बारी आती है टेक्निकल एनालिसिस की। यह आपको बताता है कि इस अच्छी कंपनी को किस भाव पर खरीदना है, ताकि आपका रिटर्न जल्दी और ज्यादा बने।

EMA (मूविंग एवरेज): यह स्टॉक का ट्रेंड बताता है। देखें कि क्या स्टॉक अपने 50-दिन और 200-दिन के EMA (Exponential Moving Average) से ऊपर ट्रेड कर रहा है। अगर हां, तो स्टॉक मजबूत 'अपट्रेंड' में है। गिरते बाजार में, 200-EMA एक मजबूत सपोर्ट का काम करता है।
RSI (रिलेटिव स्ट्रेंथ इंडेक्स): यह बताता है कि स्टॉक 'ओवरबॉट' (ज्यादा महंगा) है या 'ओवरसोल्ड' (ज्यादा सस्ता)। अगर RSI 30 के पास है, तो यह खरीदारी का अच्छा मौका (oversold zone) हो सकता है। 70 के ऊपर RSI का मतलब है कि स्टॉक महंगा हो चुका है, थोड़ा इंतजार करें।
वॉल्यूम स्ट्रेंथ: जब कोई स्टॉक ऊपर जा रहा हो, तो क्या उसके साथ 'वॉल्यूम' (कितने शेयर खरीदे-बेचे गए) भी बढ़ रहा है? अगर कीमत वॉल्यूम के साथ बढ़े, तो वह तेजी भरोसेमंद है।
ब्रेकआउट पैटर्न (Breakout Patterns): क्या स्टॉक ने अपनी किसी पुरानी रुकावट (Resistance) को तोड़ा है? अगर कोई स्टॉक एक दायरे में फंसा हो और फिर अचानक हाई वॉल्यूम के साथ उस दायरे को ऊपर की तरफ तोड़े, तो उसे 'ब्रेकआउट' कहते हैं। यह अक्सर एक नई और बड़ी तेजी की शुरुआत होती है।

कैसे करें इस्तेमाल?

अच्छा रिटर्न हासिल करने के लिए अपनी फंडामेंटली मजबूत कंपनियों की वॉचलिस्ट पर नजर रखें। जैसे ही उनमें से कोई स्टॉक गिरावट के बाद अपने 200-EMA पर सपोर्ट ले या RSI 30 के पास आए, वह खरीदारी का पहला मौका है। या, जब वह स्टॉक किसी 'ब्रेकआउट पैटर्न' से बाहर निकले, तब उसमें पैसा लगाएं।

(डिस्क्लेमर: यहां मुहैया जानकारी सिर्फ सूचना के लिए दी जा रही है। यहां बताना जरूरी है कि मार्केट में निवेश बाजार जोखिमों के अधीन है। निवेशक के तौर पर पैसा लगाने से पहले हमेशा एक्सपर्ट से सलाह लें।)
SIP
टाइमिंग पर भारी पड़ती है निरंतरता
promotion image

लेखकों के बारे में

विकास तिवारी
Vikash Tiwary is a finance journalist with 6+ years of newsroom experience. He is currently growing Upstox Hindi, crafting data-driven stories on stocks, personal finance, mutual funds, and global markets, while exploring how AI can simplify finance. His work spans Zee Business, TV9 Bharatvarsh, ABP News, India TV, and Inshorts. He also holds NISM certification.

अगला लेख