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  1. रियल एस्टेट या शेयर बाजार, पिछले दो दशक में किसने दिया सबसे ज्यादा रिटर्न? सिंपल है जवाब

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रियल एस्टेट या शेयर बाजार, पिछले दो दशक में किसने दिया सबसे ज्यादा रिटर्न? सिंपल है जवाब

विकास तिवारी

3 min read | अपडेटेड November 03, 2025, 15:30 IST

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सारांश

लंबी अवधि में पैसा बनाने की रेस में शेयर बाजार ने प्रॉपर्टी को मीलों पीछे छोड़ दिया है। 20 साल के आंकडे बताते हैं कि निफ्टी 50 ने 14.9% का सालाना रिटर्न दिया, जबकि आवासीय रियल एस्टेट ने सिर्फ 8.4% का।

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पिछले 20 सालों में शेयर बाजार ने रियल एस्टेट की तुलना में कहीं ज्यादा तगड़ा रिटर्न दिया है।

भारत में निवेश की बात आते ही ज्यादातर लोगों के दिमाग में सबसे पहले सोना या फिर रियल एस्टेट (प्रॉपर्टी) का ख्याल आता है। घर या जमीन खरीदना हमेशा से धन बढाने का सबसे भरोसेमंद तरीका माना जाता रहा है। लेकिन क्या यह धारणा आज भी उतनी ही सच है? ताजा आंकडे एक बिलकुल अलग और चौंकाने वाली कहानी बयां करते हैं। पिछले दो दशकों (20 साल) के हिसाब-किताब से पता चलता है कि शेयर बाजार ने रिटर्न देने के मामले में रियल एस्टेट को बुरी तरह पछाड़ दिया है।

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20 साल का 'इन्वेस्टमेंट एक्सपेरिमेंट'

आइए एक आसान से प्रयोग से समझते हैं। 'द फिनप्रिंट' की एक रिपोर्ट के मुताबिक, अगर किसी ने साल 2005 में दो अलग-अलग जगह 1-1 लाख रुपए का निवेश किया होता। पहला, शेयर बाजार के निफ्टी 50 इंडेक्स में और दूसरा, आवासीय रियल एस्टेट में।

20 साल बाद, यानी 2025 में, इन दोनों निवेशों की वैल्यू में जमीन-आसमान का फर्क है। निफ्टी 50 में लगाया गया 1 लाख रुपया आज लगभग 15 लाख रुपए (15 गुना बढोतरी) बन गया है। इसने सालाना औसतन 14.9% का जबरदस्त रिटर्न दिया है।

वहीं दूसरी तरफ, आवासीय प्रॉपर्टी में लगा 1 लाख रुपया 20 साल में सिर्फ 5.2 गुना बढकर 5.2 लाख रुपए ही हो पाया। इसका सालाना रिटर्न सिर्फ 8.4% रहा। यानी, शेयर बाजार ने प्रॉपर्टी से लगभग दोगुना सालाना रिटर्न दिया है।

कमर्शियल प्रॉपर्टी भी रेस में पिटी

सिर्फ रहने वाले घर ही नहीं, बल्कि दुकान या आफिस जैसी कमर्शियल प्रॉपर्टी का प्रदर्शन भी फीका ही रहा है। आंकडों के मुताबिक, 2005 में कमर्शियल प्रॉपर्टी में लगा 1 लाख रुपया आज 6.1 गुना बढकर 6.1 लाख रुपए हुआ है। इसका सालाना रिटर्न 9.3% रहा, जो निफ्टी 50 के 14.9% के मुकाबले काफी कम है।

क्यों पिछड़ गया रियल एस्टेट?

रियल एस्टेट को हमेशा से 'सोने का अंडा' देने वाली मुर्गी समझा गया, लेकिन इसके साथ कई ऐसी लागतें जुडी हैं जो मुनाफे को खा जाती हैं। जब आप प्रॉपर्टी खरीदते हैं, तो आपको स्टांप ड्यूटी, ब्रोकरेज (दलाली), और रजिस्ट्रेशन फीस देनी पडती है। इसके बाद हर साल प्रॉपर्टी टैक्स और रखरखाव (मेंटेनेंस) का खर्चा अलग से होता है। अगर प्रॉपर्टी खाली पडी है तो उसका भी नुकसान होता है। ये सारे खर्चे आपके असली रिटर्न को काफी कम कर देते हैं।

शेयर बाजार क्यों निकला 'बाजीगर'?

शेयर बाजार (इक्विटी) की जीत के पीछे कई बडे कारण हैं। सबसे पहला है लिक्विडिटी, यानी आप जब चाहें अपने शेयर बेचकर तुरंत पैसा निकाल सकते हैं, जबकि प्रॉपर्टी बेचना महीनों का काम हो सकता है। दूसरा, इसमें ट्रांजेक्शन लागत (खरीद-बिक्री का खर्च) प्रॉपर्टी के मुकाबले बहुत कम होती है। तीसरा, इसमें कोइ रखरखाव या मेंटेनेंस का झंझट नहीं होता।

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लेखकों के बारे में

विकास तिवारी
Vikash Tiwary is a finance journalist with 6+ years of newsroom experience. He is currently growing Upstox Hindi, crafting data-driven stories on stocks, personal finance, mutual funds, and global markets, while exploring how AI can simplify finance. His work spans Zee Business, TV9 Bharatvarsh, ABP News, India TV, and Inshorts. He also holds NISM certification.

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