return to news
  1. Paper stocks: JK Paper समेत कई शेयर 14% तक उछले, सरकार की इस पहल से बढ़ी खरीदारी

मार्केट न्यूज़

Paper stocks: JK Paper समेत कई शेयर 14% तक उछले, सरकार की इस पहल से बढ़ी खरीदारी

Shubham Singh Thakur

3 min read | अपडेटेड August 25, 2025, 13:36 IST

Twitter Page
Linkedin Page
Whatsapp Page

सारांश

Paper stocks: कुछ पेपर प्रोडक्ट्स के आयात पर सरकार के नए कदम ने पेपर शेयरों में आज खरीदारी को बढ़ावा दिया है। एक रिपोर्ट के अनुसार वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रालय के अंतर्गत आने वाले डायरेक्टोरेट जनरल ऑफ फॉरेन ट्रेड (DGFT) ने इम्पोर्ट पॉलिसी में बदलाव किया है।

शेयर सूची

Paper stocks

Paper stocks: रिपोर्ट के अनुसार भारत का पेपर मार्केट 2030 तक तेजी से बढ़ने वाला है।

Paper stocks: आज 25 अगस्त को पेपर स्टॉक्स में जमकर खरीदारी हो रही है। JK Paper के शेयरों में 14 फीसदी से अधिक की रैली देखी गई और यह 401 रुपये के भाव पर पहुंच गया। इसके अलावा, West Coast Paper के शेयर भी 12 फीसदी से अधिक की बढ़त के साथ 553.45 रुपये के भाव पर ट्रेड कर रहे हैं। इसके अलावा, Andhra Paper के शेयरों में 8 फीसदी, Pudumjee Paper Products में 7 फीसदी और Tamil Nadu Newsprint & Papers में 11 फीसदी की तेजी नजर आ रही है।

इम्पोर्ट पॉलिसी में बदलाव का असर

दरअसल, कुछ पेपर प्रोडक्ट्स के आयात पर सरकार के नए कदम ने पेपर शेयरों में आज खरीदारी को बढ़ावा दिया है। द पल्प एंड पेपर टाइम्स की एक रिपोर्ट के अनुसार वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रालय के अंतर्गत आने वाले डायरेक्टोरेट जनरल ऑफ फॉरेन ट्रेड (DGFT) ने इम्पोर्ट पॉलिसी में बदलाव किया है। इसके तहत ITC HS, 2022 के चैप्टर 48 में बदलाव करके कुछ कागज और पेपरबोर्ड प्रोडक्ट्स के लिए आयात की शर्तें कड़ी कर दी गई है।

22 अगस्त 2025 को जारी नोटिफिकेशन नंबर 26/2025-26 के तहत सरकार ने पेपर इम्पोर्ट मॉनिटरिंग सिस्टम (PIMS) में पंजीकरण अनिवार्य कर दिया है और वर्जिन मल्टी-लेयर पेपर बोर्ड (VPB) के आयात पर ₹67,220 प्रति टन का मिनिमम इम्पोर्ट प्राइस (MIP) 31 मार्च 2026 तक लागू कर दिया है।

आगे भारतीय पेपर मार्केट का भविष्य कैसा है?

Ken Research की अक्टूबर 2024 की रिपोर्ट के अनुसार भारत का पेपर मार्केट 2030 तक तेजी से बढ़ने वाला है। इस ग्रोथ के पीछे मुख्य कारण हैं- पैकेजिंग और शिक्षा सेक्टर से बढ़ती मांग, पर्यावरण के प्रति जागरूकता और टिकाऊ समाधानों की ओर रुझान और पेपर उत्पादन में नई तकनीकों का इस्तेमाल।

सिंगल-यूज प्लास्टिक पर सरकारी पाबंदी के कारण पेपर-बेस्ड पैकेजिंग की मांग में तेजी आई है। FMCG और ई-कॉमर्स कंपनियां अब पैकेजिंग के लिए पेपर का ज्यादा इस्तेमाल कर रही हैं। यह बदलाव पर्यावरण-अनुकूल विकल्प अपनाने की जागरूकता से भी प्रेरित है।

सरकार की समग्र शिक्षा अभियान जैसी योजनाओं से प्रिंटिंग और राइटिंग पेपर की मांग में इजाफा हुआ है। 2024 में उच्च शिक्षा विभाग ने $5.8 बिलियन का बजट शिक्षा सुविधाओं और किताबों पर खर्च के लिए आवंटित किया, जिससे स्कूलों और कॉलेजों में पेपर की जरूरत और बढ़ गई।

भारत का ई-कॉमर्स मार्केट 2024 में $125 बिलियन का था और 2035 तक $550 बिलियन तक पहुंचने का अनुमान है। तेजी से डिलीवरी वाले “क्विक कॉमर्स” और ऑनलाइन फूड डिलीवरी सेक्टर के विस्तार से कार्टन, पेपर बैग और पैकेजिंग की मांग तेजी से बढ़ रही है। प्लास्टिक पैकेजिंग पर रोक लगने से फूड डिलीवरी कंपनियां भी पेपर पैकेजिंग को अपना रही हैं।

(डिस्क्लेमर: यहां मुहैया जानकारी सिर्फ सूचना के लिए दी जा रही है। यहां बताना जरूरी है कि मार्केट में निवेश बाजार जोखिमों के अधीन है। निवेशक के तौर पर पैसा लगाने से पहले हमेशा एक्सपर्ट से सलाह लें।)
SIP
टाइमिंग पर भारी पड़ती है निरंतरता
promotion image

लेखकों के बारे में

Shubham Singh Thakur
Shubham Singh Thakur is a business journalist with a focus on stock market and personal finance. An alumnus of the Indian Institute of Mass Communication (IIMC), he is passionate about making financial topics accessible and relevant for everyday readers.

अगला लेख