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  1. Lenskart IPO: कच्चे माल पर भारी खर्च, चीन पर निर्भरता, निवेश से पहले जान लें 5 बड़े रिस्क फैक्टर्स

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Lenskart IPO: कच्चे माल पर भारी खर्च, चीन पर निर्भरता, निवेश से पहले जान लें 5 बड़े रिस्क फैक्टर्स

Shubham Singh Thakur

3 min read | अपडेटेड October 31, 2025, 10:54 IST

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सारांश

Lenskart के कुछ चश्मे के फ्रेम और कच्चे माल चीन से आते हैं। इसके अलावा, कंपनी की एक जॉइंट वेंचर कंपनी Baofeng Framekart Technology Ltd चीन में काम करती है। अगर चीन से सप्लाई किसी कारण रुक जाती है या बाधित होती है, तो कंपनी के बिजनेस और मुनाफे पर असर पड़ सकता है।

Lenskart IPO

Lenskart IPO: लेंसकार्ट सॉल्यूशंस के आईपीओ के तहत एक लॉट में 37 शेयर होंगे।

Lenskart IPO: लेंसकार्ट सॉल्यूशंस का आईपीओ आज 31 अक्टूबर को सब्सक्रिप्शन के लिए खुल गया है। कंपनी पब्लिक इश्यू के जरिए 7,278.02 करोड़ रुपये जुटा रही है। इसके तहत 2,150 करोड़ रुपये के नए इक्विटी शेयर जारी किए जा रहे हैं। वहीं 5128.02 करोड़ रुपये के शेयरों की बिक्री ऑफर फॉर सेल (OFS) के जरिए की जा रही है। इसका प्राइस बैंड 382-402 रुपये प्रति शेयर तय किया गया है। अगर आप इस आईपीओ में निवेश की योजना बना रहे हैं तो कुछ रिस्क फैक्टर्स के बारे में आपको जान लेना चाहिए, जिनके बारे में हमने यहां बताया है।
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लेंसकार्ट सॉल्यूशंस के आईपीओ के तहत एक लॉट में 37 शेयर होंगे और प्रत्येक लॉट में कम से कम ₹14874 का निवेश करना होगा। कंपनी अपने इश्यू के जरिए लगभग ₹69500 करोड़ का वैल्यूएशन चाहता है।

1. कच्चे माल पर निर्भरता

लेंसकार्ट के कुल खर्च का बड़ा हिस्सा कच्चे माल पर जाता है। इसके लिए Q1 FY2026 में ₹467.3 करोड़ (25.45%) और FY2025 में ₹1622.9 करोड़ (24.52%) खर्च किए गए। अगर कच्चे माल की सप्लाई में देरी, कमी या दामों में बदलाव होता है, तो इससे कंपनी के कामकाज, मुनाफे और नकदी प्रवाह पर नकारात्मक असर पड़ सकता है।

2. चीन से जुड़ा जोखिम

लेंसकार्ट के कुछ चश्मे के फ्रेम और कच्चे माल चीन से आते हैं। इसके अलावा, कंपनी की एक जॉइंट वेंचर कंपनी Baofeng Framekart Technology Ltd चीन में काम करती है। अगर चीन से सप्लाई किसी कारण रुक जाती है या बाधित होती है, तो कंपनी के बिजनेस और मुनाफे पर असर पड़ सकता है।

3. उत्पादन क्षमता का उपयोग

अगर कंपनी अपनी फैक्ट्रियों में उत्पादन क्षमता या दक्षता बनाए नहीं रख पाती, तो उसके ऑपरेशन और आर्थिक परिणामों पर नकारात्मक असर हो सकता है।

4. सरकारी जांच का जोखिम

कंपनी ने विदेशी मुद्रा प्रबंधन अधिनियम (FEMA), 1999 के तहत प्रवर्तन निदेशालय (ED), गुरुग्राम को कुछ दस्तावेज दिए हैं। अभी तक कोई बड़ी कार्रवाई नहीं हुई है, लेकिन भविष्य में जांच या कानूनी कार्रवाई की संभावना बनी रहती है, जो कंपनी की प्रतिष्ठा और कारोबार को प्रभावित कर सकती है।

5. पर्यावरण और नियमों से जुड़ा जोखिम

लेंसकार्ट के मैन्युफैक्चरिंग यूनिट्स पर्यावरण, स्वास्थ्य और सुरक्षा से जुड़े कड़े नियमों के तहत काम करते हैं। अगर कंपनी इन नियमों का पालन नहीं करती, तो उस पर जुर्माना लग सकता है, कानूनी कार्रवाई हो सकती है और उसकी छवि को नुकसान हो सकता है।

अतिरिक्त जोखिम

चीन से आने वाले कच्चे माल और तैयार माल की सप्लाई किसी बाहरी कारण से रुक सकती है, जिससे उत्पादन प्रभावित हो सकता है। नई आंखों की सर्जरी तकनीकें जैसे LASIK और SMILE लोगों की चश्मे की जरूरत कम कर सकती हैं, जिससे कंपनी के उत्पादों की मांग घट सकती है।

लेंसकार्ट के कुछ स्टोर फ्रेंचाइजी मॉडल पर चलते हैं (जून 2025 तक 472 स्टोर, यानी कुल नेटवर्क का 22%)। इन स्टोर्स पर कंपनी का पूरा नियंत्रण नहीं होता। अगर कोई फ्रेंचाइजी कंपनी की नीतियों या ब्रांड मानकों के खिलाफ काम करती है, तो कंपनी की साख को नुकसान पहुंच सकता है।

(डिस्क्लेमर: यहां मुहैया जानकारी सिर्फ सूचना के लिए दी जा रही है। यहां बताना जरूरी है कि मार्केट में निवेश बाजार जोखिमों के अधीन है। निवेशक के तौर पर पैसा लगाने से पहले हमेशा एक्सपर्ट से सलाह लें।)
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लेखकों के बारे में

Shubham Singh Thakur
Shubham Singh Thakur is a business journalist with a focus on stock market and personal finance. An alumnus of the Indian Institute of Mass Communication (IIMC), he is passionate about making financial topics accessible and relevant for everyday readers.

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