मार्केट न्यूज़

4 min read | अपडेटेड December 15, 2025, 13:06 IST
सारांश
केएसएच इंटरनेशनल (KSH International) का आईपीओ कल यानी 16 दिसंबर से खुलने जा रहा है। कंपनी ने प्राइस बैंड 365-384 रुपये तय किया है। हालांकि, ग्रे मार्केट में अभी कोई हलचल नहीं है और जीएमपी शून्य है। कंपनी की वित्तीय हालत मजबूत है और मुनाफा तेजी से बढ़ा है।

केएसएच इंटरनेशनल का आईपीओ 16 दिसंबर से निवेश के लिए खुलेगा।
सबसे पहले यह समझना जरूरी है कि कंपनी का रेवेन्यू 1,900 करोड़ के पार कैसे पहुंचा। दरअसल, केएसएच इंटरनेशनल का बिजनेस मॉडल दो हिस्सों में बंटा है। पहला है 'आउटराइट सेल्स' और दूसरा है 'जॉब वर्क'। कंपनी की कुल कमाई का करीब 91.73 फीसदी हिस्सा आउटराइट सेल्स से आता है। इसमें कंपनी खुद तांबा (Copper) और एल्युमीनियम खरीदती है, उसे प्रोसेस करती है और फिर बेचती है। चूंकि तांबा एक महंगी धातु है, इसलिए जब इसे बेचा जाता है तो रेवेन्यू का आंकड़ा बहुत बड़ा दिखता है, लेकिन इसमें कंपनी की असली कमाई (मार्जिन) कम होती है। बाकी का करीब 7 से 8 फीसदी हिस्सा जॉब वर्क से आता है, जिसमें ग्राहक अपना माल देता है और कंपनी सिर्फ प्रोसेसिंग फीस लेती है।
वित्तीय वर्ष 2025 (FY25) के आंकड़ों पर गौर करें तो कंपनी ने 1,938.19 करोड़ रुपये का रेवेन्यू दर्ज किया है। यह पिछले साल के मुकाबले करीब 39 फीसदी की सालाना ग्रोथ को बताता है। वहीं, अगर नेट प्रॉफिट की बात करें तो यह 67.99 करोड़ रुपये रहा है। वित्तीय वर्ष 2023 में यह मुनाफा सिर्फ 26.61 करोड़ रुपये था। यानी दो साल में मुनाफा दोगुने से ज्यादा हो गया है।
मुनाफा बढ़ने के बावजूद कंपनी के पास हाथ में नकदी नहीं टिक रही है। आंकड़ों के मुताबिक, वित्तीय वर्ष 2025 में कंपनी का 'ऑपरेटिंग कैश फ्लो' (Operating Cash Flow) नेगेटिव रहा है। यह आंकड़ा 9.77 करोड़ रुपये (-9.77 Cr) निगेटिव में है। इससे पहले वित्तीय वर्ष 2024 में भी यह माइनस 17.23 करोड़ रुपये था। इसका सीधा मतलब है कि कंपनी माल तो बेच रही है और प्रॉफिट भी बुक कर रही है, लेकिन वह पैसा वापस बैंक खाते में आने में समय लग रहा है। पैसा वर्किंग कैपिटल, यानी इन्वेंट्री और उधारी में फंसा हुआ है। लगातार दो साल से नेगेटिव कैश फ्लो होना किसी भी बिजनेस के लिए एक रेड फ्लैग होता है।
चूंकि यह बिजनेस कमोडिटी (मेटल) पर आधारित है, इसलिए इसमें मार्जिन बहुत कम होता है। वित्तीय वर्ष 2025 में कंपनी का एबिटडा (EBITDA) मार्जिन 6.35 फीसदी और नेट प्रॉफिट मार्जिन (PAT Margin) महज 3.53 फीसदी रहा है। आसान भाषा में कहें तो 100 रुपये का माल बेचने पर कंपनी को जेब में सिर्फ साढ़े तीन रुपये ही बचते हैं। यह एक 'लो मार्जिन-हाई वॉल्यूम' वाला बिजनेस है। कंपनी इसी वजह से आईपीओ ला रही है ताकि 226 करोड़ रुपये का कर्ज चुकाया जा सके। कर्ज कम होने से ब्याज बचेगा और भविष्य में कैश फ्लो और मार्जिन दोनों में सुधार होने की उम्मीद है।
फाइनेंस के मोर्चे पर मिल रही चुनौतियों के बीच कंपनी का सबसे मजबूत पक्ष उसका क्लाइंट बेस और ग्लोबल पकड़ है। कंपनी के पोर्टफोलियो में 117 बड़े कस्टमर शामिल हैं, जिनमें भारत बिजली, वर्जीनिया ट्रांसफॉर्मर कॉरपोरेशन, भारत हेवी इलेक्ट्रिकल्स लिमिटेड (BHEL), जॉर्जिया ट्रांसफॉर्मर कॉरपोरेशन, हिताची एनर्जी इंडिया, सीमेंस एनर्जी इंडिया, हिंद रेक्टिफायर्स, तोशिबा ट्रांसमिशन एंड डिस्ट्रीब्यूशन सिस्टम्स और सीजी पावर जैसे दिग्गज नाम शामिल हैं।
इसके अलावा, केएसएच इंटरनेशनल की वैश्विक बाजार में भी मजबूत पकड़ है। 31 दिसंबर 2024 तक के आंकड़ों के मुताबिक, कंपनी अपने प्रोडक्ट को दुनिया के 24 देशों में निर्यात करती है। इसमें अमेरिका, संयुक्त अरब अमीरात (UAE), कुवैत, रोमानिया, सऊदी अरब, जर्मनी, ओमान, स्पेन, बांग्लादेश और जापान जैसे प्रमुख देश शामिल हैं। यह डाइवर्सिफाइड मार्केट रिस्क को कम करने में मदद करता है।
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