मार्केट न्यूज़
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3 min read | अपडेटेड December 23, 2025, 12:19 IST
सारांश
साल 2025 की एक बड़ी उपलब्धि स्टार्टअप का लिस्ट होना रहा। इस साल लेंसकार्ट, ग्रो, मीशो और फिजिक्सवॉला समेत 18 स्टार्टअप पब्लिक हुए और संयुक्त रूप से 41,000 करोड़ रुपये से अधिक जुटाए।

2026 में कैसा रहेगा आईपीओ मार्केट का हाल?
पर्याप्त घरेलू नकदी, मजबूत निवेशक विश्वास और सपोर्टिव मैक्रोइकॉनमिक फैक्टर्स के चलते 2025 में रिकॉर्ड 1.76 लाख करोड़ रुपये जुटाकर रिकॉर्ड स्तर छूने वाले आरंभिक सार्वजनिक निर्गम (Initial public offering, IPO) मार्केट की यह तेजी नए साल में भी जारी रहने की उम्मीद है। साल 2025 की एक बड़ी उपलब्धि स्टार्टअप का लिस्ट होना रहा। इस साल लेंसकार्ट, ग्रो, मीशो और फिजिक्सवॉला समेत 18 स्टार्टअप पब्लिक हुए और संयुक्त रूप से 41,000 करोड़ रुपये से अधिक जुटाए। वहीं, 2024 में स्टार्टअप ने 29,000 करोड़ रुपये जुटाए थे। साथ ही, बिक्री पेशकश (ओएफएस) फंड जुटाने की गतिविधियों में प्रमुख बना रहा। इसकी 2025 में जुटाए गए कुल कैपिटल में करीब 60% हिस्सेदारी रही। बाजार प्रतिभागी 2026 में आईपीओ गतिविधियों को लेकर आशावादी बने हुए हैं।
इक्विरस कैपिटल के प्रबंध निदेशक एवं निवेश बैंकिंग प्रमुख भावेश शाह ने कहा कि नए साल के लिए आईपीओ का परिदृश्य प्रोत्साहक बना हुआ है, जिसे आगामी आईपीओ और मजबूत क्षेत्रीय विविधता का समर्थन प्राप्त है। उन्होंने बताया कि 75 से अधिक कंपनियों को पहले ही भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (सेबी) की मंजूरी मिल चुकी है, लेकिन उन्होंने अभी तक अपने इश्यू नहीं शुरू किए हैं जबकि अन्य 100 कंपनियां नियामक स्वीकृति की प्रतीक्षा कर रही हैं। आगामी आईपीओ में टेक्नॉलिजी, फाइनेंशियल सर्विसेज, इंफ्रास्ट्रक्चर, एनर्जी और कंज्यूमर सेक्टर्स के इश्यू शामिल हैं, जो व्यापक सहभागिता को दर्शाते हैं। इसमें रिलायंस जियो, एसबीआई म्यूचुअल फंड, ओयो और फोनपे जैसे प्रमुख इश्यू के शामिल होने की भी संभावना है।
‘आईपीओ सेंट्रल’ द्वारा जुटाए गए आंकड़ों के मुताबिक, 2025 में पेश किए गए 103 नए पब्लिक इश्यू ने कुल 1.76 लाख करोड़ रुपये जुटाए। यह 2024 में 90 कंपनियों द्वारा जुटाए गए 1.6 लाख करोड़ रुपये और 2023 में 57 कंपनियों द्वारा जुटाए गए 49,436 करोड़ रुपये से अधिक है। जेएम फाइनेंशियल इंस्टीट्यूशनल सिक्योरिटीज में प्रबंध निदेशक एवं इक्विटी कैपिटल मार्केट प्रमुख नेहा अग्रवाल ने कहा कि मजबूत घरेलू नकदी और टिकाऊ निवेशक विश्वास ने रिकॉर्ड राशि जुटाने में मदद की। इक्विरस कैपिटल के शाह ने कहा कि भारत की मैक्रोइकॉनमिक स्टेबिलिटी (जिसमें मजबूत जीडीपी ग्रोथ, कंट्रोल्ड महंगाई और प्रिडिक्टेबल पॉलिसी एनवायरमेंट शामिल हैं) ने ग्लोबल और घरेलू निवेशकों का विश्वास बढ़ाया।
यह तेजी हालांकि पूरे साल समान नहीं रही। मार्केट की अस्थिरता, विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों की कमजोर भागीदारी और जियो पॉलिटिकल जोखिमों के बीच पहले सात महीनों में प्राथमिक बाजार की गतिविधि सुस्त बनी रही। अगस्त से परिस्थितियों में काफी हद तक सुधार आया क्योंकि मैक्रोइकॉनमिक चिंताएं कम हुईं, नकदी मजबूत हुई और शेयर मार्केट स्थिर हुए जिससे कंपनियों के लिस्ट होने की प्रक्रिया तेज हुई।
आनंद राठी एडवाइजर्स के निदेशक एवं ईसीएम निवेश बैंकिंग प्रमुख वी. प्रशांत राव ने कहा कि हालांकि आईपीओ की मात्रा बढ़ी लेकिन फंड जुटाने में झुकाव अधिकतर बिक्री पेशकश की ओर रहा। इस साल लिस्ट हुईं कंपनियों में से केवल 23 ने पूरी तरह से फ्रेश कैपिटल के जरिए फंड जुटाया, जिनका औसत इश्यू साइज लगभग 600 करोड़ रुपये रहा। इसके उलट, 15 कंपनियों ने केवल बिक्री पेशकश के जरिए फंड जुटाया और 45,000 करोड़ रुपये से अधिक जुटाए। बाकी कंपनियों ने दोनों का मिक्सचर अपनाया जिसमें बिक्री पेशकश की हिस्सेदारी अधिक रही।
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