मार्केट न्यूज़
3 min read | अपडेटेड March 12, 2025, 10:59 IST
सारांश
Indusind Bank के CEO सुमंत कथपालिया ने कहा कि बैंक चालू तिमाही में ही घाटे को झेल लेगा। उन्होंने कहा कि पूरा साल घाटे में नहीं रहेगा। उन्हें लगता है कि चौथी तिमाही भी बैंक मुनाफे में रहेगा। बैंक को पहली तिमाही से ही बढ़िया मुनाफा मिलना शुरू हो जाएगा।
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Indusind Bank के प्रमोटर अशोक हिंदुजा ने भरोसा दिया कि लेंडर की वित्तीय स्थिति अच्छी बनी हुई है।
इंडसइंड बैंक ने हाल ही में बताया है कि उसकी आंतरिक जांच में डेरिवेटिव अकाउंट बैलेंस में गड़बड़ी पाई गई है। इस खबर के बाद कंपनी के शेयर फोकस में हैं। 11 मार्च को इसमें 27 फीसदी की भारी गिरावट देखने को मिली है।
Indusind Bank के प्रमोटर अशोक हिंदुजा ने भरोसा दिया कि लेंडर की वित्तीय स्थिति अच्छी बनी हुई है, और अगर कोई पूंजी जरूरत होती है, तो उसे पूरी मदद की जाएगी। उन्होंने कहा कि बैंक सामने आई गड़बड़ियों को दूर कर सकता है।
उन्होंने कहा, "शेयरधारकों को घबराना नहीं चाहिए। ये सामान्य समस्याएं हैं। मैं समझता हूं कि उनकी चिंता इस बात को लेकर है कि उन्हें पहले क्यों नहीं बताया गया। बैंकिंग बिजनेस ईमानदारी और भरोसे पर आधारित होते हैं।"
अशोक हिंदुजा ने सीएनबीसी-टीवी18 के साथ बातचीत के दौरान कहा कि अभी तक उनकी गिरवी रखी गई हिस्सेदारी पर कोई मार्जिन कॉल नहीं लिया गया है और रेगुलेटरी अप्रूवल मिलते ही प्रमोटर्स के पास इंडसइंड बैंक में हिस्सेदारी बढ़ाने के लिए पर्याप्त अवसर हैं। हिंदुजा ने इसके अलावा यह भी एक्सप्लेन किया कि क्यों शेयर गिरवी रखे गए थे। हिंदुजा ने साफ कहा कि अभी तक कोई मार्जिन कॉल नहीं है।
Indusind Bank के CEO सुमंत कथपालिया ने कहा कि बैंक चालू तिमाही में ही घाटे को झेल लेगा। उन्होंने कहा, "पूरा साल घाटे में नहीं रहेगा। और मुझे लगता है कि चौथी तिमाही भी मुनाफे में रहेगी। बैंक को पहली तिमाही से ही बढ़िया मुनाफा मिलना शुरू हो जाएगा।"
इंडसइंड बैंक ने 10 मार्च को बताया कि उसके आंतरिक प्रक्रियाओं की जांच में कुछ गड़बड़ियां पाई गई हैं। ये गड़बड़ियां उसके डेरिवेटिव पोर्टफोलियो या फॉरेक्स डिपॉजिट और उधारी को हेज (सुरक्षित) करने के लिए की गई आंतरिक सौदों से जुड़ी हो सकती हैं।
इंडसइंड बैंक ने बताया कि उसकी आंतरिक जांच में डेरिवेटिव अकाउंट बैलेंस में गड़बड़ी पाई गई है। यह गड़बड़ी बैंक की कुल संपत्ति की 2.35% यानी लगभग ₹1577 करोड़ के बराबर हो सकती है।
बैंक ने इस मामले की समीक्षा के लिए एक बाहरी एजेंसी नियुक्त की है, जो इस गड़बड़ी की पुष्टि करेगी। अंतिम रिपोर्ट का इंतजार किया जा रहा है, जिसके आधार पर बैंक अपने फाइनेंशियल स्टेटमेंट्स में इसका प्रभाव दर्ज करेगा।
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