return to news
  1. Tariff के टेंशन और FIIs की बिकवाली के बीच Indian Equity Market का लॉन्ग टर्म आउटलुक कैसा है, क्या Bull दौड़ पाएगा?

मार्केट न्यूज़

Tariff के टेंशन और FIIs की बिकवाली के बीच Indian Equity Market का लॉन्ग टर्म आउटलुक कैसा है, क्या Bull दौड़ पाएगा?

विकास तिवारी

4 min read | अपडेटेड September 26, 2025, 15:13 IST

Twitter Page
Linkedin Page
Whatsapp Page

सारांश

Indian Stock Market Outlook: हफ्ते के आखिरी कारोबारी दिन सेंसेक्स और निफ्टी भारी दबाव में रहे। विदेशी निवेशकों की लगातार बिकवाली के बीच ट्रंप ने फार्मा सेक्टर पर टैरिफ को लेकर जो ऐलान किया है, उसने पूरे शेयर बाजार के सेंटीमेंट को कमजोर कर दिया। इस बीच जरूरी सवाल ये है कि अभी जो ये गिरावट बाजार में देखी जा रही है, क्या आगे भी जारी रहेगी या स्थिति सुधरेगी?

indian-stock-market-long-term-outlook

Indian Stock Market का लॉन्ग टर्म Outlook क्या कहता है?

Indian Stock Market Outlook: हफ्ते के आखिरी कारोबारी दिन भी शेयर बाजार में गिरावट का सिलसिला जारी रहा। दोपहर 2:20 बजे के आसपास तक सेंसेक्स 771 अंक टूटकर 80,387.86 पर कारोबार करता दिखा। यही हाल निफ्टी में भी देखने को मिली। बता दें कि पिछले 6 ट्रेडिंग सेशन से बाजार में बिकवाली देखी जा रही है। आज की गिरावट में सबसे बड़ा योगदान फार्मा और बैंकिंग सेक्टर का रहा। निफ्टी50 के टॉप लूजर्स में IndusInd Bank, Sun Pharma, Mahindra & Mahindra), Tata Steel और Tech Mahindra शामिल रहे।

ऐसे में सवाल ये खड़ा हो रहा है कि आज से एक साल पहले जिस सितंबर महीने में बाजार ने गिरावट की रफ्तार पकड़ी थी, क्या वह फिर से उसी पैटर्न को रिपीट करने की तैयारी तो नहीं कर रहा? अभी जो ग्लोबल हलचल, टैरिफ टेंशन और विदेशी निवेशकों की बिकवाली का असर भारतीय मार्केट पर दिख रहा है। क्या इसका लॉन्ग टर्म में भी निगेटिव असर पड़ेगा? इस सवाल के संदर्भ में ग्लोबल ब्रोकरेज फर्म HSBC ने एक रिपोर्ट जारी की है।

क्यों टूटा बाजार?

इस गिरावट के पीछे कई कारण जिम्मेदार हैं। पहला, अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा फार्मा प्रोडक्ट्स पर 100% टैरिफ की घोषणा ने भारतीय फार्मा सेक्टर को तगड़ा झटका दिया। भारतीय कंपनियां अमेरिका में अपनी दवाइयों की बड़ी मात्रा एक्सपोर्ट करती हैं। ऐसे में यह टैरिफ उनके मार्जिन पर नकारात्मक असर डाल सकता है।

दूसरा, विदेशी संस्थागत निवेशकों (FII) की लगातार बिकवाली बाजार की दिशा बिगाड़ रही है। सितंबर महीने में अब तक एफआईआई ने करीब 18,000 करोड़ रुपये की निकासी की है। HSBC की रिपोर्ट के अनुसार, एफआईआई निकासी का बड़ा कारण अमेरिकी बॉन्ड यील्ड में तेजी और डॉलर इंडेक्स की मजबूती है।

तीसरा, ग्लोबल संकेत भी बाजार को दबाव में ला रहे हैं। चीन की स्लो ग्रोथ, यूरोप में मंदी की आशंका और अमेरिकी फेडरल रिजर्व की ब्याज दरों को लेकर असमंजस ने निवेशकों का भरोसा कमजोर किया है।

लॉन्ग टर्म आउटलुक कैसा है?

HSBC की हालिया रिपोर्ट में कहा गया है कि शॉर्ट टर्म में भारतीय इक्विटी मार्केट पर वोलैटिलिटी बनी रहेगी। हालांकि, लॉन्ग टर्म आउटलुक अभी भी मजबूत है। रिपोर्ट के मुताबिक, भारतीय अर्थव्यवस्था की जीडीपी ग्रोथ दर 6.5% रहने का अनुमान है, जो दुनिया की प्रमुख अर्थव्यवस्थाओं में सबसे तेज है। HSBC का मानना है कि भारत में सरकारी खर्च, कैपेक्स साइकल और घरेलू डिमांड मार्केट के लिए बड़े सपोर्ट फैक्टर बने रहेंगे। वहीं, कॉरपोरेट अर्निंग्स में FY26 तक 15-16% की ग्रोथ का अनुमान जताया गया है।

सेक्टर-वाइज एनालिसिस

फार्मा सेक्टर: टैरिफ को लेकर अनिश्चितता बनी हुई है। शॉर्ट टर्म में प्रेशर दिखेगा, लेकिन लॉन्ग टर्म में डोमेस्टिक डिमांड और हेल्थकेयर खर्च बढ़ने से सेक्टर को सपोर्ट मिलेगा।
बैंकिंग और फाइनेंशियल्स: FII निकासी का बड़ा असर प्राइवेट बैंकों जैसे IndusInd और HDFC Bank पर पड़ा है। हालांकि, रिटेल लोन डिमांड और एसेट क्वालिटी स्थिर रहने से सेक्टर मध्यम अवधि में रिकवर कर सकता है।
कैपिटल गुड्स और इंफ्रा: L&T जैसे शेयरों में मजबूती दिखी क्योंकि सरकार के कैपेक्स बढ़ाने के संकेत और प्रोजेक्ट्स की मजबूत पाइपलाइन निवेशकों को आकर्षित कर रही है।
ऑटो सेक्टर: Tata Motors, Hero MotoCorp और Eicher Motors में खरीदारी हुई। फेस्टिव सीजन से डिमांड बढ़ने की उम्मीद है।
आईटी सेक्टर: कमजोर ग्लोबल डिमांड और अमेरिकी बिजनेस सेंटिमेंट्स के कारण Tech Mahindra जैसे शेयरों में दबाव दिखा।

फिर निवेशकों के पास क्या है विकल्प?

HSBC रिपोर्ट के मुताबिक, निवेशकों को शॉर्ट टर्म वोलैटिलिटी से बचने के लिए पोर्टफोलियो में डाइवर्सिफिकेशन बनाए रखना चाहिए। फार्मा और बैंकिंग में फिलहाल सावधानी बरतनी चाहिए, जबकि कैपिटल गुड्स, ऑटो और FMCG में धीरे-धीरे पोजिशन बनाई जा सकती है।

लॉन्ग टर्म निवेशक भारत की मजबूत मैक्रो इकोनॉमिक स्थिति और कॉरपोरेट अर्निंग्स की संभावनाओं पर भरोसा रख सकते हैं। खासकर ग्रीन एनर्जी, डिजिटल इंफ्रा और कैपेक्स-ड्रिवन कंपनियों में बेहतर रिटर्न की संभावना जताई गई है।

कुल मिलाकर देखें तोलॉन्ग टर्म आउटलुक अब भी मजबूत है, क्योंकि भारत की अर्थव्यवस्था दुनिया की सबसे तेज़ी से बढ़ती इकोनॉमी बनी हुई है। FII की बिकवाली, ग्लोबल ग्रोथ चिंताएं और अमेरिकी टैरिफ का असर फिलहाल रहेगा, लेकिन घरेलू डिमांड और सरकारी सपोर्ट भारतीय बाजार को मजबूती देते रहेंगे।

(डिस्क्लेमर: यहां मुहैया जानकारी सिर्फ सूचना के लिए दी जा रही है। यहां बताना जरूरी है कि मार्केट में निवेश बाजार जोखिमों के अधीन है। निवेशक के तौर पर पैसा लगाने से पहले हमेशा एक्सपर्ट से सलाह लें।)
SIP
टाइमिंग पर भारी पड़ती है निरंतरता
promotion image

लेखकों के बारे में

विकास तिवारी
Vikash Tiwary is a finance journalist with 6+ years of newsroom experience. He is currently growing Upstox Hindi, crafting data-driven stories on stocks, personal finance, mutual funds, and global markets, while exploring how AI can simplify finance. His work spans Zee Business, TV9 Bharatvarsh, ABP News, India TV, and Inshorts. He also holds NISM certification.

अगला लेख