मार्केट न्यूज़

3 min read | अपडेटेड December 29, 2025, 15:16 IST
सारांश
साल 2025 में विदेशी निवेशकों (FPI) ने भारतीय बाजार से 1.58 लाख करोड़ रुपये से ज्यादा की निकासी की है। इसके बावजूद निफ्टी और सेंसेक्स में मजबूती बनी रही। इस स्थिरता का सबसे बड़ा कारण क्या है? आज डीटेल में समझने वाले हैं।

विदेशी निवेशकों की भारी बिकवाली के बाद भी भारतीय शेयर बाजार ने अपनी ताकत दिखाई है।
भारतीय शेयर बाजार के लिए साल 2025 एक ऐतिहासिक बदलाव का साल साबित हुआ है। अक्सर यह माना जाता था कि अगर विदेशी निवेशक यानी एफआईआई (FII) बाजार से अपना पैसा निकालते हैं तो दलाल स्ट्रीट पर कोहराम मच जाता है। लेकिन इस साल की तस्वीर बिल्कुल अलग रही है। पीटीआई के अनुसार, विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों (FPI) ने इस साल भारतीय इक्विटी मार्केट से करीब 1.58 लाख करोड़ रुपये की भारी-भरकम राशि निकाल ली है। इसके बावजूद निफ्टी 50 इंडेक्स में साल की शुरुआत से अब तक करीब 9.34 पर्सेंट की मजबूती देखी गई है और यह 25,959 के स्तर पर मजबूती से टिका हुआ है। यह सवाल हर किसी के मन में है कि आखिर जब विदेशी निवेशक पैसा निकाल रहे हैं तो बाजार को सहारा कौन दे रहा है और किसके कंधों पर खड़ा होकर मार्केट आज भी हुंकार भर रहा है।
बाजार के इस चमत्कार के पीछे असली ताकत हमारे घरेलू संस्थागत निवेशक (DII) हैं। नेशनल सिक्योरिटीज डिपॉजिटरी लिमिटेड (NSDL) की ताजा रिपोर्ट के मुताबिक, साल 2025 में घरेलू निवेशकों ने भारतीय बाजार में रिकॉर्ड 6 लाख करोड़ रुपये का निवेश किया है। यह निवेश विदेशी निवेशकों द्वारा निकाली गई राशि के मुकाबले करीब चार गुना ज्यादा है। यही कारण है कि एफआईआई की भारी बिकवाली का असर बाजार पर हावी नहीं हो सका। अब भारतीय बाजार की डोर विदेशी फंड मैनेजर्स के बजाय देश के म्यूचुअल फंड हाउसों और बीमा कंपनियों के हाथों में आ गई है। सितंबर 2025 की तिमाही तक एनएसई (NSE) में घरेलू निवेशकों की हिस्सेदारी बढ़कर 18.26 पर्सेंट के रिकॉर्ड स्तर पर पहुंच गई है जबकि विदेशी निवेशकों की हिस्सेदारी घटकर 16.71 पर्सेंट रह गई है।
इस पूरी कहानी के सबसे बड़े नायक देश के रिटेल निवेशक और उनकी छोटी-छोटी बचत है। एसोसिएशन ऑफ म्यूचुअल फंड्स इन इंडिया (AMFI) के आंकड़ों के मुताबिक साल 2025 में पहली बार वार्षिक एसआईपी (SIP) निवेश ने 3 लाख करोड़ रुपये के जादुई आंकड़े को पार कर लिया है। नवंबर 2025 के महीने में ही रिकॉर्ड 29,445 करोड़ रुपये का निवेश एसआईपी के जरिए आया है। आज भारत के करोड़ों लोग हर महीने अपनी मेहनत की कमाई का एक हिस्सा म्यूचुअल फंड में लगा रहे हैं। इसी नियमित निवेश ने बाजार को एक ऐसी सुरक्षा दीवार प्रदान की है जिसे ग्लोबल उतार-चढ़ाव भी हिला नहीं पा रहे हैं। अब मार्केट में 'स्मार्ट मनी' केवल विदेशी फंड्स को नहीं कहा जाता बल्कि देसी रिटेल निवेशकों की समझदारी को भी सराहा जा रहा है।
एक समय था जब विदेशी निवेशक ही तय करते थे कि बाजार किस दिशा में जाएगा लेकिन साल 2025 ने इस धारणा को हमेशा के लिए बदल दिया है। मार्च 2025 की तिमाही में पहली बार ऐसा हुआ था जब घरेलू निवेशकों की हिस्सेदारी विदेशी निवेशकों से ज्यादा हो गई और यह अंतर अब लगातार बढ़ता जा रहा है। रिटेल निवेशकों के पास अब एनएसई की कुल मार्केट कैप का करीब 19 पर्सेंट हिस्सा है जो पिछले 22 सालों में सबसे ज्यादा है। यह आत्मनिर्भर भारत की एक ऐसी झलक है जिसे दलाल स्ट्रीट ने पहले कभी महसूस नहीं किया था। विदेशी निवेशक अब केवल उन कंपनियों या आईपीओ (IPO) में दिलचस्पी दिखा रहे हैं जहां उन्हें भविष्य की बड़ी संभावनाएं नजर आ रही हैं जबकि सेकेंडरी मार्केट में देसी निवेशक हावी हैं।
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