मार्केट न्यूज़
3 min read | अपडेटेड March 04, 2025, 11:32 IST
सारांश
Crude Oil Price: ट्रेड वॉर की आशंकाओं के बीच भारतीय शेयर बाजार में आज बिकवाली हो रही है। शुरुआती कारोबार में सेंसेक्स में 400 अंकों की गिरावट देखी गई। वहीं, निफ्टी 50 भी 140 अंक टूट गया।
Crude Oil Price: व्हाइट हाउस के एक अधिकारी ने सोमवार को यूक्रेन को सभी अमेरिकी सैन्य सहायता पर रोक की पुष्टि की।
बता दें कि अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने यूक्रेन को दी जाने वाली सैन्य मदद रोक दी। इसके साथ ही, अमेरिका ने कनाडा, मेक्सिको और चीन पर नए टैरिफ का ऐलान किया है।
ट्रेड वॉर की आशंकाओं के बीच भारतीय शेयर बाजार में आज बिकवाली हो रही है। शुरुआती कारोबार में सेंसेक्स में 400 अंकों की गिरावट देखी गई। वहीं, निफ्टी 50 भी 140 अंक टूट गया।
व्हाइट हाउस के एक अधिकारी ने सोमवार को यूक्रेन को सभी अमेरिकी सैन्य सहायता पर रोक की पुष्टि की। इसके पहले पिछले हफ्ते ट्रम्प के ओवल ऑफिस में यूक्रेनी राष्ट्रपति वोलोडिमिर ज़ेलेंस्की और ट्रंप के बीच तीखी बहस हो गई थी।
बाजार अमेरिका और यूक्रेन के बीच बढ़ती दूरी को संघर्ष कम होने के संकेत के रूप में देख रहा है, जिससे रूस पर लगे प्रतिबंधों में ढील मिलने और तेल की सप्लाई बढ़ने की संभावना जताई जा रही है।
Reuters की एक रिपोर्ट के अनुसार, व्हाइट हाउस ने विदेश और वित्त मंत्रालयों से उन प्रतिबंधों की सूची तैयार करने को कहा है, जिनमें ढील दी जा सकती है। अमेरिकी अधिकारी जल्द ही इस विषय पर रूसी प्रतिनिधियों से मॉस्को में बातचीत करेंगे।
एक्सपर्ट्स का कहना है कि रूसी तेल सप्लाई पर प्रतिबंधों की तुलना में रूस के OPEC+ प्रोडक्शन टारगेट का अधिक असर है, इसलिए प्रतिबंधों में ढील देने से तेल की सप्लाई में कोई खास बढ़ोतरी नहीं होगी।
OPEC+ ने अपने तेल उत्पादन को 138,000 बैरल प्रति दिन बढ़ाने का फैसला किया है, जो 2022 के बाद पहली बार हो रहा है। इस खबर के चलते तेल की कीमतों पर दबाव बना हुआ है। इसके अलावा, अमेरिका द्वारा नए टैरिफ लगाए जाने की चिंता से तेल की कीमतें सोमवार को 2% गिरकर 12 हफ्ते के निचले स्तर पर पहुंच गईं।
डोनाल्ड ट्रंप ने कनाडा और मैक्सिको से आयातित उत्पादों पर 25% टैरिफ लगाने का फैसला किया है, जो मंगलवार से लागू होगा। इसके अलावा, कनाडाई ऊर्जा उत्पादों पर 10% टैरिफ और चीनी सामानों पर 10% से बढ़ाकर 20% टैरिफ लगाया जाएगा। एनालिस्ट्स का मानना है कि ये टैरिफ ग्लोबल इकोनॉमिक एक्टिविटी और फ्यूल डिमांड को प्रभावित कर सकते हैं, जिससे तेल की कीमतों पर और दबाव बढ़ सकता है।
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