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जिसके राष्ट्रपति चुनाव लड़ने पर लगाया बैन, उसने जीता Nobel Peace Prize, जानिए कौन हैं वेनेजुएला की मारिया मचाडो?

विकास तिवारी

3 min read | अपडेटेड October 10, 2025, 15:27 IST

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सारांश

मिलिए वेनेजुएला की सबसे साहसी महिला मारिया कोरिना मचाडो से, जिन्हें 2025 के नोबेल शांति पुरस्कार से सम्मानित किया गया है. राष्ट्रपति मादुरो की सरकार ने उन पर चुनाव लड़ने से रोक लगा दी और उन्हें छिपकर रहना पड़ रहा है. जानें क्यों नोबेल कमेटी ने उनके संघर्ष को दुनिया का सबसे बड़ा सम्मान दिया.

Maria Corina Machado

Maria Corina Machado को मिलेगा 2025 का Nobel Peace Prize

दुनिया के सबसे प्रतिष्ठित सम्मानों में से एक, नोबेल शांति पुरस्कार 2025 के विजेता का ऐलान हो गया है. नॉर्वेजियन नोबेल कमेटी ने 10 अक्टूबर 2025 को यह पुरस्कार वेनेजुएला की विपक्षी नेता मारिया कोरिना मचाडो को देने की घोषणा की है.

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मचाडो को यह सम्मान वेनेजुएला के लोगों के लिए लोकतांत्रिक अधिकारों को बढ़ावा देने और तानाशाही से लोकतंत्र की ओर एक शांतिपूर्ण परिवर्तन के लिए उनके अथक संघर्ष के लिए दिया गया है. यह घोषणा उस महिला के लिए एक बड़ी जीत है जिसे अपने ही देश में छिपकर रहना पड़ रहा है.

तानाशाही के खिलाफ एक अथक संघर्ष

56 वर्षीय मारिया कोरिना मचाडो वेनेजुएला की सबसे प्रमुख लोकतंत्र-समर्थक हस्तियों में से एक हैं. वह लंबे समय से राष्ट्रपति निकोलस मादुरो की सरकार की मुखर आलोचक रही हैं. अपने इस संघर्ष के कारण उन्हें सरकार के भारी उत्पीड़न और अनगिनत धमकियों का सामना करना पड़ा है.

पिछले एक साल से स्थिति इतनी खराब हो गई कि उन्हें अपनी सुरक्षा के लिए छिपकर रहना पड़ रहा है, लेकिन इसके बावजूद उन्होंने देश के अंदर से ही विपक्षी प्रयासों का समन्वय करना जारी रखा है. उनका साहस और दृढ़ संकल्प लाखों वेनेजुएलावासियों के लिए प्रेरणा का स्रोत बन गया है.

जब चुनाव लड़ने पर लगा दिया गया बैन

मारिया मचाडो की लोकप्रियता का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि उन्होंने वेनेजुएला के 2024 के राष्ट्रपति चुनाव के लिए विपक्षी दलों का प्राइमरी चुनाव भारी मतों से जीता था. लेकिन, उनकी जीत से घबराकर मादुरो सरकार ने उन्हें चुनाव लड़ने से ही अयोग्य घोषित कर दिया. सरकार के इस अलोकतांत्रिक कदम की पश्चिमी देशों और मानवाधिकार समूहों ने कड़ी निंदा की थी. यह दिखाता है कि मौजूदा सरकार उनसे कितना डरती है.

नोबेल कमेटी ने क्यों चुना मचाडो को?

नोबेल कमेटी ने अपने बयान में कहा है कि जब तानाशाह सत्ता पर कब्जा कर लेते हैं, तो स्वतंत्रता के उन साहसी रक्षकों को पहचानना महत्वपूर्ण है जो उठते हैं और विरोध करते हैं. कमेटी ने आगे कहा कि लोकतंत्र उन लोगों पर निर्भर करता है जो चुप रहने से इनकार करते हैं, जो गंभीर जोखिम के बावजूद आगे बढ़ने की हिम्मत करते हैं, और जो हमें याद दिलाते हैं कि स्वतंत्रता को कभी भी हल्के में नहीं लिया जाना चाहिए, बल्कि हमेशा शब्दों, साहस और दृढ़ संकल्प से इसकी रक्षा की जानी चाहिए.

कमेटी ने इस बात पर जोर दिया कि जान का खतरा होने के बावजूद मचाडो का वेनेजुएला में ही रहने का फैसला लाखों लोगों के लिए प्रेरणा है. यह पुरस्कार सिर्फ मचाडो का नहीं, बल्कि वेनेजुएला के उन सभी नागरिकों का सम्मान है जो एक स्वतंत्र और लोकतांत्रिक भविष्य का सपना देखते हैं.

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लेखकों के बारे में

विकास तिवारी
Vikash Tiwary is a finance journalist with 6+ years of newsroom experience. He is currently growing Upstox Hindi, crafting data-driven stories on stocks, personal finance, mutual funds, and global markets, while exploring how AI can simplify finance. His work spans Zee Business, TV9 Bharatvarsh, ABP News, India TV, and Inshorts. He also holds NISM certification.

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