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  1. अमेरिका में घटीं ब्याज दरें: फेडरल रिजर्व ने की 25 बेसिस पाइंट की कटौती, आसान भाषा में समझें इसके मायने

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अमेरिका में घटीं ब्याज दरें: फेडरल रिजर्व ने की 25 बेसिस पाइंट की कटौती, आसान भाषा में समझें इसके मायने

Upstox

3 min read | अपडेटेड October 30, 2025, 08:08 IST

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सारांश

अमेरिकी फेडरल रिजर्व ने अपनी दो दिन की बैठक के बाद ब्याज दरों में 0.25% की कटौती कर दी है। यह इस साल की दूसरी कटौती है। हालांकि, फेड चेयरमैन जेरोम पावेल ने साफ किया है कि दिसंबर में अगली कटौती को लेकर अभी कुछ भी तय नहीं है।

US Fed Meeting detail

US Fed Meeting में लिए गए ब्याज दर कम करने के फैसले?

पूरी दुनिया के बाजारों की निगाहें जिस बैठक पर टिकी थीं, उस पर से पर्दा उठ गया है। अमेरिका के केंद्रीय बैंक फेडरल रिजर्व ने बुधवार रात अपनी पॉलिसी का ऐलान कर दिया है। फेड की फेडरल ओपन मार्केट कमेटी (FOMC) ने उम्मीद के मुताबिक, ब्याज दरों में 25 बेसिस पाइंट यानी 0.25% की कटौती करने का फैसला किया है। यह इस साल लगातार दूसरी बार है जब फेड ने दरें घटाई हैं। इस कटौती के बाद अमेरिका में ब्याज दरों का नया दायरा 3.75% से 4.00% हो गया है।

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फेड के इस फैसले से दुनिया भर के बाजारों ने राहत की सांस ली है, क्योंकि यह कदम अमेरिकी अर्थव्यवस्था को मंदी से बचाने और कमजोर पडते लेबर मार्केट को संभालने के लिए उठाया गया है।

क्यों की गई यह कटौती?

फेडरल रिजर्व का यह फैसला कई कारणों पर आधारित है। फेड चेयरमैन जेरोम पावेल ने बैठक के बाद कहा कि अमेरिकी लेबर मार्केट में नरमी के संकेत मिल रहे हैं। इस साल नौकरियों के बढने की रफ्तार धीमी हुई है और बेरोजगारी दर भी थोडी बढी है। हालांकि महंगाई अभी भी फेड के 2% के लक्ष्य से ऊपर 3% पर बनी हुई है, लेकिन फेड का फोकस फिलहाल ग्रोथ और रोजगार पर ज्यादा दिख रहा है।

कमेटी के बयान में कहा गया है कि वे आर्थिक हालात, महंगाई और रोजगार के आंकडों पर लगातार नजर बनाए रखेंगे और उसी के आधार पर आगे के फैसले लेंगे। हालांकि, यह फैसला सर्वसम्मति से नहीं लिया गया। 12 सदस्यों वाली कमेटी में 10 ने कटौती के पक्ष में वोट दिया, जबकि एक सदस्य 0.50% की बडी कटौती चाहता था और एक सदस्य दरें स्थिर रखने के पक्ष में था।

दिसंबर में क्या होगा? पावेल ने बढाया सस्पेंस

बाजार को उम्मीद थी कि फेड इस कटौती के साथ-साथ दिसंबर में होने वाली अगली बैठक के लिए भी नरमी के संकेत देगा। लेकिन फेड चेयरमैन जेरोम पावेल ने यहां बाजार को चौंका दिया।

प्रेस कांफ्रेंस में पावेल ने साफ शब्दों में कहा कि दिसंबर की बैठक में एक और कटौती को "पहले से तय" नहीं मानना चाहिए। उन्होंने कहा कि हम अभी यह फैसला नहीं कर रहे हैं कि दिसंबर में क्या होगा। हम आने वाले आंकडों को देखेंगे और उसके बाद ही कोई निर्णय लेंगे। पावेल ने यह भी कहा कि पालिसी को लेकर कमेटी के सदस्यों के बीच "काफी अलग-अलग विचार" थे। उनके इस बयान के बाद अमेरिकी बाजारों में थोडी मुनाफावसूली भी देखने को मिली।

भारत और दुनिया पर क्या होगा असर?

फेड के इस फैसले का असर भारत समेत दुनिया भर के बाजारों पर पडता है। जब अमेरिका ब्याज दरें घटाता है, तो विदेशी निवेशक भारत जैसे उभरते बाजारों में ज्यादा पैसा लगाते हैं, क्योंकि उन्हें यहां बेहतर रिटर्न की उम्मीद होती है। इससे भारतीय रुपए को मजबूती मिल सकती है और शेयर बाजार में भी तेजी का रुख बन सकता है। हालांकि, पावेल के सस्पेंस भरे बयान ने यह साफ कर दिया है कि आगे का रास्ता आसान नहीं होगा। अगर महंगाई काबू में नहीं आती या लेबर मार्केट के आंकडे फिर से मजबूत होने लगते हैं, तो फेड वापस सख्ती का रुख अपना सकता है। फिलहाल, बाजार की नजरें अब दिसंबर में होने वाली फेड की आखिरी बैठक पर टिक गई हैं।

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लेखकों के बारे में

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Upstox Hindi News Desk पत्रकारों की एक टीम है जो शेयर बाजारों, अर्थव्यवस्था, वस्तुओं, नवीनतम व्यावसायिक रुझानों और व्यक्तिगत वित्त को उत्साहपूर्वक कवर करती है।

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