return to news
  1. Budget 2026: इस बार अंतरिम बजट क्यों नहीं पेश करेंगी वित्त मंत्री? समझिए यह आम बजट से कितना होता है अलग

बिजनेस न्यूज़

Budget 2026: इस बार अंतरिम बजट क्यों नहीं पेश करेंगी वित्त मंत्री? समझिए यह आम बजट से कितना होता है अलग

विकास तिवारी

3 min read | अपडेटेड December 01, 2025, 16:06 IST

Twitter Page
Linkedin Page
Whatsapp Page

सारांश

वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण 1 फरवरी को देश का पूर्ण बजट पेश करेंगी। इस बार चुनाव नहीं है, इसलिए अंतरिम बजट पेश नहीं किया जाएगा। अनुच्छेद 112 के तहत पूरे साल का लेखा-जोखा रखा जाएगा। इस खबर में जानिए आम बजट, अंतरिम बजट और लेखानुदान में क्या अंतर होता है।

निर्मला सीतारमण

देश की वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण

Budget 2026: नया साल शुरू होने वाला है और इसके साथ ही देश की निगाहें संसद के बजट सत्र पर टिक गई हैं। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण 1 फरवरी को वित्तीय वर्ष 2026-27 का बजट पेश करने जा रही हैं। यह बजट देश के हर नागरिक की जेब और रसोई पर सीधा असर डालता है। चूंकि देश में आम चुनाव 2024 में संपन्न हो चुके हैं और अभी सरकार का कार्यकाल सुचारू रूप से चल रहा है, इसलिए 2026 में 'पूर्ण बजट' पेश किया जाएगा। अक्सर लोगों के मन में यह सवाल आता है कि आखिर सरकार कब अंतरिम बजट लाती है और कब पूर्ण बजट? और इन दोनों में बुनियादी फर्क क्या है? आइए आसान भाषा में इस पूरे गणित को समझते हैं।
Open FREE Demat Account within minutes!
Join now

इस बार पूर्ण बजट ही क्यों?

सबसे पहले यह समझना जरूरी है कि 2026-27 के लिए पूर्ण बजट क्यों पेश किया जा रहा है। नियम के मुताबिक, अंतरिम बजट तब पेश किया जाता है जब लोकसभा चुनाव होने वाले हों और सरकार का कार्यकाल खत्म होने वाला हो, जैसा कि हमने 2024 में देखा था। उस समय चुनाव से ठीक पहले अंतरिम बजट आया था। लेकिन अब चूंकि कोई लोकसभा चुनाव नजदीक नहीं है, इसलिए 1 फरवरी को पूर्ण बजट पेश होगा। इसमें सरकार 1 अप्रैल 2026 से 31 मार्च 2027 तक के पूरे वित्तीय वर्ष के लिए अपनी कमाई और खर्च का रोडमैप देश के सामने रखेगी। इसमें बड़े नीतिगत फैसले लिए जा सकते हैं।

क्या होता है अंतरिम बजट?

अंतरिम बजट के बारे में संविधान के अनुच्छेद 116 में बताया गया है। यह बजट तब लाया जाता है जब सरकार के पास पूर्ण बजट पेश करने का समय नहीं होता। यह एक अस्थाई व्यवस्था है। इसमें सरकार अगली सरकार बनने तक के कुछ महीनों के खर्च के लिए संसद से अनुमति मांगती है। आमतौर पर अंतरिम बजट में कोई बड़ी लोकलुभावन घोषणाएं नहीं की जाती हैं (हालांकि इसकी कोई संवैधानिक मनाही नहीं है) और न ही कोई नया टैक्स लगाया जाता है, क्योंकि नई नीतियों का फैसला आने वाली सरकार पर छोड़ दिया जाता है। इसे 'मिनी बजट' भी कहा जाता है।

पूर्ण बजट यानी आम बजट क्या है?

आम बजट को पूर्ण बजट कहा जाता है, जिसका जिक्र संविधान के अनुच्छेद 112 में है। इसे 'वार्षिक वित्तीय विवरण' भी कहते हैं। इस बार वित्त मंत्री 2026-27 का जो बजट पेश करेंगी, उसमें सरकार पूरे एक साल का हिसाब-किताब देगी। इसमें विस्तार से बताया जाता है कि सरकार के पास पैसा कहां से आएगा और वह उसे कहां खर्च करेगी। आम बजट का मुख्य उद्देश्य राजकोषीय घाटे को कम करना, विकास दर को बढाना, महंगाई को काबू में रखना और देश की अर्थव्यवस्था को दिशा देना होता है। इसमें सरकार टैक्स स्लैब में बदलाव जैसे बड़े फैसले ले सकती है।

वोट ऑन अकाउंट और बजट में फर्क

अक्सर लोग 'वोट ऑन अकाउंट' यानी लेखानुदान और अंतरिम बजट को एक ही समझ लेते हैं, लेकिन इनमें भी थोड़ा फर्क है। वोट ऑन अकाउंट का जिक्र भी संविधान के अनुच्छेद 116 में है। जब सरकार को पूरे साल के बजाय केवल कुछ महीनों के खर्च (जैसे कर्मचारियों की सैलरी, पेंशन और सरकारी योजनाओं का खर्च) चलाने के लिए संसद से पैसे की मंजूरी चाहिए होती है, तो वह वोट ऑन अकाउंट लाती है। अंतरिम बजट में जहां कमाई और खर्च दोनों का ब्यौरा होता है, वहीं वोट ऑन अकाउंट में केवल खर्च के लिए मंजूरी मांगी जाती है।

मार्केट में हलचल?
स्मार्ट टूल्स के साथ आगे बढ़ें
promotion image

लेखकों के बारे में

विकास तिवारी
Vikash Tiwary is a finance journalist with 6+ years of newsroom experience. He is currently growing Upstox Hindi, crafting data-driven stories on stocks, personal finance, mutual funds, and global markets, while exploring how AI can simplify finance. His work spans Zee Business, TV9 Bharatvarsh, ABP News, India TV, and Inshorts. He also holds NISM certification.

अगला लेख