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आसान भाषा में समझें CRR कटौती का मतलब, भारतीय अर्थव्यवस्था पर क्या पड़ेगा इसका असर?

Upstox

3 min read | अपडेटेड June 06, 2025, 13:22 IST

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सारांश

CRR में कटौती के मायने क्या हैं, इससे भारतीय अर्थव्यवस्था पर क्या असर देखने को मिल सकता है? CRR में कटौती से अर्थव्यवस्था के प्रोडक्टिव सेक्टर्स को कर्ज देने के लिए बैंकिंग सिस्टम में 2.5 लाख करोड़ रुपये का एक्स्ट्रा कैश उपलब्ध होगा।

कैश रिजर्व रेशियो

क्या है कैश रिजर्व रेशियो, कटौती से भारतीय अर्थव्यवस्था पर पड़ेगा क्या असर?

Reserve Bank of India (RBI) यानी कि भारतीय रिजर्व बैंक ने शुक्रवार को मौजूदा फाइनेंशियल ईयर की दूसरी द्विमासिक मौद्रिक समीक्षा पेश करते हुए Cash Reserve Ratio (CRR) यानी कि नकद आरक्षित अनुपात में 1% की भारी कटौती करने का फैसला किया। चलिए समझते हैं कि CRR में कटौती के मायने क्या हैं, इससे भारतीय अर्थव्यवस्था पर क्या असर देखने को मिल सकता है। CRR में कटौती से अर्थव्यवस्था के प्रोडक्टिव सेक्टर्स को कर्ज देने के लिए बैंकिंग सिस्टम में 2.5 लाख करोड़ रुपये का एक्स्ट्रा कैश उपलब्ध होगा। CRR में 29 नवंबर, 2025 को समाप्त होने वाले पीरियड में चार बराबर किश्तों में कटौती होगी और यह घटकर 3% रह जाएगी। इसका मतलब यह है कि कमर्शियल बैंकों को कैश के रूप में 3% का निचला स्तर बनाए रखना होगा, क्योंकि आरबीआई उन्हें उधार देने के लिए अधिक धनराशि रखने की अनुमति देगा।

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क्या है CRR?

आसान भाषा में कहें तो कैश रिजर्व रेशियो नकदी का एक निश्चित प्रतिशत है, जिसे सभी बैंकों को आरबीआई के पास जमा के रूप में रखना होता है। यह प्रतिशत आरबीआई द्वारा तय किया जाता है और समय-समय पर सेंट्रल बैंक द्वारा ही बदला जाता है।

CRR कटौती को लेकर क्या बोले RBI गवर्नर

द्विमासिक मौद्रिक नीति समीक्षा पेश करते हुए आरबीआई गवर्नर संजय मल्होत्रा ने कहा, ‘भारतीय रिजर्व बैंक, बैंकिंग सिस्टम को पर्याप्त कैश उपलब्ध कराने के लिए प्रतिबद्ध है। टिकाऊ नकदी उपलब्ध कराने के लिए, साल के दौरान चरणबद्ध तरीके से सीआरआर को 1% घटाकर Net Demand and Time Liabilities (NDTL) यानी कि शुद्ध मांग और समयबद्ध देयताओं के 3% तक कम करने का फैसला लिया गया है।’ उन्होंने कहा कि यह कटौती 0.25% की चार बराबर किश्तों में की जाएगी। यह 6 सितंबर, 4 अक्टूबर, 1 नवंबर और 29 नवंबर, 2025 से शुरू होने वाले पखवाड़ों से प्रभावी होगी।

मल्होत्रा ने कहा, ‘सीआरआर में कटौती से दिसंबर, 2025 तक बैंकिंग सिस्टम में करीब 2.5 लाख करोड़ रुपये का प्राइमरी कैश उपलब्ध होगा। टिकाऊ नकदी देने के अलावा इससे बैंकों की फाइनेंसिंग की लागत कम होगी, जिससे ऋण बाजार में मौद्रिक नीति ट्रांसमिशन में मदद मिलेगी।’

भारतीय अर्थव्यवस्था पर क्या होगा इसका असर?

उच्च ऋण प्रवाह (High debt flow) से आर्थिक वृद्धि को बढ़ावा देने में मदद मिलेगी, जो फाइनेंशियल ईयर 2024-25 में चार साल के निचले स्तर 6.5% पर पहुंच गई है। आरबीआई ने पिछली बार दिसंबर, 2024 की एमपीसी घोषणा में सीआरआर को 0.5% घटाकर 4% कर दिया था। इस कदम से बैंकिंग प्रणाली में 1.16 लाख करोड़ रुपये उपलब्ध हुए थे। आरबीआई ने हालांकि Statutory Liquidity Ratio (SLR) यानी कि सांविधिक नकदी अनुपात में कोई बदलाव नहीं किया और इसे 18% पर बरकरार रखा। नकदी की स्थिति पर मल्होत्रा ​​ने कहा कि जनवरी से अबतक बैंकिंग सिस्टम में कुल 9.5 लाख करोड़ रुपये की टिकाऊ निधि डाली गई है।

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लेखकों के बारे में

Upstox
Upstox Hindi News Desk पत्रकारों की एक टीम है जो शेयर बाजारों, अर्थव्यवस्था, वस्तुओं, नवीनतम व्यावसायिक रुझानों और व्यक्तिगत वित्त को उत्साहपूर्वक कवर करती है।

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