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RBI MPC मीटिंग आज से, क्या रेट कट का मिलेगा तोहफा, किन मुद्दों पर होगी चर्चा?

Upstox

3 min read | अपडेटेड December 03, 2025, 09:04 IST

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सारांश

RBI MPC Meeting: अक्टूबर की अपनी बैठक में, एमपीसी ने लगातार चौथी बार रेपो दर को 5.5% पर स्थिर रखा। आरबीआई गवर्नर संजय मल्होत्रा ​​ने तब कहा था कि मुद्रास्फीति में तेजी से कमी आई है, जिससे समिति को अपना रुख बनाए रखने का भरोसा मिला है।

आरबीआई एमपीसी

आज से शुरू हो रही आरबीआई एमपीसी मीटिंग

Reserve Bank of India (RBI) यानी कि भारतीय रिजर्व बैंक साल 2025 की अपनी अंतिम मौद्रिक नीति समिति (Monetary Policy Committee, MPC) की मीटिंग आज से शुरू कर रहा है। यह मीटिंग ऐसे समय में हो रही है जब अर्थव्यवस्था छह तिमाहियों में सबसे तेज गति से बढ़ रही है और मुद्रास्फीति रिकॉर्ड मासिक निचले स्तर पर आ गई है। तीन दिन चलने वाली इस मीटिंग में, जो सबसे बड़ा मुद्दा है, वह यह कि क्या आरबीआई फिर से रेट कट करेगा? इस पर आकलन किया जाएगा कि क्या मौजूदा हालात ब्याज दरों में कटौती की मांग करते हैं या आरबीआई नीतिगत ढील देने से पहले और इंतजार करना पसंद करेगा। अक्टूबर की अपनी बैठक में, एमपीसी ने लगातार चौथी बार रेपो दर को 5.5% पर स्थिर रखा। आरबीआई गवर्नर संजय मल्होत्रा ने तब कहा था कि मुद्रास्फीति में तेजी से कमी आई है, जिससे समिति को अपना रुख बनाए रखने का भरोसा मिला है। अब जब विकास दर मजबूत हो रही है और कीमतों का दबाव और कम हो रहा है, तो ध्यान इस बात पर केंद्रित हो गया है कि क्या दिसंबर की समीक्षा रेट कट साइकल की शुरुआत का संकेत दे सकती है।

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इंडिया टुडे की खबर के मुताबिक अब तक, ज्यादातर विशेषज्ञों का मानना है कि केंद्रीय बैंक सतर्क रहेगा। बेसिक होम लोन के सीईओ और सह-संस्थापक अतुल मोंगा के अनुसार, आरबीआई दरों को अपरिवर्तित रखने की पूरी संभावना रखता है। उन्होंने कहा, ‘मुद्रास्फीति में राहत के संकेत दिखने के बावजूद, हमें उम्मीद है कि मौद्रिक नीति समिति रेपो रेट में कोई बदलाव नहीं करेगी।’ मोंगा ने आगे कहा कि इस रोक से स्थिरता तो आती है, लेकिन पिछले दो सालों में फ्लोटिंग-रेट होम लोन लेने वाले उधारकर्ताओं के लिए यह तुरंत राहत का संकेत नहीं है।

उन्होंने कहा, ‘घर खरीदारों के लिए, इसका मतलब है कि निकट भविष्य में ईएमआई बढ़ सकती है, जिससे अगले साल स्थिरता मिलेगी। लेकिन इसका मतलब जरूरी नहीं कि राहत मिले, क्योंकि पिछले 18-24 महीनों में फ्लोटिंग-रेट लोन लेने वाले कई उधारकर्ता अभी भी ज्यादा भुगतान की प्रतिबद्धताओं से जूझ रहे हैं।’ मोंगा ने कहा कि ऋणदाताओं से अपेक्षा की जाती है कि वे सिलेक्टिव बने रहें और मजबूत, वेतनभोगी उधारकर्ताओं को प्राथमिकता देते रहें, खासकर टियर-2 और टियर-3 मार्केट में। उन्होंने मौद्रिक ढांचे के बाहर संभावित नीतिगत बदलावों की ओर भी इशारा किया, जो हाउसिंग मार्केट को मामूली ब्याज दर कटौती से कहीं अधिक प्रभावित कर सकते हैं।

उन्होंने कहा, ‘जीएसटी 2.0 को लेकर चल रही शुरुआती बातचीत एक बुनियादी सुधार है जिस पर ध्यान देने की जरूरत है। एक ज्यादा प्रभावी व्यवस्था अंडर-कंस्ट्रक्शन घरों पर टैक्स का बोझ कम कर सकती है, इनपुट टैक्स क्रेडिट को सुव्यवस्थित कर सकती है और डेवलपर्स की लागत कम कर सकती है। अगर इसे सही तरीके से लागू किया जाए, तो इससे प्रॉपर्टी की कीमतें कम हो सकती हैं और प्रतिस्पर्धी होम लोन दरों को बढ़ावा मिल सकता है, खासकर किफायती हाउसिंग सेक्टर में।’

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Upstox Hindi News Desk पत्रकारों की एक टीम है जो शेयर बाजारों, अर्थव्यवस्था, वस्तुओं, नवीनतम व्यावसायिक रुझानों और व्यक्तिगत वित्त को उत्साहपूर्वक कवर करती है।

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