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4 min read | अपडेटेड July 30, 2025, 17:55 IST
सारांश
Nestle India: एक दशक तक नेस्ले इंडिया की कमान संभालने और Nestle India को 'मैगी संकट' जैसे कठिन दौर से निकालकर उसे फिर से लोगों की पहली पसंद बनाने वाले सुरेश नारायणन इस महीने के अंत में रिटायर होने जा रहे हैं। अपने रिटायरमेंट से पहले उन्होंने उस दौर को याद करते हुए बताया कि मैगी विवाद से उन्हें क्या-क्या सीखने को मिला।
Nestle India के पॉपुलर प्रोडक्ट मैगी पर फूड रेगुलेटर FSSAI ने जून 2015 में प्रतिबंध लगा दिया था।
एक दशक तक नेस्ले इंडिया की कमान संभालने और कंपनी को 'मैगी संकट' जैसे कठिन दौर से निकालकर उसे फिर से लोगों की पहली पसंद बनाने वाले सुरेश नारायणन इस महीने के अंत में रिटायर होने जा रहे हैं। अपने रिटायरमेंट से पहले उन्होंने उस दौर को याद करते हुए बताया कि मैगी विवाद से उन्हें क्या-क्या सीखने को मिला।
Nestle India के पॉपुलर प्रोडक्ट मैगी पर फूड रेगुलेटर FSSAI ने जून 2015 में प्रतिबंध लगा दिया था, क्योंकि इसमें कथित तौर पर स्वीकार्य सीमा से अधिक सीसा पाया गया था। हालांकि, Nestle India इस संकट से ना सिर्फ पूरी तरह उबर चुका है बल्कि कंपनी का बिजनेस भी अब पूरी रफ्तार के साथ आगे बढ़ रहा है।
सुरेश नारायणन ने इस मामले पर बात करते हुए कहा कि संकट किसी कंपनी में बदलाव लाने का सबसे अच्छा समय होता है। उन्होंने एक दशक पहले कंपनी को प्रभावित करने वाले मैगी संकट से सीखे गए सबक को साझा किया। नारायणन कंपनी को अस्तित्व के संकट से निकालकर एक फलते-फूलते कारोबार में बदलने के बाद इस महीने के अंत में रिटायर होंगे।
उन्होंने पीटीआई से खास बातचीत में कहा कि जब “माहौल में कोई भी बदलाव होता है, तो कंपनी को यह आकलन करते हुए उस पर नजर रखनी चाहिए कि इसका कितना प्रभाव पड़ने वाला है।”
उस समय नेस्ले फिलिपीन के चेयरमैन और CEO का कार्यभार संभाल रहे नारायणन को इस संकट से निपटने के लिए स्विस फूड मल्टीनेशनल कंपनी ने तुरंत भारत भेज दिया। वह एक अगस्त 2015 को नेस्ले इंडिया में मैनेजिंग डायरेक्टर (एमडी) के रूप में शामिल हुए और प्रतिबंध हटने के पांच महीने बाद नवंबर 2015 में मैगी को फिर से पेश किया गया।
जब नारायणन से पूछा गया कि मैगी संकट से क्या सबक सीखा गया, तो उन्होंने कहा, “संकट बदलाव लाने का एक बहुत अच्छा समय होता है। आप उन सभी चीजों को हटा सकते हैं जो कंज्यूमर के लिए वैल्यू ऐड करने के उद्देश्य की पूर्ति नहीं कर रही हैं, और ऐसी चीजें ला सकते हैं जो कंज्यूमर के लिए वैल्यू ऐड करें।”
मैगी संकट के दौरान अपने अनुभव को याद करते हुए उन्होंने कहा कि पहले 100 दिन उनके करियर की सबसे बड़ी चुनौतियों में से एक थे। उन्होंने कहा, “मैं नेस्ले में एक बहुत ही मुश्किल दौर में आया था। शायद यह अस्तित्व का संकट था। यह उन परिस्थितियों में से एक थी जब भारत के व्यापार जगत में मैगी सभी खबरों के केंद्र में थी।”
इस अनुभव को याद करते हुए नारायणन ने कहा, “इस तरह का संकट टेक्निकल फैक्ट्स से कहीं अधिक है। इसमें पर्सपेक्टिव और परसेप्शन" मायने रखती हैं। हमारी शुरुआती प्रतिक्रिया फैक्ट्स पर अधिक आधारित थी, जबकि हमने यह कम करके आंका था कि एक ब्रांड के रूप में मैगी कंज्यूमर्स पर कहीं अधिक प्रभाव डाल सकती है।”
नारायणन ने कहा, “मुझे लगता है कि हमने यह सबक सीखा है कि माहौल या स्थिति में किसी भी बदलाव के मामले में, कंपनी को यह आकलन करते रहना चाहिए कि उसका कितना प्रभाव होगा।” उनके अनुसार, मैगी ब्रांड के प्रति भरोसा और उसके कर्मचारियों, पार्टनर्स, डिस्ट्रीब्यूटर्स, सप्लायर्स और कंज्यूमर्स की सामूहिक ताकत ने ही कंपनी को नए जोश के साथ वापसी करने में मदद की।
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