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3 min read | अपडेटेड May 04, 2025, 13:50 IST
सारांश
देश की सबसे बड़ी कार मैनुफैक्चरिंग कंपनी मारुति ने 2030-31 तक मार्केट में लगभग 28 विभिन्न मॉडल के साथ 20 लाख यूनिट की उत्पादन क्षमता और जोड़ने का लक्ष्य रखा है।
EV को लेकर मारुति सुजुकी इंडिया ने बनाया जबर्दस्त प्लान, पांच सालों में दिखेगा असर
देश की प्रमुख कार कंपनी मारुति सुजुकी इंडिया (MSI) अपनी उत्पादन क्षमताओं को लचीला बना रही है। इसके पीछे उद्देश्य एक ही मैनुफैक्चरिंग सेट-अप से इलेक्ट्रिक गाड़ियों समेत अधिक मॉडल का उत्पादन करना है। कंपनी के एक वरिष्ठ अधिकारी ने यह जानकारी दी। देश की सबसे बड़ी कार मैनुफैक्चरिंग कंपनी मारुति ने 2030-31 तक मार्केट में लगभग 28 विभिन्न मॉडल के साथ 20 लाख यूनिट की उत्पादन क्षमता और जोड़ने का लक्ष्य रखा है। फिलहाल हरियाणा और गुजरात के अपने मैनुफैक्चरिंग प्लांट के साथ कंपनी की कुल उत्पादन क्षमता सालाना 26 लाख इकाई की है। हरियाणा में गुरुग्राम और मानेसर में दो प्लांट सालाना लगभग 16 लाख इकाई का उत्पादन करते हैं। खरखौदा में नए प्लांट ने भी उत्पादन शुरू कर दिया है।
शुरुआत में, नई सुविधा की वार्षिक उत्पादन क्षमता 2.5 लाख इकाई की होगी और यह कॉम्पैक्ट एसयूवी ब्रेजा का मैनुफैक्चर करेगी। कंपनी की एक इकाई सुजुकी मोटर गुजरात ने भी गुजरात में एक सुविधा स्थापित की है, जिसकी स्थापित उत्पादन क्षमता प्रति सालाना 7.5 लाख इकाई की है। मारुति सुजुकी इंडिया के वरिष्ठ कार्यकारी अधिकारी (कॉरपोरेट मामले) राहुल भारती ने विश्लेषकों से बातचीत में कहा, ‘उत्पादन योजना के बारे में, हम अपने प्लांट्स को अधिक लचीला बना रहे हैं, ताकि अधिक लाइन अधिक मॉडल का उत्पादन कर सकें। और हम यह भी ध्यान रख रहे हैं कि स्थापित की गई नई लाइन इलेक्ट्रिक गाड़ियों का भी मैनुफैक्चर कर सकें।’
मारुति इस साल सितंबर में अपना पहला इलेक्ट्रिक मॉडल ई-विटारा उतारने का प्लान बना रही है और पहले साल में ज्यादातर उत्पादन विदेशी बाजारों में जाने की उम्मीद है। भारती ने कहा कि बैटरी के वजन की वजह से ईवी पारंपरिक मॉडल की तुलना में कहीं अधिक भारी वाहन हैं। उन्होंने कहा, ‘इसलिए, उस हिसाब से उत्पादन लाइन में कुछ अंतर है। लेकिन हम इसे लचीला बना रहे हैं, चाहे वह गुजरात में हो या खरखौदा (हरियाणा) में।’ ईवी की लाभप्रदता के बारे में एक सवाल पर, उन्होंने कहा कि कंपनी इस बात से अवगत है कि डिजाइन के अनुसार ईवी की लाभप्रदता बहुत कम होगी और यह पूरे उद्योग के लिए सच है। भारती ने कहा, ‘हम ईवी से आईसी (परंपरागत) इंजन के समान लाभप्रदता की उम्मीद नहीं कर सकते। और अगर ऐसा होता, तो सरकार को शायद 5% गुड्स एंड सर्विसेज टैक्ट (जीएसटी) या इतनी सारी योजनाएं या इतनी सारी समर्थन वाली नीतियां बनाने की जरूरत नहीं होती। इसलिए, हमें इसके बारे में सचेत रहना होगा।’
उन्होंने कहा कि कंपनी कॉर्बन उत्सर्जन में कई नई प्रौद्योगिकियों के जरिए कमी लाएगी। हम अपने ईवी प्रयासों में सभी संभव प्रौद्योगिकियों का इस्तेमाल करेंगे, जिससे कॉर्बन उत्सर्जन को कम किया जा सके। भारती ने कहा कि एकल घरेलू परिदृश्य की तुलना में निर्यात निश्चित रूप से हमारी कुछ मदद करेगा। उन्होंने कहा, ‘आपको को कुछ बाजारों और अन्य में मूल्य के मोर्चे पर लाभ मिल सकता है।’ सख्त (कॉरपोरेट एवरेज फ्यूल एफिशिएंसी) सीएएफई-तीन नियमों को लागू किए जाने के विषय में उन्होंने कहा कि कंपनी इस मोर्चे पर कुछ फाइनल करने की उम्मीद कर रही है। इस नियम का मकसद कॉर्बन डाई-ऑक्साइड उत्सर्जन को कम करना है।
भाषा इनपुट के साथ
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