बिजनेस न्यूज़
2 min read | अपडेटेड March 10, 2025, 07:50 IST
सारांश
Mark Carney: कनाडा की सेंट्रल बैंक और बैंक ऑफ इंग्लैंड के हेड रह चुके कार्नी से उम्मीद है कि जिस तरह उन्होंने कनाडा को 2008 के वित्तीय संकट से बाहर निकाला था, वह एक बार फिर अमेरिका के टैरिफ वॉर से देश के घरेलू बाजार को होने वाले किसी भी तरह के नुकसान से बचाकर ले जा सकेंगे। कार्नी जस्टिन ट्रूडो की जगह लेंगे जिन्होंने जनवरी में पद से इस्तीफा दिया था।
कार्नी ऐसे वक्त में कनाडा की कमान संभालने जा रहे हैं जब अमेरिका की ओर से ट्रेड वॉर की चिंता खड़ी हो गई है।
मार्क कार्नी का चुनौतियों से सामना पुराना रहा है। वह बैंक और कनाडा के हेड रह चुके हैं। इस दौरान उन्होंने कई मुश्किल हालात से निजात पाई थी। साल 2008 में आए वित्तीय संकट के दौरान उन्होंने ही कनाडा को बाकी देशों के मुकाबले कहीं तेजी से बाहर निकाल लिया था। इसके लिए यूके में उनकी काफी सराहना की गई थी।
यहां तक कि वह बैंक ऑफ इंग्लैंड के पहले गैर-नागरिक हेड भी रह चुके हैं। ऐसे में उनसे उम्मीद लगाई जा रही है कि कनाडा के घरेलू व्यापार का किसी तरह के खतरे, खासकर बाहरी तनाव के कारण नुकसान से बचाव करेंगे।
ट्रूडो ने जनवरी में ही अपने इस्तीफे का ऐलान कर दिया था। फिलहाल वह कार्नी के पदभार संभालने तक पीएम की कुर्सी पर कायम रहेंगे।
वहीं, पड़ोसी देश अमेरिका के राष्ट्रपति पद की कुर्सी पर बैठने के बाद से डोनाल्ड ट्रंप (Donald Trump) ने कनाडा के खिलाफ व्यापार को लेकर एक तरह से जंग छेड़ रखी है। ट्रंप का आरोप है कि कनाडा की सीमा से फेंटानिल (Fentanyl) जैसे नशीले पदार्थ अमेरिका की सीमा में दाखिल होते हैं।
ट्रंप ने इस पर नकेल कसने के लिए कनाडा के ऊपर 25% टैरिफ जड़ दिया है। इस पर ट्रूडो ने भी जवाबी टैरिफ का ऐलान कर दिया। ट्रूडो ने ट्रंप के टैरिफ के फैसले को अनुचित बताते हुए कहा था कि कनाडा भी टैरिफ का जवाब देने से पीछे नहीं हटेगा। ऐसे में दोनों देशों के व्यापार पर नकारात्मक असर पड़ने की आशंका है।
ये टैरिफ 4 मार्च से लागू होने थे लेकिन रिपोर्ट्स के मुताबिक इन्हें 2 अप्रैल तक के लिए टाल दिया गया है।
संबंधित समाचार
लेखकों के बारे में
अगला लेख