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  1. हमेशा एक जैसी ही नहीं रहेगी क्रूड ऑयल की कीमतें, रूस पर अमेरिका और यूरोप का दबाव बदल सकता है गेम

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हमेशा एक जैसी ही नहीं रहेगी क्रूड ऑयल की कीमतें, रूस पर अमेरिका और यूरोप का दबाव बदल सकता है गेम

Upstox

2 min read | अपडेटेड September 29, 2025, 14:53 IST

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सारांश

OPEC+ के उत्पादन बढ़ाने के बावजूद अमेरिकी और यूरोपीय भंडार में बड़ी बढ़ोतरी नहीं देखी गई है। चीन लगातार ज्यादा आयात कर रहा है, जिससे स्टॉकपाइलिंग की आशंका है। कोटक का मानना है कि कीमतें $70 प्रति बैरल के आसपास टिक सकती हैं।

Crude Oil Price

Crude Oil Price: तेल की कीमतों का हाल जानें

दुनियाभर में कच्चे तेल की कीमतों को लेकर एक बार फिर चर्चा तेज हो गई है। कोटक सिक्योरिटीज का कहना है कि मौजूदा हालात देखते हुए तेल की कीमतें लंबे समय तक नीचे रहना मुश्किल है। फर्म ने क्रूड का लक्ष्य 70 डॉलर प्रति बैरल तय किया है।

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रूस पर अमेरिका और यूरोप का दबाव

ब्रोकरेज के अनुसार, अमेरिका और यूरोपीय संघ लगातार रूस के तेल निर्यात पर सख्ती बढ़ा रहे हैं। इस वजह से बाज़ार में यह डर बना हुआ है कि कहीं आपूर्ति बाधित न हो जाए। अभी तक रूस के निर्यात पर पश्चिमी देशों की पाबंदियों का बड़ा असर नहीं पड़ा है क्योंकि भारत, चीन और तुर्की जैसे देशों ने ज्यादा आयात कर इसकी भरपाई कर दी है। लेकिन कोटक का कहना है कि अगर रूस का निर्यात 2-3 मिलियन बैरल प्रतिदिन भी घटा तो कीमतों में तेजी आना तय है।

OPEC+ की रणनीति से समझ जाएंगे मौजूदा हालात

OPEC+ ने पिछले साल के दौरान उत्पादन में करीब 2 मिलियन बैरल प्रतिदिन की बढ़ोतरी की है। इसके बावजूद अमेरिका और यूरोप में तेल का भंडार खासा नहीं बढ़ा है। इससे साफ है कि उत्पादन बढ़ने के बाद भी आपूर्ति और मांग का संतुलन बहुत टाइट है। यही वजह है कि कीमतें लुढ़कने की बजाय टिके हुए हैं। सोमवार को कीमतों में हल्की गिरावट आई थी। रिपोर्ट्स आई थीं कि OPEC+ नवंबर में और ज्यादा सप्लाई बढ़ाने पर विचार कर रहा है। उस समय ब्रेंट क्रूड 69.77 डॉलर प्रति बैरल और WTI 65.26 डॉलर प्रति बैरल पर ट्रेड कर रहा था। हालांकि, कोटक का मानना है कि यह गिरावट अस्थायी है और कीमतें जल्दी ही 70 डॉलर के आसपास टिक सकती हैं।

कमज़ोर मांग के बावजूद चीन लगातार ज्यादा तेल आयात कर रहा है। कोटक का कहना है कि यह स्टॉकपाइलिंग का संकेत है। यानी चीन भविष्य में सप्लाई में किसी रुकावट से बचने के लिए अभी से भंडारण कर रहा है। यह भी एक कारण है कि ग्लोबल कीमतें नीचे नहीं आ रही हैं।

शेल ऑयल का असर

फर्म ने यह भी कहा कि जब कीमतें 65-70 डॉलर प्रति बैरल के दायरे में आती हैं तो अमेरिकी शेल ऑयल उत्पादन धीमा पड़ जाता है। क्योंकि अमेरिकी शेल प्रोड्यूसर्स का ब्रेक-ईवन प्राइस लगभग 65 डॉलर प्रति बैरल है। यानी इससे कम पर उत्पादन उनके लिए फायदेमंद नहीं रहता।

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लेखकों के बारे में

Upstox
Upstox Hindi News Desk पत्रकारों की एक टीम है जो शेयर बाजारों, अर्थव्यवस्था, वस्तुओं, नवीनतम व्यावसायिक रुझानों और व्यक्तिगत वित्त को उत्साहपूर्वक कवर करती है।

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