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Labour Codes: सरकार ने लागू किए 4 लेबर कोड, महिलाओं से युवाओं तक कर्मचारियों को होंगे ये फायदे

Upstox

5 min read | अपडेटेड November 21, 2025, 16:49 IST

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सारांश

Labour Codes: इन कोड्स का उद्देश्य हर तरह के कर्मचारी फिक्स्ड टर्म, कॉन्ट्रैक्ट, गिग वर्कर, महिला कर्मचारी, माइग्रेंट वर्कर, MSME कर्मचारी, मीडिया वर्कर, खदानों में काम करने वाले कर्मचारी, प्लांटेशन कर्मचारी, खतरनाक उद्योगों के कर्मचारी और एक्सपोर्ट सेक्टर वर्कर्स को समान सुरक्षा, बेहतर वेतन, सामाजिक सुरक्षा और सुरक्षित कार्यस्थल उपलब्ध कराना है।

Labour Codes

Labour Codes: चारों कोड लागू होने के बाद श्रमिकों को बेहतर सुरक्षा, मजबूत सामाजिक लाभ और साफ-सुथरा वेतन ढांचा मिलेगा।

Labour Codes: आज 21 नवंबर को देश के श्रमिकों की राहत के लिए भारत सरकार ने एक अहम कदम उठाया है। सरकार ने देश के चार अहम लेबर कोड को तत्काल प्रभाव से लागू करने का ऐलान किया है। इनमें वेज कोड 2019, इंडस्ट्रियल रिलेशंस कोड 2020, सोशल सिक्योरिटी कोड 2020 और ऑक्युपेशनल सेफ्टी, हेल्थ एंड वर्किंग कंडीशंस कोड 2020 शामिल हैं। इन्हें आज 21 नवंबर 2025 से लागू करने का फैसला किया है। इसका मकसद श्रमिकों की सुरक्षा, बेहतर वेतन, सामाजिक सुरक्षा और उद्योगों में सुगमता लाना है।
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इन 4 कोड्स के लागू होने से पुराने 29 अलग-अलग श्रम कानून खत्म हो जाएंगे और उनकी जगह एक सरल और आधुनिक व्यवस्था लागू होगी। श्रम मंत्री मनसुख मांडविया ने यहां एक संवाददाता सम्मेलन में कहा, ''चारों श्रम संहिताओं को अधिसूचित कर दिया गया है और अब ये देश का कानून हैं।'' नए लेबर कोड इन पुरानी और बिखरी हुई व्यवस्थाओं को सरल बनाकर आधुनिक जरूरतों के अनुसार तैयार करते हैं। चारों कोड लागू होने के बाद श्रमिकों को बेहतर सुरक्षा, मजबूत सामाजिक लाभ और साफ-सुथरा वेतन ढांचा मिलेगा।

अलग-अलग सेक्टर्स के कर्मचारियों को होंगे ये फायदे

इन कोड्स का उद्देश्य हर तरह के कर्मचारी फिक्स्ड टर्म, कॉन्ट्रैक्ट, गिग वर्कर, महिला कर्मचारी, माइग्रेंट वर्कर, MSME कर्मचारी, मीडिया वर्कर, खदानों में काम करने वाले कर्मचारी, प्लांटेशन कर्मचारी, खतरनाक उद्योगों के कर्मचारी और एक्सपोर्ट सेक्टर वर्कर्स को समान सुरक्षा, बेहतर वेतन, सामाजिक सुरक्षा और सुरक्षित कार्यस्थल उपलब्ध कराना है।

  • सबसे पहले, फिक्स्ड-टर्म कर्मचारियों (FTE) को अब स्थायी कर्मचारियों जैसी सभी सुविधाएं मिलेंगी। उन्हें मेडिकल, लीव, सोशल सिक्योरिटी के साथ–साथ सिर्फ एक साल में ग्रेच्युटी पाने का हक मिलेगा। इससे कंपनियों में डायरेक्ट हायरिंग बढ़ेगी और ठेके पर काम देने की जरूरत कम होगी।
  • गिग और प्लेटफॉर्म वर्कर्स को पहली बार आधिकारिक पहचान दी गई है। कंपनियों (एग्रीगेटर्स) को अब इनके लिए सालाना टर्नओवर का 1–2% योगदान देना होगा। एक यूनिवर्सल अकाउंट नंबर बनाया जाएगा, जिससे वे कहीं भी काम करें, उन्हें अपने सभी लाभ आसानी से मिल सकें।
  • कॉन्ट्रैक्ट वर्कर्स के लिए भी सुरक्षा बढ़ाई गई है। प्रमुख नियोक्ता को अब इनके लिए स्वास्थ्य सुविधाएं, सोशल सिक्योरिटी और सालाना फ्री हेल्थ चेक-अप देना अनिवार्य होगा। FTE व्यवस्था से कॉन्ट्रैक्ट कर्मचारियों की नौकरी और अधिकार मजबूत होंगे।
  • महिला कर्मचारियों के लिए नए कोड्स बेहद अहम हैं। अब कानूनी तौर पर जेंडर आधार पर भेदभाव पूरी तरह प्रतिबंधित है। महिलाओं को रात की शिफ्ट में काम करने की अनुमति दी गई है, बशर्ते सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम हों। महिलाओं की शिकायत निवारण समितियों में भी अनिवार्य प्रतिनिधित्व होगा।
  • युवा कर्मचारियों के लिए न्यूनतम वेतन सुनिश्चित किया गया है। सभी वर्कर्स को अपॉइंटमेंट लेटर देना अनिवार्य होगा ताकि उनकी नौकरी रिकॉर्ड में दर्ज हो सके और शोषण रोका जा सके।
  • MSME कर्मचारियों को अब सोशल सिक्योरिटी कोड के तहत कवर किया जाएगा। उन्हें कcanteen, शुद्ध पानी, रेस्ट एरिया जैसी बुनियादी सुविधाएं मिलेंगी। नियमित समय पर वेतन, ओवरटाइम पर डबल पे और पेड लीव भी अनिवार्य है।
  • बिड़ी और सिगार उद्योग में काम करने वाले कर्मचारियों के लिए पहली बार तय काम के घंटे, न्यूनतम वेतन, समय पर पेमेंट और 30 दिन काम करने पर बोनस का प्रावधान किया गया है।
  • प्लांटेशन वर्कर्स को ESI के तहत पूरी मेडिकल सुविधा और बच्चों के लिए शिक्षा सुविधा मिलने की गारंटी दी गई है। रसायनों के उपयोग में सुरक्षा प्रशिक्षण और प्रोटेक्टिव गियर अब अनिवार्य है।
  • ऑडियो-विजुअल, डिजिटल मीडिया और पत्रकारों को अब नियुक्ति पत्र, समय पर वेतन, सुरक्षित काम के घंटे और ओवरटाइम पर डबल वेतन का अधिकार मिलेगा।
  • खनन क्षेत्र के कर्मचारियों के लिए कार्यस्थल सुरक्षा के राष्ट्रीय मानक लागू होंगे। सालाना मुफ्त हेल्थ चेक-अप, तय काम के घंटे और दुर्घटनाओं में सामाजिक सुरक्षा इसका हिस्सा हैं।
  • खतरनाक उद्योगों में काम करने वाले कर्मचारियों के लिए राष्ट्रीय सुरक्षा मानक बनाए जाएंगे। हर साइट पर सुरक्षा समितियां बनेंगी और महिलाओं को सभी कार्यों में समान मौका मिलेगा।
  • टेक्सटाइल वर्कर्स, खासकर प्रवासी कर्मचारियों के लिए समान वेतन, लाभ और राशन कार्ड पोर्टेबिलिटी सुनिश्चित की गई है। तीन साल तक पुराने बकाये दावे करने का अधिकार भी दिया गया है।
  • IT और ITES कर्मचारियों के लिए 7 तारीख तक सैलरी देना अनिवार्य होगा। समान काम के लिए समान वेतन और महिलाओं को नाइट शिफ्ट में काम करने का मौका—दोनों सुनिश्चित किए गए हैं।
  • डॉक वर्कर्स को अब कानूनी पहचान मिलेगी, सोशल सिक्योरिटी (PF, पेंशन, इंश्योरेंस) मिलेगी और स्वास्थ्य सुविधाएं भी अनिवार्य होंगी।
  • एक्सपोर्ट सेक्टर के कर्मचारियों को ग्रेच्युटी, PF, समय पर वेतन, 180 दिन बाद छुट्टी का अधिकार और रात की शिफ्ट में सुरक्षित काम का अवसर मिलेगा।

लेबर कोड्स में और भी कई सुविधाओं का प्रावधान

इसके अलावा, लेबर कोड्स में कई अन्य बड़े सुधार भी शामिल हैं, जैसे राष्ट्रीय फ्लोर वेज, ताकि कोई भी कर्मचारी न्यूनतम जीवन स्तर से नीचे का वेतन न पाए; लिंग-तटस्थ वेतन और समान अवसर, जहां ट्रांसजेंडर कर्मचारियों तक को समान अधिकार मिलेंगे; और तेज विवाद समाधान, जिससे मामलों का निपटारा जल्दी होगा। साथ ही, सिंगल रजिस्ट्रेशन, सिंगल लाइसेंस और सिंगल रिटर्न जैसी सुविधाओं से कंपनियों का कंप्लायंस बोझ कम होगा और देश में रोजगार के अवसर बढ़ेंगे। कुल मिलाकर, ये लेबर कोड भारत के श्रम ढांचे को आधुनिक, न्यायसंगत और वैश्विक मानकों के अनुरूप बनाते हैं।

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Upstox Hindi News Desk पत्रकारों की एक टीम है जो शेयर बाजारों, अर्थव्यवस्था, वस्तुओं, नवीनतम व्यावसायिक रुझानों और व्यक्तिगत वित्त को उत्साहपूर्वक कवर करती है।

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