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  1. Crude Oil की कीमतों में लगी आग, वेनेजुएला के तेल पर अमेरिका की नाकेबंदी, समझिए भारत पर क्या हो सकता है असर

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Crude Oil की कीमतों में लगी आग, वेनेजुएला के तेल पर अमेरिका की नाकेबंदी, समझिए भारत पर क्या हो सकता है असर

Shubham Singh Thakur

3 min read | अपडेटेड December 17, 2025, 12:20 IST

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सारांश

Crude Oil: रॉयटर्स की रिपोर्ट के मुताबिक राष्ट्रपति ट्रंप ने कहा कि वेनेजुएला की सरकार को अब अमेरिका “विदेशी आतंकी संगठन” मानता है। उन्होंने सोशल मीडिया पोस्ट में कहा कि आतंकवाद, ड्रग स्मगलिंग और मानव तस्करी जैसे आरोपों के चलते यह फैसला लिया गया है। इससे पहले अमेरिका ने वेनेजुएला के तट के पास एक प्रतिबंधित तेल टैंकर को जब्त भी किया था।

Crude Oil

Crude Oil: भारत अपनी जरूरत का लगभग 85% कच्चा तेल आयात करता है।

Crude Oil: अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के एक नए फैसले के बाद आज क्रूड ऑयल की कीमतों में तगड़ा उछाल दिख रहा है। दरअसल, ट्रंप ने अपने आदेश में वेनेजुएला आने-जाने वाले सभी प्रतिबंधित तेल टैंकरों पर “पूरी तरह से” रोक लगाने की बात कही है। इस फैसले के बाद आज 17 दिसंबर को कच्चे तेल की कीमतों में 1% से ज्यादा तेजी देखी गई।
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एशियाई कारोबार में US crude futures 1.3% बढ़कर करीब 56 डॉलर प्रति बैरल के आसपास पहुंच गया। वहीं Brent crude भी करीब 1.4% चढ़कर 59.78 डॉलर प्रति बैरल हो गया। इससे एक दिन पहले तेल की कीमतें करीब 5 साल के निचले स्तर पर बंद हुई थीं।

अमेरिका का वेनेजुएला पर एक्शन

रॉयटर्स की रिपोर्ट के मुताबिक राष्ट्रपति ट्रंप ने कहा कि वेनेजुएला की सरकार को अब अमेरिका “विदेशी आतंकी संगठन” मानता है। उन्होंने सोशल मीडिया पोस्ट में कहा कि आतंकवाद, ड्रग स्मगलिंग और मानव तस्करी जैसे आरोपों के चलते यह फैसला लिया गया है। इससे पहले अमेरिका ने वेनेजुएला के तट के पास एक प्रतिबंधित तेल टैंकर को जब्त भी किया था।

सप्लाई घटने का डर

इस कदम का सीधा असर तेल बाजार पर पड़ा, क्योंकि निवेशकों को डर है कि वेनेजुएला से तेल सप्लाई घट सकती है। China वेनेजुएला के तेल का सबसे बड़ा खरीदार है और उसकी कुल तेल जरूरतों का करीब 4% हिस्सा वहीं से आता है। अगर यह नाकाबंदी लंबे समय तक चलती है, तो बाजार से लगभग 10 लाख बैरल प्रतिदिन की सप्लाई घट सकती है, जिससे तेल की कीमतें और ऊपर जा सकती हैं।

कितनी बढ़ सकती है तेल की कीमतें?

ऊर्जा मामलों के जानकारों का कहना है कि अगर ओपेक देश इस कमी की भरपाई नहीं कर पाए, तो तेल की कीमतें 5 से 8 डॉलर प्रति बैरल तक बढ़ सकती हैं। इससे महंगाई बढ़ने और वेनेजुएला से बड़े पैमाने पर पलायन का खतरा भी पैदा हो सकता है। फिलहाल बाजार में तेल की सप्लाई पर्याप्त है, लेकिन निवेशक इस बात पर नजर बनाए हुए हैं कि ट्रंप का यह फैसला जमीन पर कैसे लागू होता है और इसका वैश्विक तेल बाजार पर कितना गहरा असर पड़ता है।

ट्रंप का यह फैसला कैसे होगा लागू?

अभी यह साफ नहीं है कि यह नाकाबंदी कैसे लागू की जाएगी और क्या इसमें गैर-प्रतिबंधित जहाज भी शामिल होंगे या नहीं। अमेरिकी कानून विशेषज्ञों का कहना है कि इस तरह की नाकाबंदी को अक्सर “युद्ध जैसा कदम” माना जाता है। कुछ अमेरिकी सांसदों ने भी इसे ऐसा फैसला बताया है, जिसे कांग्रेस की मंजूरी नहीं मिली। वेनेजुएला सरकार ने ट्रंप के बयान को “अजीब और धमकी भरा” बताया है।

तेल व्यापारियों के अनुसार पहले से ही वेनेजुएला के कई तेल जहाज अमेरिकी प्रतिबंधों के डर से खुले समुद्र में रुके हुए हैं। हालात तब और बिगड़ गए, जब इस हफ्ते सरकारी तेल कंपनी PDVSA के सिस्टम पर साइबर अटैक हुआ, जिससे निर्यात और कम हो गया।

भारत पर क्या हो सकता है असर

भारत अपनी जरूरत का लगभग 85% कच्चा तेल आयात करता है। ऐसे में क्रूड ऑयल की कीमतों में उतार-चढ़ाव की भारत पर सीधा असर होता है। जब क्रूड ऑयल महंगा होता है तो पेट्रोल-डीजल की लागत भी बढ़ती है। इससे देश में महंगाई बढ़ने का खतरा बढ़ जाता है। तेल खरीदने के लिए भारत को ज्यादा डॉलर खर्च करना पड़ता है। इससे रुपया कमजोर हो सकता है और विदेशी सामान महंगे हो सकते हैं।

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लेखकों के बारे में

Shubham Singh Thakur
Shubham Singh Thakur is a business journalist with a focus on stock market and personal finance. An alumnus of the Indian Institute of Mass Communication (IIMC), he is passionate about making financial topics accessible and relevant for everyday readers.

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