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  1. चांदी के रिकॉर्ड हाई के बाद अब कॉपर के भाव में आई तेजी, समझिए क्यों रॉकेट की रफ्तार से भाग रही कीमतें?

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चांदी के रिकॉर्ड हाई के बाद अब कॉपर के भाव में आई तेजी, समझिए क्यों रॉकेट की रफ्तार से भाग रही कीमतें?

विकास तिवारी

3 min read | अपडेटेड December 29, 2025, 11:22 IST

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सारांश

चांदी के बाद अब कॉपर की कीमतों में जबरदस्त तेजी देखी जा रही है। लंदन मेटल एक्सचेंज (LME) पर कॉपर 7 की छलांग लगाकर अब तक के उच्चतम स्तर पर पहुंच गया है। अमेरिकी डॉलर में कमजोरी और सप्लाई की भारी कमी ने इन औद्योगिक धातुओं के भाव आसमान पर पहुंचा दिए हैं।

Copper Price Record High 29 dec

कॉपर की कीमतें $12,960 प्रति टन के पार निकल गई हैं।

शेयर बाजार और सोने की तेजी के बीच अब कमोडिटी मार्केट से एक और बड़ी खबर आ रही है। चांदी की कीमतों में आई ऐतिहासिक उछाल के बाद अब 'लाल सोना' यानी कॉपर के भाव में जबरदस्त तेजी देखी जा रही है। सोमवार को लंदन मेटल एक्सचेंज (LME) खुलते ही कॉपर की कीमतों में करीब 7% की बढ़त दर्ज की गई जिससे यह अपने अब तक के सबसे हाई लेवल पर पहुंच गया। शंघाई और न्यूयॉर्क के बाजारों में आई तेजी के बाद अंतरराष्ट्रीय बाजार में कॉपर 12,960 डॉलर प्रति टन के पार निकल गया है। सिर्फ कॉपर ही नहीं बल्कि एल्युमीनियम और जिंक जैसी अन्य औद्योगिक धातुओं में भी मजबूती देखी जा रही है जिससे आने वाले समय में इलेक्ट्रॉनिक सामान और कंस्ट्रक्शन की लागत बढ़ने की आशंका जताई जा रही है।

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आखिर क्यों भाग रहे हैं कॉपर के दाम?

कॉपर की कीमतों में इस रॉकेट जैसी तेजी के पीछे कई बड़े वैश्विक कारण हैं। सबसे बड़ी वजह अमेरिका में धातुओं की भारी मांग और सप्लाई चेन में आई रुकावट को माना जा रहा है। जानकारों का कहना है कि साल के अंत में निवेशकों ने कॉपर में बड़े पैमाने पर पैसा लगाया है क्योंकि उन्हें डर है कि आने वाले समय में इसकी भारी किल्लत हो सकती है। इसके अलावा अमेरिकी डॉलर में लगातार आ रही गिरावट ने भी कॉपर को सहारा दिया है क्योंकि डॉलर कमजोर होने से विदेशी खरीदारों के लिए कमोडिटी सस्ती हो जाती है। साल 2009 के बाद कॉपर के लिए यह साल सबसे बड़ी बढ़त वाला साबित हो रहा है।

चांदी ने भी रचा नया इतिहास

कॉपर के साथ-साथ चांदी की कीमतों ने भी आज सबको हैरान कर दिया है। 29 दिसंबर 2025 को एमसीएक्स (MCX) पर चांदी का भाव करीब 5% बढ़कर 2,51,746 रुपये प्रति किलो के लेवल पर पहुंच गया। यह चांदी के इतिहास का सबसे ऊंचा स्तर है। पिछले कुछ हफ्तों से चांदी में जो तेजी देखी जा रही है उसने सोने के रिटर्न को भी पीछे छोड़ दिया है। सोलर पैनल, इलेक्ट्रिक वाहन और चिप मेकिंग में चांदी का इस्तेमाल बढ़ने से इसकी औद्योगिक मांग बहुत ज्यादा बढ़ गई है। बाजार के एक्सपर्ट्स का मानना है कि जब तक सप्लाई की स्थिति नहीं सुधरती तब तक चांदी में यह 'बुल रन' जारी रह सकता है।

औद्योगिक धातुओं में चौतरफा तेजी

मार्केट में केवल कॉपर और चांदी ही नहीं बल्कि अन्य बेस मेटल्स में भी हरियाली छाई हुई है। सोमवार को लंदन में एल्युमीनियम में 0.6% और जिंक में 0.9% की बढ़त दर्ज की गई। इस तेजी का सीधा असर उन कंपनियों पर पड़ेगा जो इन धातुओं का इस्तेमाल कच्चे माल के तौर पर करती हैं। ऑटोमोबाइल, बिजली के उपकरण और इंफ्रास्ट्रक्चर सेक्टर की लागत बढ़ने से आम आदमी पर महंगाई का बोझ बढ़ सकता है। वैश्विक स्तर पर चीन द्वारा अपनी अर्थव्यवस्था को सहारा देने के लिए किए गए उपायों ने भी इन धातुओं की मांग को वैश्विक स्तर पर बढ़ाने का काम किया है।

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लेखकों के बारे में

विकास तिवारी
Vikash Tiwary is a finance journalist with 6+ years of newsroom experience. He is currently growing Upstox Hindi, crafting data-driven stories on stocks, personal finance, mutual funds, and global markets, while exploring how AI can simplify finance. His work spans Zee Business, TV9 Bharatvarsh, ABP News, India TV, and Inshorts. He also holds NISM certification.

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