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2 min read | अपडेटेड March 18, 2025, 17:45 IST
सारांश
New Income Tax Bill 2025: केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड ने हितधारकों से नए आयकर विधेयक के लिए सुझाव मांगे हैं। इसके लिए ई-फाइलिंग पोर्टल पर सुविधा भी दी गई है। ये सुझाव भाषा को आसान करने, विवादों को कम करने समेत 4 कैटिगिरीज में दिए जा सकते हैं। नए विधेयक को पुराने आयकर कानून, 1961 को आसान बनाने के लिए लाया गया है ताकि करदाताओं के ऊपर से बोझ कम किया जा सके।
पुराने आयकर कानून को रिव्यू कर नए विधेयक में सुझाव मांगे गए।
पिछले महीने संसद में पेश किए गए आयकर विधेयक ( New Income Tax Bill, 2025) को लेकर केंद्रीय वित्त मंत्रालय ने हितधारकों की राय मांगी है। केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड (Central Board of Direct Taxes, CBDT) का कहना है कि आयकर अधिनियम, 1961 (Income Tax Act, 1961) के रिव्यू के लिए सुझाव और इकट्ठा करने और आयकर नियमों के साथ-साथ फॉर्म्स को आसान बनाने पर काम करने का प्रयास जारी है।
नया आयकर विधेयक 2025 सिलेक्ट कमिटी के पास है और सरकार का कहना है कि हितधारक अपने सुझाव भेज सकते हैं जिन्हें कमिटी को भेज दिया जाएगा। इसके लिए ई-फाइलिंग पोर्टल पर यूटिलिटी भी लॉन्च की गई है।
इसके लिए एक लिंक दिया गया है जो 8 मार्च 2025 से खुल गया है। हितधारक अपने नाम और मोबाइल नंबर को एंटर करके ओटीपी वेरिफिकेशन के बाद अपने इनपुट भेज सकते हैं। अपने सुझाव में आयकर नियम 1962 से जुड़े प्रावधान को सही से लिखकर बदलाव बताना होगा।
ये सुझाव 4 श्रेणियों में दिए जा सकते हैं- भाषा को सरल करने को लेकर, विवादों को कम करने को लेकर, पालन के बोझ को कम करने को लेकर और पुराने हो चुके नियमों और फॉर्म्स को चिन्हित करने के लिए।
नए आयकर विधेयक के जरिए आयकर से जुड़े नियमों को साफ, पालन करने के लिए आसान और करदाताओं के इस्तेमाल करने के लिए सरल प्रक्रियाओं वाला बनाने की कोशिश की जा रही है। आसान फाइलिंग से अधिकारियों का काम भी आसान होगा और गलतियां कम की जा सकेंगी।
आयकर कानून के रिव्यू का प्रस्ताव इसलिए दिया गया था क्योंकि यह समझने में जटिल और बेहद लंबा था। 823 पन्नों के पुराने कानून के मुकाबले नए विधेयक में करीब 625 पन्ने हैं। इसमें 536 सेक्शन, 23 चैप्टर और 16 शेड्यूल हैं जबकि मौजूदा कानून में 819 सेक्शन, 47 चैप्टर और 11 शेड्यूल हैं।
नए आयकर विधेयक के तहत टैक्स रेट या कोई स्लैब या आमदनी की श्रेणियों में बदलाव का सुझाव नहीं दिया गया है। हालांकि, इसमें 1 अप्रैल से शुरू होने वाले वित्त वर्ष के 12 महीनों को ‘टैक्स इयर’ कहा गया है।
किसी नए बिजनेस या प्रफेशन, या किसी नई आमदनी के एक वित्त वर्ष में बनने पर टैक्स इयर तब शुरू होगा जब वह बिजनेस या प्रफेशन, या आमदनी बनी होगा और खत्म उसी वित्त वर्ष के साथ होगा।
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