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Budget 2026: सिर्फ कमाई-खर्च नहीं, देश का भविष्य तय करता है 'कैपिटल बजट', जानिए यह क्यों है सबसे खास?

विकास तिवारी

3 min read | अपडेटेड December 03, 2025, 16:17 IST

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सारांश

बजट 2026 में वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण दो तरह के बजट पेश करेंगी, रेवेन्यू बजट और कैपिटल बजट। कैपिटल बजट वह हिस्सा है जिसमें सरकार की उन कमाई और खर्चों का हिसाब होता है, जिनसे या तो संपत्ति बनती है या देनदारी कम होती है। देश के विकास के लिए यह सबसे अहम है।

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वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण 1 फरवरी को बजट पेश करेंगी।

वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण 1 फरवरी 2026 को देश का आम बजट पेश करने जा रही हैं। बजट को लेकर चर्चाएं तेज हैं, लेकिन आम आदमी अक्सर भारी-भरकम शब्दों में उलझ जाता है। ऐसा ही एक शब्द है कैपिटल बजट। अगर आप सोचते हैं कि बजट का मतलब सिर्फ टैक्स और महंगाई है, तो आप गलत हैं। असल में सरकार का पूरा विजन इसी कैपिटल बजट में छिपा होता है। अगर यह हिस्सा बजट से हटा दिया जाए, तो सरकार चल तो सकती है, लेकिन देश आगे नहीं बढ़ सकता। आइए आसान भाषा में समझते हैं कि यह क्या है।

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क्या होता है कैपिटल बजट?

संविधान के अनुच्छेद 112 के तहत सरकार जो बजट पेश करती है, उसके दो मुख्य हिस्से होते हैं रेवेन्यू बजट और कैपिटल बजट। कैपिटल बजट वह खाता है जिसमें सरकार की उन लेन-देन का हिसाब होता है, जिनसे सरकार की संपत्ति या देनदारी पर असर पड़ता है। आसान शब्दों में कहें तो यह वह बजट है जो लंबे समय के लिए होता है। इसमें दो चीजें शामिल होती हैं जिसे कैपिटल रिसिप्ट और कैपिटल एक्सपेंडिचर कहा जाता है।

पैसा कहां से आता है?

कैपिटल बजट के इस हिस्से में वह पैसा आता है, जिससे या तो सरकार पर कर्ज चढ़ता है या फिर सरकार की कोई संपत्ति कम होती है। सरकार बाजार से, आरबीआई से या विदेशी बैंकों से जो कर्ज लेती है, वह कैपिटल रिसीप्ट है। इसके अलावा जब सरकार एलआईसी या किसी दूसरी सरकारी कंपनी में अपनी हिस्सेदारी बेचती है और पैसा जुटाती है, तो उसे विनिवेश कहते हैं और उसे भी इसी कैटेगरी में रखा जाता है।

पैसा कहां जाता है?

यह बजट का सबसे शानदार हिस्सा है, जिसे कैपेक्स भी कहते हैं। इसमें वह खर्चा आता है जिससे देश में नई संपत्ति बनती है। इसमें नई सड़कें बनाना, रेलवे लाइन बिछाना, नए एयरपोर्ट, अस्पताल या स्कूल बनाना शामिल है। इसके साथ ही रक्षा के लिए नए हथियार या मशीनें खरीदना भी इसी में आता है। अगर सरकार ने पुराना कर्ज वापस किया है, तो वह भी इसी खर्चे में गिना जाएगा।

इसके बिना क्यों नहीं बन सकता बजट?

अब सवाल है कि यह इतना जरूरी क्यों है। मान लीजिए सरकार के पास रेवेन्यू बजट है, जिससे वह कर्मचारियों की सैलरी और पेंशन देती है। अगर केवल रेवेन्यू बजट हो, तो देश का प्रशासन तो चलता रहेगा, लेकिन विकास रुक जाएगा। कैपिटल बजट ही तय करता है कि भविष्य में देश की अर्थव्यवस्था कैसी होगी। जब सरकार कैपिटल बजट के तहत सड़क या फैक्ट्री पर एक रुपया खर्च करती है, तो उससे बाजार में तीन रुपये का असर होता है जिसे मल्टीप्लायर इफेक्ट कहते हैं। जब पुल या सड़कें बनती हैं, तो लाखों लोगों को रोजगार मिलता है और सीमेंट और स्टील की खपत बढती है। इसलिए 2026 के बजट में भी सरकार का पूरा जोर इसी कैपिटल बजट को बढाने पर होगा।

रेवेन्यू बजट से यह कैसे अलग है?

रेवेन्यू बजट घर के राशन-पानी जैसा है, जो रोजमर्रा के खर्च के लिए है और खत्म हो जाता है जैसे सैलरी और बिजली बिल। लेकिन कैपिटल बजट घर बनाने जैसा है, जो एक बार खर्च होता है लेकिन सालों-साल फायदा देता है। अगर किसी बजट में रेवेन्यू खर्च ज्यादा हो और कैपिटल खर्च कम, तो उसे अच्छा नहीं माना जाता।

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लेखकों के बारे में

विकास तिवारी
Vikash Tiwary is a finance journalist with 6+ years of newsroom experience. He is currently growing Upstox Hindi, crafting data-driven stories on stocks, personal finance, mutual funds, and global markets, while exploring how AI can simplify finance. His work spans Zee Business, TV9 Bharatvarsh, ABP News, India TV, and Inshorts. He also holds NISM certification.

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