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  1. भारत ने लॉन्च किया पहला हाइड्रोजन हाइवे, समझिए इसकी क्या है खासियत?

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भारत ने लॉन्च किया पहला हाइड्रोजन हाइवे, समझिए इसकी क्या है खासियत?

Upstox

2 min read | अपडेटेड September 26, 2025, 20:51 IST

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सारांश

भारत ने अपनी पहली हाइड्रोजन हाइवे लॉन्च की है। इस पहल में Tata Motors, Ashok Leyland और Reliance जैसे बड़े उद्योग शामिल हैं। इसका उद्देश्य स्वच्छ ऊर्जा को बढ़ावा देना और लांग-हॉल ट्रांसपोर्ट में क्रांति लाना है।

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सड़क परिवहन मंत्री नितिन गडकरी ने शरू किया

भारत ने स्वच्छ ऊर्जा और लांग-हॉल ट्रांसपोर्ट में बड़ी पहल करते हुए अपनी पहली हाइड्रोजन हाइवे लॉन्च की है। सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी ने वर्ल्ड हाइड्रोजन इंडिया 2025 के दूसरे दिन इस परियोजना का उद्घाटन किया। उन्होंने कहा कि हाइड्रोजन भविष्य का ईंधन है और यह देश को ईंधन आत्मनिर्भर बनाने और कृषि को ऊर्जा में बदलने में मदद करेगा।

नितिन गडकरी ने क्या कहा?

गडकरी ने बताया कि इस परियोजना के लिए 500 करोड़ रुपये का बजट पांच समूहों को दस मार्गों पर दिया गया है। कुल 37 हाइड्रोजन ट्रक इसमें भाग लेंगे और 9 हाइड्रोजन रिफ्यूलिंग स्टेशन स्थापित किए जाएंगे। परियोजना में Tata Motors, Ashok Leyland, Volvo, BPCL, IOCL, NTPC और Reliance जैसे बड़े उद्योग भागीदार शामिल हैं।

यह परीक्षण दो साल तक चलेगा और इसमें Greater Noida, Delhi, Agra, Bhubaneswar, Konark, Puri, Vadodara, Surat, Sahibabad, Faridabad, Pune, Mumbai, Jamshedpur, Kalinga, Thiruvananthapuram, Jamnagar, Ahmedabad, Kochi और Vishakhapatnam जैसे प्रमुख मार्ग शामिल हैं। इन मार्गों के जरिए उद्योग केंद्रों, बंदरगाहों और माल ढुलाई मार्गों को हाइड्रोजन के उपयोग के लिए तैयार किया जाएगा।

ये होगी खासियत

मंत्री ने बताया कि परियोजना केवल वाहनों तक सीमित नहीं है, बल्कि हाइड्रोजन उत्पादन, भंडारण, परिवहन और रिफ्यूलिंग संरचना तक फैली हुई है। इस पहल से हर साल ईंधन आयात में लगभग 1 लाख करोड़ रुपये की बचत, 6 लाख नौकरियों का सृजन और 3.6 गीगाटन कार्बन उत्सर्जन में कमी की उम्मीद है, जो 1,000 करोड़ से अधिक पेड़ लगाने के बराबर है।

पूर्व NITI Aayog के प्रमुख अमिताभ कांत ने कहा कि हाइड्रोजन केवल ऊर्जा का मामला नहीं है, बल्कि यह रोजगार, निर्यात, निर्माण और पर्यावरण सुरक्षा से भी जुड़ा है। उन्होंने भारत की ताकतें गिनाईं: सस्ती नवीकरणीय ऊर्जा, स्पष्ट सरकारी नीतियां, मजबूत उद्योग आधार, बड़ी घरेलू मांग और वैश्विक बाजारों में निर्यात के अवसर।

विश्लेषकों का कहना है कि इस परियोजना से न केवल हाइड्रोजन ट्रांसपोर्ट में तेजी आएगी, बल्कि ऑटोमोबाइल, ऊर्जा और बुनियादी ढांचा क्षेत्रों में निवेश और रोजगार के नए अवसर भी खुलेंगे। भारत का लक्ष्य 2030 तक 5 मिलियन टन हरित हाइड्रोजन का उत्पादन करना और देश को हाइड्रोजन का वैश्विक केंद्र बनाना है।

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लेखकों के बारे में

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