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2 min read | अपडेटेड February 25, 2025, 15:38 IST
सारांश
Consumer Price Index: कृषि श्रमिकों के लिए खुदरा मुद्रास्फीति दिसंबर, 2024 के मुकाबले जनवरी में थोड़ी कम होकर 4.61 प्रतिशत रह गई। यह दिसंबर 2024 में 5.01 प्रतिशत थी।
ग्रामीण मजदूरों को साल के पहले महीने में मिली राहत।
खेती से जुड़े मजदूरों और ग्रामीण कामगारों के लिए 2025 की शुरुआत कुछ राहत देने वाली रही है। जनवरी के महीने में कृषि श्रमिकों और ग्रामीण कामगारों के लिए खुदरा मुद्रास्फीति (retail inflation) कुछ कम रहा है। ये आंकड़े श्रम मंत्रालय ने जारी किए हैं।
कृषि श्रमिकों के लिए खुदरा मुद्रास्फीति दिसंबर, 2024 के मुकाबले जनवरी में थोड़ी कम होकर 4.61 प्रतिशत रह गई। यह दिसंबर 2024 में 5.01 प्रतिशत थी। वहीं, ग्रामीण कामगारों के लिए खुदरा मुद्रास्फीति दिसंबर में 5.05 प्रतिशत से घटकर जनवरी में 4.73 प्रतिशत पर आ गई।
श्रम मंत्रालय ने एक बयान में कहा कि कृषि श्रमिकों (CPI-AL) के लिए अखिल भारतीय उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (ऑल इंडिया कन्ज्यूमर प्राइस इंडेक्स) जनवरी 2025 के महीने के लिए चार अंक नीचे 1,316 पर और ग्रामीण कामगारों (CPI-RL) के लिए तीन अंक घटकर 1,328 अंक पर पहुंच गया।
रिपोर्ट में बताया गया है कि पिछले साल दिसंबर 2024 में CPI-AL 1,320 अंक और CPI-RL 1,331 अंक था। वहीं, श्रम मंत्रालय ने बताया कि जनवरी, 2025 में पिछले साल की तुलना में CPI-AL पर आधारित इन्फ्लेशन रेट 4.61 प्रतिशत और CPI-RL 4.73 प्रतिशत रही। यह आंकड़ा जनवरी, 2024 में 7.52 प्रतिशत और 7.37 प्रतिशत था।
खाद्य सूचकांक की बात करें तो CPI-AL के लिए यह दिसंबर में 1,262 अंक से घटकर इस साल जनवरी में 1,255 अंक हो गया। इसी तरह, CPI-RL के लिए यह दिसंबर में 1,269 अंक से घटकर जनवरी में 1,261 अंक हो गया।
CPI-AL/RL के लिए अलग-अलग सूचकांक 20 राज्यों के लिए बनाए जाते हैं। इन राज्यों को कृषि श्रमिकों और ग्रामीण कामगारों की आबादी के आधार पर चुना जाता है। ऑल-इंडिया इंडेक्स को 20 राज्यों के सूचकांकों के वेटेड ऐवरेज के तौर पर निकाला जाता है।
इसमें पूरे देश के उपभोग खर्च के हिस्से के तौर पर ग्रामीण और कृषि श्रमिकों के परिवारों के खर्च से यह वेट निकाला जाता है।
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