जब कोई कंपनी अपने शेयर्स पहली बार पब्लिक को बेचती है, तो इसे IPO या इनिशियल पब्लिक ऑफरिंग कहते हैं।
स्टॉक एक्सचेंज पर लिस्ट होकर कंपनी ये सेल करती है और कैपिटल जुटाती है।
फ्रेश इशू
कंपनी IPO में फंड जुटाने के लिए नए शेयर्स बेचती है जिसे फ्रेश इशू कहा जाता है।
इससे आने वाला कैपिटल कंपनी की ग्रोथ, बकाया चुकाने और कॉर्पोरेट जरूरतों को पूरा करने में इस्तेमाल होता है।
ऑफर-फॉर-सेल, OFS
कंपनी के मौजूदा शेयरधारक अपने हिस्से को बेचते हैं तो इसे OFS कहते हैं।
इससे आने वाला कैपिटल इन शेयरधारकों को मिलता है, कंपनी को नहीं।
लॉट साइज
यह शेयर्स की एक न्यूनतम संख्या होती है जो निवेशकों को कंपनी में हिस्सेदारी के लिए खरीदने ही होते हैं।
निवेशक इस लॉट साइज के मल्टिपल में शेयर्स खरीद सकते हैं।
यानी अगर एक लॉट में 10 शेयर हैं तो निवेशक 2 लॉट (20 शेयर), 3 लॉट (30 शेयर)... ऐसे खरीद सकते हैं।
प्राइस बैंड
यह शेयर की कीमत की एक रेंज होती है। निवेशकों को इसी रेंज में से बोली लगानी होती है।
बाजार में मांग और सब्सक्रिप्शन के आधार पर फाइनल प्राइस तय होता है।
सब्सक्रिप्शन स्टेटस
इससे पता चलता है कि IPO कितना बुक हुआ है। जितना ज्यादा सब्सक्रिप्शन, उतना ज्यादा निवेशकों का रुझान।
यह बताता है कि ऑफर किए गए शेयर्स के बदले कितने शेयर्स की मांग के लिए निवेशकों ने बोली लगाई है।
लिस्टिंग
जब स्टॉक एक्सचेंज पर कंपनियों के शेयर्स कारोबार के लिए उतरते हैं, उसे लिस्टिंग कहते हैं।
लिस्टिंग प्राइस बाजार में मांग और निवेशकों की दिलचस्पी के आधार पर तय होता है।
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