भारत का संविधान 26 नवंबर, 1949 को पूरा हुआ था। इसे बनाने में बाबा साहेब डॉ. भीमराव अंबेडकर का अहम योगदान था।
डॉ. अंबेडकर आर्थिक न्याय और समानता की पुरजोर वकालत करते थे। इसकी झलक हमें भारतीय संविधान में दिखती है।
यूं तो संविधान के 6 मौलिक अधिकार नागरिक-राजनीतिक पक्षों की बात करते हैं, इनमें आर्थिक पहलू भी शामिल हैं।
आर्टिकल 16 देता है सभी नागरिकों को सार्वजनिक रोजगार में समानता। इसके तहत मिलता है आरक्षण।
आर्टिकल 17 देता है छुआ-छूत की बीमारी से संरक्षण। किसी जाति विशेष से दूर नहीं रख सकते संसाधन।
आर्टिकल 19 से मिलती है कोई भी प्रोफेशन अपनाने की आजादी।
आर्टिकल 23 कराता है मानव तस्करी, बंधुआ मजदूरी, बेगार, देवदासी बनाकर शोषण से आजाद।
DPSP में ज्यादा डायरेक्ट दिए हैं आर्थिक पहलू लेकिन ये अधिकार नहीं, सरकारों के लिए निर्देश हैं।
आर्टिकल 39 में है रोजगार का अधिकार, महिला-पुरुष को समान भुगतान, साफ वर्कप्लेस, महिलाओं के लिए मैटरनिटी बेनिफिट।
आर्टिकल 43 और 43B करता है ग्रामीण इलाकों में कुटीर उद्योगों को बढ़ावा देने की बात। को-ऑपरेटिव सोसायटी बनाने का अधिकार।
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