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हमारी पृथ्वी से अंतरिक्ष के हजारों-लाखों सितारे दिखाई देते हैं लेकिन कुछ सितारे ऐसे भी हैं जो कभी-कभी नजर आते हैं।
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इनमें से एक है दो सितारों का एक सिस्टम जिसे T कोरोने बोरियालिस (T CrB) कहते हैं।
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T CrB के एक सितारे में हर 80 साल पर होता है विस्फोट जिसकी गवाह धरती भी बनती है।
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माना जाता है कि इसे साल 1217 में और उसके बाद 1787, 1866 और 1946 में भी देखा गया।
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अब वैज्ञानिकों का फोकस 2025 में होने वाले इसके विस्फोट पर है जब ये खगोलीय घटना देखी जा सकेगी।
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इसे ऑब्जर्व करना वैज्ञानिकों के लिए इसलिए खास है क्योंकि यह दुर्लभ नजारा हमारे इतने करीब आसानी से नहीं मिलता।
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धरती से 3000 प्रकाश वर्ष दूर इस बाइनरी सिस्टम में एक रेड जायंट और एक वाइट ड्वॉर्फ एक-दूसरे का चक्कर काटते हैं।
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रेड जायंट ऐसा तारा है जिसका जीवन खत्म होने की ओर है जबकि वाइट ड्वॉर्फ ब्रह्मांड में सबसे ज्यादा डेंसिटी वाले ऑब्जेक्ट्स में से एक है।
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ये इतना घना होता है कि हमारे सूरज से ज्यादा मास एक ग्रह जितने साइज में समा सकता है। इस वजह से वाइट ड्वॉर्फ की ग्रैविटी भी बहुत ज्यादा होती है।
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T CrB सिस्टम के वाइट ड्वॉर्ड की ग्रैविटी रेड जायंट की ओर से आने वाली गैस को अपनी ओर खींचता है।
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दशकों तक इस गैस के जमा होने से वाइट ड्वॉर्फ का तापमान और प्रेशर बढ़ता जाता है और फिर इसमें होते हैं विस्फोट जिसे नोवा कहते हैं।
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ये विस्फोट सिर्फ सतह पर होता है इसलिए वाइट ड्वॉर्फ पूरी तरह खत्म नहीं होता और बार-बार विस्फोट होता रहता है।
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