तस्वीर: Shutterstock
भारत के चंद्रयान-3 मिशन ने चांद की सतह पर बर्फ की मौजूदगी से जुड़ी अहम जानकारी भेजी है।
तस्वीर: Shutterstock
‘कम्यूनिकेशंस अर्थ ऐंड एन्वायरन्मेंट’ जर्नल में छपी स्टडी के मुताबिक चांद पर हमारी जानकारी से ज्यादा मात्रा में बर्फ हो सकती है।
तस्वीर: https://assets.science.nasa.gov/
इस स्टडी के लिए चंद्रयान-3 के विक्रम लैंडर पर लगे ChaSTE (चंद्र सर्वेस थर्मोफिजिकल एक्सपेरिमेंट ) के डेटा पर नजर डाली गई।
तस्वीर: Shutterstock
विक्रम लैंडर चांद के दक्षिणी ध्रुव पर उतरा था और ChaSTE ने यहां सतह के 10cm नीचे तक तापमान को स्टडी किया।
तस्वीर: ISRO
ChaSTE ने पाया कि सूरज से उलटी ओर पड़ने वाले स्लोप पर ये 60 डिग्री सेल्सियस तक सीमित था।
तस्वीर: https://www.nature.com/
स्लोप ऐंगल के चांद की सतह पर असर को स्टडी करने के लिए एक मॉडल बनाया गया।
तस्वीर: Shutterstock
इसमें पाया गया कि सूरज से उलटी ओर 14 डिग्री से ज्यादा के स्लोप का तापमान बर्फ को सपॉर्ट करने लायक हो सकता है।
तस्वीर: Shutterstock
दिलचस्प बात ये है कि ऐसे स्लोप पर जो कंडीशंस मिलीं, वैसी ही जगहों को नासा के आर्टेमिस मिशन की लैंडिंग के लिए चुना गया है।
तस्वीर: ISRO
इसे देखते हुए माना जा रहा है कि चांद पर असल में ऐसी कई जगह होंगी जहां बर्फ बन सकती है और जहां जाया जा सकता है।
तस्वीर: Shutterstock
चांद पर बर्फ का भंडार भले ही हो, पानी का होना मुश्किल है क्योंकि यहां मौजूद वैक्यूम बर्फ को पानी में तब्दील होने नहीं देती। बर्फ भाप बनकर उड़ जाती है।
तस्वीर: ISRO
हालांकि, बर्फ की मौजूदगी के अपने फायदे हैं। इसे पिघलाकर पानी बनाया जा सकता है, उपकरणों को ठंडा किया जा सकता है।
तस्वीर: Shutterstock
बर्फ से ऑक्सिजन भी बनाई जा सकती है और चांद से होकर स्पेस में कहीं और जाने के लिए ईंधन भी तैयार किया जा सकता है।
तस्वीर: Shutterstock
अगली स्टोरी देखें-